[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 16 November 2021 – INSIGHTSIAS

[ad_1]

 

 

विषयसूची

 

सामान्य अध्ययनI

1. करतारपुर कॉरिडोर

 

सामान्य अध्ययनII

1. सांसदों पर मुकद्दमा चलाने हेतु विशेष अदालतें

2. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशकों के कार्यकाल को बढ़ाने हेतु अध्यादेश

3. ईरान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी प्रमुख को वार्ता हेतु आमंत्रण

 

सामान्य अध्ययनIII

1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन।

2.ग्रीन बॉन्ड क्या है?

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. अफगानिस्तान का हज़ारा जातीय समूह

2. बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना

 


सामान्य अध्ययनI


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

 करतारपुर कॉरिडोर


संदर्भ:

सरकार द्वारा, इस सप्ताह पाकिस्तान के लिए ‘करतारपुर साहिब गुरुद्वारा कॉरिडोर’ (Kartarpur Sahib Gurudwara corridor) को फिर से खोलने पर विचार किया जा रहा है, जिससे सिख तीर्थयात्रियों को सीमा पार यात्रा करने की सुविधा मिल सकेगी। विदित हो कि, कोरोनावायरस महामारी के कारण, यह गलियारा करीबन 20 महीने पहले बंद कर दिया गया था।

इस गलियारे को 19 नवंबर को खोले जाने की योजना है। इस दिन सिख धर्म के संस्थापक ‘गुरु नानक’ की जयंती है, जिसे ‘गुरुपरब’ या “प्रकाश पर्व” के नाम से भी जाना जाता है।

करतारपुर कॉरिडोर समझौता:

कृपया ध्यान दें, कि ‘करतारपुर कॉरिडोर समझौते’ के तहत तीर्थयात्रियों को इस कॉरिडोर से बगैर किसी वीजा के यात्रा करने की अनुमति दी जाती है।

  • सभी धर्मों के भारतीय तीर्थयात्री और भारतीय मूल के व्यक्ति इस गलियारे का उपयोग कर सकते हैं।
  • तीर्थयात्रियों को केवल एक वैध पासपोर्ट ले जाने की आवश्यकता होती है;
  • भारतीय मूल के व्यक्तियों को अपने देश के पासपोर्ट के साथ ओसीआई कार्ड ले जाने की आवश्यक होता है।
  • यह कॉरिडोर सुबह से शाम तक खुला रहता है। सुबह के समय यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को उसी दिन लौटना होता है।

करतारपुर कॉरिडोर” परियोजना क्या है?

‘करतारपुर साहिब गुरुद्वारा कॉरिडोर’ को प्रायः “शांति का मार्ग” भी कहा जाता है। यह कॉरिडोर (गलियारा), भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित ‘गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक’ को पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित ‘गुरुद्वारा दरबार साहिब’ से जोड़ता है।

तीर्थस्थान एवं इसका महत्व:

  • करतारपुर गुरुद्वारा, रावी नदी के तट पर लाहौर से लगभग 120 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है।
  • इस स्थान पर ही गुरु नानक ने सिख समुदाय को इकट्ठा किया था और वर्ष 1539 तक मृत्युपर्यंत, अपने जीवन के अंतिम 18 साल इसी स्थान पर गुजारे।
  • आमतौर पर, सीमा पर उगने वाली हाथी घास को पाकिस्तानी अधिकारी काट देते हैं, जिसके बाद यह ‘गुरुद्वारा’ भारत की सीमा से ही दिखने लगता है।
  • भारतीय सीमा की तरफ से दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भारतीय सिख इकठ्ठे होते हैं, और इनकी सुविधा के लिए ‘गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक’ में दूरबीन लगाई जाती है।

current affairs

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं किहाल ही में, पंजाब पुलिस ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती (गुरुपर्व) को ‘विश्व पदयात्री दिवस’  (World Pedestrian Day) के रूप में घोषित किए जाने का प्रस्ताव दिया है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘करतारपुर साहिब गुरुद्वारा कॉरिडोर’ के बारे में
  2. समझौता
  3. गुरु नानक के बारे में

