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विषय सूची:
सामान्य अध्ययन-II
1. ग्लोबल हंगर इंडेक्स
2. टीबी उन्मूलन प्रयासों पर कोविड-19 का प्रभाव
3. इबोला का प्रकोप
4. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम
सामान्य अध्ययन-III
1. चीन में हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन का परीक्षण
2. COP26 जलवायु सम्मेलन
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. हेनरीएटा लैक्स
2. फ्लावर स्कॉर्पियनफिश
सामान्य अध्ययन- II
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स
संदर्भ:
हाल ही में, ’ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ 2021 (Global Hunger Index -2021) जारी किया गया है।
भारत का प्रदर्शन:
- भारत, 116 देशों की सूची में सात पायदान नीचे 101वें स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भूख का स्तर ‘गंभीर’ (Serious) श्रेणी में है।
- दक्षिण एशियाई देशों में, भारत चौथे स्थान पर है।
- सूचकांक में केवल 15 अन्य देश, भारत से निचले स्थान पर हैं।
- बांग्लादेश (76), नेपाल (76) और पाकिस्तान (92), ने सूचकांक में भारत की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।
- वर्ष 2020 के सूचकांक में, भारत 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर था।
- हालिया दो दशकों के दौरान, सूचकांक पर भारत के स्कोर में 10 अंकों की गिरावट हुई है।
- वैश्विक स्तर पर, ‘बाल-दुर्बलता’ (Child Wasting) या ‘ऊंचाई के अनुपात में कम वजन’ मापदंड में भारत का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। इस श्रेणी में भारत का प्रदर्शन जिबूती और सोमालिया से भी खराब रहा है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) क्या है?
‘वैश्विक भूख सूचकांक’ या ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ (GHI) एक सहकर्मी-समीक्षित प्रकाशन (Peer-Reviewed Publication) है, जिसे प्रतिवर्ष वेल्ट हंगर हिल्फे (Welt Hunger Hilfe) तथा कंसर्न वर्ल्डवाइड (Concern Worldwide) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है।
- पहली जीएचआई रिपोर्ट का प्रकाशन वर्ष 2006 में हुआ था।
- यह सूचकांक “वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूखमरी को विस्तारपूर्वक मापने और ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक साधन” है।
GHI में देशों की रैंकिंग किस प्रकार की जाती है?
GHI स्कोर, एक सूत्र पर आधारित होता है, जिसमे भूख के तीन आयामों- अपर्याप्त कैलोरी सेवन, बाल कुपोषण और बाल मृत्यु दर– को सम्मिलित किया जाता है।
GHI रैंकिंग निर्धारित करने हेतु ‘100 अंकों के पैमाने पर’ सभी देशों के ‘स्कोर’ की गणना के लिए चार संकेतकों पर विचार किया जाता है:
- अल्पपोषण (UNDERNOURISHMENT): अल्प-पोषित आबादी का हिस्सा जो अपर्याप्त कैलोरी सेवन को दर्शाता है।
- बाल-दुर्बलता (CHILD WASTING): पांच वर्ष से कम उम्र के वे बच्चे, जिनका वज़न उनकी लंबाई के अनुपात में कम होता है, तीव्र कुपोषण को दर्शाता है।
- बच्चों में नाटापन (CHILD STUNTING): पांच वर्ष से कम उम्र के वे बच्चे आते हैं जिनकी लंबाई आयु के अनुपात में कम होती है। यह दीर्घकालिक कुपोषण को दर्शाता है।
- बाल मृत्यु दर (CHILD MORTALITY): पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर।
प्रत्येक संकेतक और उनके सामूहिक परिणामों के आधार पर एक तीन-चरणीय प्रक्रिया के तहत किसी देश के ‘जीएचआई स्कोर’ की गणना की जाती है। सूचकांक में 0 से 100 अंको के मापक पर देशों की रंकिग की जाती है, जिसमे ‘0’ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (भूखमरी-मुक्त) तथा ‘100’ सबसे ख़राब प्रदर्शन को दर्शाता है।
सूचकांक में भारत की स्थिति अधिक खराब होने के कारण:
संघर्षों, जलवायु परिवर्तन और नोवल कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) महामारी की वजह से भारत सहित दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा की स्थिति गंभीर हुई है।
भारत द्वारा द्वारा वर्ष 2021 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स रैंकिंग को खारिज किए जाने के कारण:
सूचकांक के देश की रैंकिंग में गिरावट दिखाए जाने पर भारत ने ‘कार्यप्रणाली’ और ‘आंकड़ों के स्रोतों’ पर सवाल उठाते हुए वार्षिक रूप से प्रकाशित होने वाली ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के प्रकाशकों के खिलाफ कड़ा विरोध जताया है। वर्ष 2020 के सूचकांक में भारत की रैंकिंग 94 थी, जोकि वर्ष 2021 के सूचकांक में गिरकर 101 हो गयी है।
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 में भारत की रैंकिंग में ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (FAO) द्वारा जारी अनुमानों के आधार पर गिरावट की गयी है।
- ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ की कार्य-पद्धति को “अवैज्ञानिक” करार देते हुए, भारत ने कहा है, कि “अल्पपोषण (UNDERNOURISHMENT) को वैज्ञानिक तरीके से मापने के लिए ‘वजन’ और ‘ऊंचाई’ को मापने की जरूरत होती है, जबकि ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021’ की कार्य-पद्धति, टेलीफोन द्वारा किए गए आम जनता के ‘गैलप पोल’ (Gallup poll) अर्थात ‘जनमत निर्धारित करने का मतदान’ पर आधारित है”।
- इसके अलावा, भारत ने कहा कि “रिपोर्ट में कोविड-काल के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए व्यापक प्रयासों की, सत्यापन योग्य डेटा भी उपलब्ध होने के बावजूद, पूरी तरह से अवहेलना की गयी है”।
प्रीलिम्स लिंक:
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) के बारे में
- GHI किसके द्वारा जारी किया जाता है?
