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सामान्य अध्ययन– I
विषय: विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ।
1. प्रायद्वीपीय पठार भारत के सबसे प्राचीन एवं सबसे स्थिर भूभागों में से एक है। प्रायद्वीपीय पठार के विस्तार एवं इसके विभिन्न उच्चावचों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: Insights on India
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रायद्वीपीय पठार के विशाल विशेष विस्तार पर बल देते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
विषय वस्तु:
प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण करने वाली विभिन्न भू-आकृतियों का उल्लेख कीजिए एवं उनके उच्चावचों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि प्रायद्वीपीय पठार की भू-आकृतियों की विविधता एवं विशालता ने इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को जन्म दिया है।
विषय: विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ।
2. हाल के वर्षों में, भारत ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को रूपांतरित करने के उद्देश्य से एक सक्रिय नीति अपनाई है। भारत के लिए अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के सामरिक एवं आर्थिक महत्व का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: Insights on India
निर्देशक शब्द:
परीक्षण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तरकीसंरचना:
परिचय:
भारतीय मुख्य भूमि के संबंध में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की भौगोलिक अवस्थिति पर एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषयवस्तु:
इसके आर्थिक महत्व का उल्लेख कीजिए।
क्षेत्रीय बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ सशक्त नीति निर्माण के माध्यम से इसके महत्व का दोहन करने के लिए द्वीप को विकसित करने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि द्वीप सर्वोत्तम अवसरों से भरपूर है एवं भारत के लाभ के लिए इसका सही उपयोग करने की आवश्यकता है।
सामान्य अध्ययन– II
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
3. भारत में आदिवासियों के विकास के उद्देश्य से अपनाई गई विभिन्न नीतियों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: कठिन
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न के सन्दर्भ में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए। जैसे- भारत में सकल निर्धनता 21.9% है जबकि जनजातीय आबादी की सकल निर्धनता 46% है।
विषय वस्तु:
विकास का आदिवासियों के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव कैसे पड़ा है? स्पष्ट कीजिए।
आदिवासियों के विकास के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए विभिन्न उपायों एवं हाल की योजनाओं का उल्लेख कीजिए।
उपर्युक्त की गई चर्चाओं का समर्थन करने के लिए केस स्टडी एवं मानचित्र प्रस्तुत कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– III
विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।
4. नीति निर्माताओं के समक्ष यह चुनौती है कि मुद्रास्फीति दर को इस प्रकार संतुलित किया जाए कि मांग उत्पन्न करते समय इष्टतम विकास के साथ स्थिर अर्थव्यवस्था के लिए यह न तो बहुत अधिक हो और न ही बहुत कम। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
मुद्रास्फीति क्या है एवं इसे कैसे मापा जाता है? इसका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषय वस्तु:
विकास एवं मंदी पर मुद्रास्फीति के प्रभाव तथा साथ ही रोजगार सृजन एवं डॉलर के मूल्य तथा क्रय शक्ति समता के प्रभावों पर प्रकाश डालिए।
समझाइए की कैसे मुद्रास्फीति की उच्च दर की मांग अधिक हो सकती है लेकिन इसका बेरोजगारी, आय, धन आदि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
रोजगार सृजन एवं अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उधार की न्यून दर द्वारा समर्थित निम्न एवं स्थिर मुद्रास्फीति दर की आवश्यकता का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि अर्थव्यवस्था के लाभ के लिए इसे एक आदर्श सीमा पर वापस लाने के लिए मुद्रास्फीति दरों के आधार पर नीतिगत उपायों को प्रतिबंधात्मक या विस्तारवादी होना चाहिए।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
5. अंतरिक्ष मलबे का प्रभावी प्रबंधन मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। अंतरिक्ष मलबे के कारणों एवं प्रभावों का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अंतरिक्ष मलबा क्या है? समझाते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषय वस्तु:
अंतरिक्ष मलबे के उत्पादन के लिए अग्रणी विभिन्न कारकों की व्याख्या कीजिए।
विशेष रूप से निम्न पृथ्वी की कक्षाओं में उपस्थित उपग्रहों के लिए अंतरिक्ष मलबे से उत्पन्न खतरों का उल्लेख कीजिए।
समझाइए कि अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है। मुख्य रूप से नियमित गतिविधि के कारण उत्पन्न मलबे को कम करने के लिए विनाशकारी परीक्षणों को कठोर विनियमन से गुजरना चाहिए तथा मलबे का निर्माण करने वाले देशों द्वारा मलबों की जिम्मेदारी ली जानी चाहिए।
निष्कर्ष:
अंतरिक्ष मलबे के प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव देते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
6. रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) एक वैश्विक चिंता क्यों है? इसका सामना करने के लिए अपनाई गई विभिन्न पहलों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: Down to Earth
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) एवं इसके कारणों को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषय वस्तु:
यह वैश्विक चिंता का कारण क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने के लिए प्रारम्भ की गई विभिन्न पहलों के बारे में लिखिए।
इसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– IV
विषय: मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से प्राप्त शिक्षा।
7. निम्नलिखित उद्धरण से आपका क्या तात्पर्य है? (150 शब्द)
“स्वतंत्रता केवल तभी सार्थक हो सकती है जब वह हमारी संस्कृति की अभिव्यक्ति का साधन बने।” — दीन दयाल उपाध्याय
प्रश्न का स्तर: सरल
उत्तर की संरचना:
परिचय:
उद्धरण के शाब्दिक अर्थ की व्याख्या कीजिए एवं संस्कृति के महत्व के सन्दर्भ में इसके मूल अर्थ पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
स्वतंत्रता लोगों को उनकी संस्कृति को व्यक्त करने की अनुमति कैसे प्रदान करती है? समझाइए।
निष्कर्ष:
वर्तमान समय में इस उद्धरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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