मेंस लिंक:

‘करतारपुर कॉरिडोर’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

सांसदों पर मुकद्दमा चलाने हेतु विशेष अदालतें


संदर्भ:

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न अपराधों के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों पर विशेष रूप से मुकदमा चलाने के लिए स्थापित ‘विशेष अदालतों’ (Special Courts) के कानूनी अधिकार क्षेत्र के संदर्भ में उठाए जा रहे सवालों की जांच करने का निर्णय लिया गया है।

विशेष अदालतों की आवश्यकता:

  1. पूरे देश में कानून-निर्माताओं के खिलाफ 4000 से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 2,556 मामले, मौजूदा संसद सदस्यों और विधायकों के खिलाफ हैं।
  2. इन संसद सदस्यों और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुचाने, मानहानि और धोखाधड़ी आदि से संबंधित मामले लंबित हैं।
  3. इनमे से अधिकाँश मामले IPC की धारा 188 के तहत लोक सेवकों द्वारा जारी किये गए आदेशों के उल्लंघन संबंधी हैं।
  4. अधिकांश मामले, सुनवाई के पहले चरण में ही लंबित हैं, और यहाँ तक कि अदालतों द्वारा जारी किये गए कई ‘गैर-जमानती वारंट्स’ (NBW) पर अमल तक नहीं किया गया है।
  5. इसके अलावा, बिहार के 89% विधानसभा क्षेत्रों में तीन या इससे अधिक उम्मीदवारों द्वारा वर्तमान में जारी चुनावों के लिए अपने हलफनामों में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले घोषित किए गए हैं।

मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियां:

नवंबर 2020 में, मद्रास उच्च न्यायालय के तीन-न्यायाधीशों की समिति द्वारा सांसदों और विधायकों द्वारा किये गए विभिन्न अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन करने की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया था।

उच्च न्यायालय के अनुसार, पृथक अदालतों का गठन क्यों नहीं किया जाना चाहिए?

  • अदालतें ‘अपराध-केंद्रित’ होनी चाहिए न कि ‘अपराधी-केंद्रित’।
  • विशेष अदालतों का गठन केवल विधि द्वारा किया जा सकता है। इन्हें कार्यकारी या न्यायिक आदेश द्वारा स्थापित नहीं किया जा सकता है।

उच्च न्यायालय की इन टिप्पणियों का महत्व:

  • रिपोर्ट का समय: उच्च न्यायालय की समिति की यह रिपोर्ट, वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक आदेश के विपरीत है। उच्चत्तम न्यायालय ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को विशिष्ट रूप से आपराधिक राजनेताओं पर मुकद्दमा चलाने हेतु देश भर में 12 विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए अधिकृत किया था।
  • यह रिपोर्ट ऐसे समय में आयी है, जब शीर्ष न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की एक पीठ इस प्रक्रिया को शीघ्रता से निपटाने के तरीकों पर विचार रही है, क्योंकि कुछ मामलों में सुनवाई वर्षों से और कुछ में दशकों से अटकी हुई है।

विशेष अदालतों से संबंधित मुद्दे:

विशेष अदालतें, अभियुक्तों को ‘अपील करने के’ उनके अधिकार से वंचित करती हैं। यदि किसी विधायक या सांसद का मामला, जिनके अपराध पर एक मजिस्ट्रेट द्वारा सुनवाई की जा सकती है, सीधे एक विशेष अदालत के समक्ष रखा जाता है, तो आरोपी, मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने मामले में बचाव करने के अपने अधिकार से वंचित हो सकता है, और उससे ‘सत्र न्यायालय’ में पहली अपील करने का अधिकार भी छीन लिया जाएगा।

आगे की राह:

  1. राजनीतिक दलों को दागी उम्मीदवारों को टिकट देने से मना कर देना चाहिए।
  2. जघन्य प्रकृति के मामलों में नामजद उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने हेतु जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए।
  3. दागी विधायकों से संबंधित मामलों को फास्ट-ट्रैक अदालतों के माध्यम से तेजी से निपटाना चाहिए।
  4. चुनाव प्रचार अभियान के वित्तपोषण में अधिक पारदर्शिता लायी जाए।
  5. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को राजनीतिक दलों के वित्तीय खातों के लेखा परीक्षण की शक्ति प्रदान की जानी चाहिए।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 188 क्या है? इसे कब लगाया जाता है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8
  2. उच्चत्तम न्यायालय के दिशानिर्देश
  3. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) – संरचना और कार्य
  4. उम्मीदवारों के निर्वाचन से संबंधित मामलों पर निर्वाचन आयोग की शक्तियां

 

मेंस लिंक:

राजनीति के अपराधीकरण से जुड़ी चिंताओं, और इस संदर्भ में उच्चत्तम न्यायालय द्वारा उठाये गए कदमो के बारे में चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशकों के कार्यकाल को बढ़ाने हेतु अध्यादेश


संदर्भ:

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा, हाल ही में, दो अध्यादेशों को प्रख्यापित किया गया है, जिनमे केंद्र सरकार के लिए ‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate – ED) के निदेशकों के कार्यकाल को दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने की शक्ति प्रदान की गयी है।

वर्तमान में, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों के कार्यकाल की अवधि ‘दो वर्ष’ निर्धारित है।

संशोधित किए गए कानून:

  1. सीबीआई निदेशक के कार्यकाल में परिवर्तन करने हेतु ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम’, 1946 में संशोधन किया गया है।
  2. ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (ED) निदेशक के कार्यकाल में परिवर्तन, हेतु ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम’, 2003 में संशोधन किया गया है।

‘मूलभूत नियम’, 1922 में संशोधन:

कार्मिक मंत्रालय द्वारा कार्यकाल परिवर्तन सूची में दो अन्य पदों को शामिल करने के लिए ‘मूलभूत नियम’, 1922 (Fundamental Rules, 1922) में संशोधन करने का आदेश जारी किया गया है, जिससे इनकी सेवाओं को “जनहित” में दो साल के निर्धारित कार्यकाल को, दो साल तक की अतिरिक्त अवधि के लिए बढाया जा सकता है।

पिछली सूची में, रक्षा सचिव, विदेश सचिव, गृह सचिव, निदेशक, खुफिया ब्यूरो और सचिव, ‘अनुसंधान और विश्लेषण विंग’ (RAW) शामिल किया गया था।

‘सीबीआई निदेशक’ और उनकी नियुक्ति के बारे में:

‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो’ (CBI) के निदेशक की नियुक्ति ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम’ 1946 की धारा 4A के तहत की जाती है।

  • लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम (2013) के अनुसार, सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर की जाएगी, जिसमे अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता-प्रतिपक्ष और भारत का मुख्य न्यायाधीश या उसके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश शामिल होंगे।
  • इसके अलावा, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम, 2014 द्वारा CBI निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति की संरचना में बदलाव किया गया। इसमें कहा गया है, कि लोकसभा में विपक्ष का कोई मान्यता प्राप्त नेता नहीं होने की स्थिति में, लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को, इस समिति के सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate):

इस निदेशालय की स्थापना, 1 मई, 1956 को, ‘विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम’, 1947 (FERA ’47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ का गठन किए जाने के साथ की गयी थी।

  • वर्ष 1957 में, इस इकाई का नाम बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) कर दिया गया।
  • ‘प्रवर्तन निदेशालय’, वर्तमान में, वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का एक भाग है।
  • इस संगठन का कार्य, दो विशेष राजको‍षीय विधियों- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (Foreign Exchange Management Act, 1999 – FEMA) और धनशोधन निवारण अधिनियम,2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002 – PMLA) के प्रावधानों को प्रवर्तित करना है।

संरचना:

प्रवर्तन निदेशालय में, कार्मिकों की सीधी भर्ती के अलावा, विभिन्न जाँच अभिकरणों अर्थात् सीमा-शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आय-कर, पुलिस आदि से प्रतिनियुक्ति के आधार पर अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

  1. ‘प्रकाश सिंह मामले’ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विवरण और संबंधित आदेशों के बारे में आप क्या जानते हैं? जानकारी के लिए पढ़िए
  2. क्या सीबीआई ने अपनी स्वायत्तता खो दी है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सीबीआई की स्थापना की सिफारिश किसके द्वारा की गई थी?
  2. सीबीआई किसके प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करती है?
  3. क्या यह एक ‘वैधानिक निकाय’ है?
  4. सीबीआई के निदेशक का चयन करने हेतु समिति
  5. ‘विनीत नारायण’ मामला किससे संबंधित है?
  6. प्रकाश सिंह मामले का फैसला- सिंहावलोकन

मेंस लिंक:

क्या आपको लगता है, कि सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्त होने वाले अधिकारी का न्यूनतम कार्यकाल छह महीने का होना चाहिए? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

ईरान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी प्रमुख को वार्ता हेतु आमंत्रण


संदर्भ:

संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों द्वारा ईरानी अधिकारियों के साथ संपर्कों की कमी पर चिंता व्यक्त किए जाने के पश्चात्, ईरान ने संयुक्त राष्ट्र संघ के परमाणु निकाय ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ (IAEA) के प्रमुख को वार्ता के लिए तेहरान आमंत्रित किया है।

इससे पहले, IAEA द्वारा ‘अपकेंद्रित्र घटक’ (Centrifuge Component) निर्माण कार्यशाला में उपकरण का निरीक्षण करने हेतु ‘अत्यावश्यक’ पहुंच नहीं दिए जाने की शिकायत की गयी थी।

इन उपायों की आवश्यकता:

ईरान द्वारा 120 किलोग्राम (265 पाउंड) से अधिक 20% संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन किया गया है, जोकि ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से कहीं ज्यादा अधिक है।

संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA):

वर्ष 2015 में हस्ताक्षरित परमाणु समझौते के अंतर्गत, ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करने के बदले ‘आर्थिक प्रोत्साहन’ देने का वादा किया गया था। इस समझौते का उद्देश्य ‘तेहरान’ को परमाणु बम विकसित करने से रोकना है।

  • वर्ष 2018 में अमेरिका ने, तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान इस समझौते से एकतरफा तरीके से हाथ खीच लिए, किंतु समझौते में शामिल अन्य देशों- ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस ने इस समझौते को बनाए रखने की कोशिश की है।
  • विश्व शक्तियों के साथ हुए इस समझौते में, अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ईरान को उसके अनुसंधान रिएक्टर के लिए आवश्यक 20% संवर्धित यूरेनियम प्रदान किए जाने पर सहमति हुई थी।
  • परमाणु समझौते की शर्तों के तहत, ईरान को अपनी अनुसंधान रिएक्टर गतिविधियों को छोड़कर, 67% से अधिक संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन करने से प्रतिबंधित किया गया था।

iran_nuclear

 

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बारे में:

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की स्थापना, वर्ष 1957 में संयुक्त राष्ट्र संघ भीतर ‘वैश्विक शांति के लिए परमाणु संगठन’ के रूप की गयी थी।

  • यह एक अंतरराष्ट्रीय स्वायत संगठन है।
  • IAEA, संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा सुरक्षा परिषद दोनों को रिपोर्ट करती है।
  • इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है।

प्रमुख कार्य:

  1. IAEA, अपने सदस्य देशों तथा विभिन्न भागीदारों के साथ मिलकर परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, सुदृढ़ और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
  2. इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना तथा परमाणु हथियारों सहित किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए इसके उपयोग को रोकना है।

IAEA द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम:

  1. कैंसर थेरेपी हेतु कार्रवाई कार्यक्रम (Program of Action for Cancer Therapy- PACT)
  2. मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम
  3. जल उपलब्धता संवर्धन परियोजना
  4. नवोन्मेषी परमाणु रिएक्टरों और ईंधन चक्र पर अंतर्राष्ट्रीय परियोजना, 2000

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप भारत की ‘परमाणु मारक क्षमता’ (Nuclear Triad) के बारे में जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. JCPOA क्या है? हस्ताक्षरकर्ता
  2. ईरान और उसके पड़ोसी।
  3. IAEA क्या है? संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंध
  4. IAEA के सदस्य
  5. IAEA के कार्यक्रम।
  6. बोर्ड ऑफ गवर्नर- रचना, मतदान और कार्य
  7. यूरेनियम संवर्धन क्या है?

मेंस लिंक:

संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA)  पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन


संदर्भ:

हाल ही में ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ (Rashtriya Gokul Mission) के प्रदर्शन पर एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ क्या है?

सरकार द्वारा, राष्ट्रीय पशु प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम (National Programme for Bovine Breeding and Dairy Development – NPBBD) के तहत दुधारू पशुओं की स्वदेशी नस्लों के संरक्षण और विकास हेतु वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ शुरू किया गया था।

मिशन के प्रमुख उद्देश्य:

  1. दुधारू पशुओं की स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण।
  2. स्वदेशी पशुओं के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम। इससे पशुओं में अनुवांशिक सुधार और पशुओं की संख्या में वृद्धि संभव होगी।
  3. दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने की कोशिश।
  4. साहीवाल, राठी, देउनी, थारपारकर, रेड सिन्धी और अन्य कुलीन स्वदेशी नस्लों के जरिए बाकी नस्लों को उन्नत बनाना।
  5. प्राकृतिक सेवा के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का वितरण।

योजना का कार्यान्वयन:

  1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन राज्यों के पशुधन विकास बोर्ड जैसे संस्थानों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
  2. राज्य गौसेवा आयोग को ‘राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (State Implementing Agency- SIA) के तहत ‘पशुधन विकास बोर्ड’ के प्रस्ताव को प्रायोजित करने और इन प्रायोजित प्रस्तावों की निगरानी का आदेश दिया गया है।
  3. स्वदेशी पशु विभाग में सर्वश्रेष्ठ जर्मप्लाज्म सहित महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एजेंसियों, जैसे CCBF, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि या पशुपालन विश्वविद्यालय, कॉलेज, एनजीओ, सहकारी समितियां और गौशालाएं इसमें प्रतिभागी एजेंसियां हैं।

‘गोकुल ग्राम’ क्या हैं?

गोकुल ग्राम देशी पशु केंद्र और अधिनियम स्वदेशी नस्लों के विकास के लिए केंद्र के रूप में काम कर रहे है।

  • इस योजना के लिए फंड एकीकृत स्वदेशी पशु केंद्र, गोकुल ग्राम की स्थापना के लिए दिया जाता है।
  • गोकुल ग्राम मूल प्रजनन इलाकों और शहरी आवास के लिए मवेशियों के पास महानगरों में स्थापित किये जाते है।

गोकुल ग्राम की भूमिका एवं दायित्व:

  1. गायों के प्रजनन क्षेत्र में किसानों को उच्च आनुवंशिक प्रजनन स्टॉक की आपूर्ति के लिए एक भरोसेमंद स्रोत है। गोकुल ग्राम किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र में आधुनिक सुविधाएं देता है।
  2. 1000 जानवरों की क्षमता वाले इन गोकुल ग्रामों में दुग्ध उत्पादक और अनुत्पादक पशुओं का अनुपात 60:40 होता है।
  3. गोकुल ग्राम, पशुओं के पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए घर में चारा उत्पादित करने के लिए बनाये गए हैं।
  4. गोकुल ग्राम वास्तव में एक आर्थिक संस्थान की तर्ज पर विकसित किया गया है, जिसमें निम्नलिखित वस्तुओं की बिक्री के जरिए आर्थिक संसाधन पैदा किया जा रहे है: दूध जैविक खाद केंचुआ–खाद मूत्र डिस्टिलेट घरेलू खपत के लिए बायो गैस से बिजली का उत्पादन पशु उत्पादों की बिक्री आदि।
  5. महानगरीय गोकुल ग्राम में शहरी मवेशियों के आनुवंशिक उन्नयन पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

कई राज्यों में ‘आवारा पशुओं’ की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनके बारे में संक्षिप्त रूप से जानकारी के लिए पढ़िए।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. गोकुल ग्राम क्या हैं?
  2. क्या वे महानगरों में स्थापित हो सकते हैं?
  3. गोकुल ग्राम द्वारा दुधारू और अनुत्पादक पशुओं का अनुपात
  4. ‘राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम’ (NPBBD) के राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में
  5. राष्ट्रीय गोकुल मिशन कब शुरू किया गया था?

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय गोकुल मिशन पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

ग्रीन बांड


संदर्भ:

चिप निर्माता माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक, रिटेलर वॉलमार्ट इंक और डेटा-सेंटर कंपनी इक्विनिक्स इंक सहित अमेरिकी कंपनियों द्वारा ‘ग्रीन बांड’ (Green Bonds) को अपने बड़े पारंपरिक ‘बांड प्रस्तावों’ में शामिल किए जाने के बाद, ‘कॉरपोरेट ग्रीन-बॉन्ड’ जारी किए जाने की नई ऊंचाई पर पहुंच गए है।

आवश्यकता:

जब कंपनियों को निवेशकों, नियामकों और कर्मचारियों द्वारा पर्यावरण में सुधार के लिए कदम उठाने हेतु  दिए जाने वाले दबाव का सामना करना पड़ता है, तब इनके द्वारा पर्यावरण-अनुकूल परियोजनाओं को वित्तपोषित करने वाले ‘हरित बांड’ / ‘ग्रीन बांड्स’ जारी किए जाते हैं। संधारणीय लक्ष्यों से संबंधित ऋण जारी करने के द्वारा भी ऐसा किया जा सकता है।

‘ग्रीन बॉन्ड’ क्या है?

‘ग्रीन बॉन्ड’ (Green Bond), एक प्रकार का ‘निश्चित आय’ उपकरण होते है, जिसे विशेष रूप से जलवायु और पर्यावरण संबंधित परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए निर्धारित किया जाता है।

  • ये बांड, आम तौर पर किसी परिसंपत्ति से संबद्ध होते हैं, और जारीकर्ता इकाई की बैलेंस शीट द्वारा समर्थित होते हैं, इसलिए इन बांड्स को प्रायः जारीकर्ता के अन्य ऋण दायित्वों के समान ‘क्रेडिट रेटिंग’ दी जाती है।
  • निवेशकों को आकर्षित करने हेतु ‘ग्रीन बांड’ में निवेश करने पर प्रोत्साहन के रूप में ‘करों’ आदि से कुछ छूट के साथ भी जारी किया जाता सकता है।
  • विश्व बैंक, ‘हरित बांड’ / ग्रीन बांड’ जारी करने वाली एक प्रमुख संस्था है। इसके द्वारा वर्ष 2008 से अब तक 164 ‘ग्रीन बांड’ जारी किए गए हैं, जिनकी कीमत संयुक्त रूप से 14.4 बिलियन डॉलर है। ‘क्लाइमेट बॉन्ड इनिशिएटिव’ के अनुसार, वर्ष 2020 में, लगभग 270 बिलियन डॉलर कीमत के ग्रीन बॉन्ड जारी किए गए थे।

‘ग्रीन बॉन्ड’ की कार्य-प्रणाली:

ग्रीन बॉन्ड, किसी भी अन्य कॉरपोरेट बॉन्ड या सरकारी बॉन्ड की तरह ही काम करते हैं।

  • ऋणकर्ताओं द्वारा इन प्रतिभूतियों को, पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली या प्रदूषण को कम करने जैसे ‘सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव’ डालने वाली परियोजनाओं के ‘वित्तपोषण’ को सुरक्षित करने के लिए जारी किया जाता है।
  • इन बांडों को खरीदने वाले निवेशक, इनके परिपक्व होने या अवधि पूरी होने पर, उचित लाभ अर्जित करने की उम्मीद कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, ग्रीन बॉन्ड में निवेश करने पर अक्सर ‘कर’ संबंधी लाभ भी प्राप्त होते हैं।

 

ग्रीन बॉन्ड बनाम ब्लू बॉन्ड:

‘ब्लू बॉन्ड’ (Blue Bonds), समुद्र और संबंधित पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा हेतु परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए जारी किए जाने वाले ‘संधारणीयता बांड’ होते हैं।

  • यह बांड, संवहनीय मत्स्य पालन, प्रवाल भित्तियों और अन्य संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा, अथवा प्रदूषण और अम्लीकरण को कम करने वाली परियोजनाओं के लिए जारी किए जा सकते हैं।
  • सभी ब्लू बॉन्ड, ‘ग्रीन बॉन्ड’ होते हैं, लेकिन सभी ‘ग्रीन बॉन्ड’, ब्लू बॉन्ड नहीं होते हैं।

‘ग्रीन बांड बनाम जलवायु बांड’

“ग्रीन बॉन्ड्स” और “क्लाइमेट बॉन्ड्स” को कभी-कभी एक-दूसरे के पर्यायवाची की तरह इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ‘क्लाइमेट बॉन्ड्स’ शब्द को कुछ अधिकारी, विशेष रूप से कार्बन उत्सर्जन को कम करने या जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने पर केंद्रित परियोजनाओं के लिए उपयोग करते हैं।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘ग्रीन बांड’ के बारे में
  2. कार्य-प्रणाली
  3. विशेषताएं
  4. ये ब्लू बांड से किस प्रकार भिन्न होते हैं।

मेंस लिंक:

ग्रीन बॉन्ड के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


अफगानिस्तान का हज़ारा जातीय समूह

हजारा (Hazara), मध्य अफगानिस्तान में रहने वाला एक फ़ारसी भाषी जातीय समूह हैं, और मुख्य रूप से हज़ाराजत (Hazarajat) पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं।

  • माना जाता है कि ये मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज खान और उनकी सेना के वंशज हैं, जिन्होंने 13 वीं शताब्दी के दौरान पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।
  • उनकी विशिष्ट एशियाई शारीरिक विशेषताएं और ‘हजारगी’ (Hazaragi) नामक फ़ारसी बोली, उन्हें देश के बाकी हिस्सों से अलग करती है।
  • हज़ारा जातीय समूह को अफ़ग़ानिस्तान के सबसे उत्पीड़ित समूहों में से एक माना जाता है।

 

बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना

बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना (Biju Swasthya Kalyan Yojana – BSKY) ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गयी है।

  • इसके तहत, राज्य में लगभग 96 लाख परिवारों के लिए 5 लाख रुपये तक के कैशलेस स्वास्थ्य देखभाल कवरेज प्रदान किया जाएगाहै। BSKY के तहत महिला लाभार्थियों के लिए ‘व्यय की सीमा’ 10 लाख रुपये निर्धारित की गयी है।
  • स्मार्ट कार्ड धारकों को राज्य के 200 से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों में कैशलेस स्वास्थ्य बीमा लाभ दिया जाएगा।

Join our Official Telegram Channel HERE for Motivation and Fast Updates

Subscribe to our YouTube Channel HERE to watch Motivational and New analysis videos

[ad_2]

Leave a Comment