- GHI में अंक निर्धारण एवं संकेतक
- देशों की रैंकिंग
- भारत का प्रदर्शन
- भारत तथा पड़ोसी देशों की GHI में स्थिति
मेंस लिंक:
नवीनतम ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत के प्रदर्शन पर चर्चा कीजिए। रैंकिंग पद्धति में सुधार हेतु उपाय भी सुझाएं।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
टीबी उन्मूलन प्रयासों पर कोविड-19 का प्रभाव
संदर्भ:
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ‘ग्लोबल टीबी रिपोर्ट’ (Global TB report) जारी की गई है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- नोवेल कोरोनावायरस महामारी (कोविड-19) के कारण वर्ष 2020 के दौरान संपूर्ण विश्व को तपेदिक (टीबी) उन्मूलन की दिशा में भारी उलटफेर का सामना करना पड़ा है।
- कोविड-19 का सबसे ज्यादा असर नए मामलों का पता लगाने के मामले में देखा गया। अर्थात, नैदानिकी के लिए सीमित पहुँच और महामारी को रोकने हेतु लगाए गए प्रतिबंध की वजह से बड़ी संख्या में ‘तपेदिक’ के नए मामलों का पता नहीं चल पाया है। जहाँ, वर्ष 2016-2019 के बीच, टीबी के नए मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गयी थी, किंतु वर्ष 2020 में यह संख्या नाटकीय रूप से गिरकर 20 प्रतिशत हो गई।
- वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में टीबी के मामलों के दर्ज होने में वैश्विक स्तर पर इस बड़ी गिरावट का कारण, वास्तव में बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या और वर्ष 2020 में ‘नैदानिक’(diagnosed) नए लोगों की संख्या के बीच का अंतर है। रिपोर्ट के अनुमानों के अनुसार, यह अंतर लगभग 4.1 मिलियन मामलों का है।
- नए मामलों का पता लगाने में, भारत में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गयी है। वर्ष 2019 की तुलना में, 2020 के दौरान विश्व स्तर पर टीबी बीमारी के कम हुए कुल मामलों में से लगभग 41 प्रतिशत मामले भारत से हैं। इस प्रकार, देश में टीबी के मामलों का एक बड़ा हिस्सा गायब हो गया।
- नए मामलों के दर्ज होने में गिरावट का सबसे बड़ा नतीजा यह है, कि इसके परिणामस्वरूप टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। टीबी को 2019 तक वैश्विक स्तर पर मौत का 13वां प्रमुख कारण बताया गया था। भारी असफलताओं के कारण, अब अनुमान रूप से यह, कोविड-19 के बाद, मौत का दूसरा प्रमुख कारण बन गया है।
- वर्ष 2020 तक टीबी रोग के भार में कमी लाने के लिए ‘टीबी उन्मूलन करने की रणनीति’ के तहत कारण टीबी से होने वाली मौतों की संख्या में 35 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य रखा गया था। इसके स्थान पर, इसी समयावधि में वैश्विक स्तर पर टीबी मामलों में केवल 9.2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी।
तपेदिक (टीबी) के बारे में:
- टीबी या तपेदिक / क्षय रोग, बेसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस (Bacillus Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है।
- यह आमतौर पर फेफड़ों (फुफ्फुसीय टीबी- pulmonary TB) को प्रभावित करता है, किंतु यह इसके अलावा मानव-शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभावित कर सकता है।
- यह बीमारी, फुफ्फुसीय टीबी से पीड़ित व्यक्ति की खांसी या किसी अन्य माध्यम से वायु में बैक्टीरिया पहुँचने से फैलती है।
इस संबंध में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयास:
- भारत, टीबी को समाप्त करने के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित राष्ट्रीय रणनीतिक योजना को आक्रामक ढंग से लागू कर रहा है।
- भारत में, पिछले कुछ वर्षों में पांच करोड़ लोगों का उपचार किया गया है।
- भारत, राष्ट्रीय स्तर पर टीबी निवारक उपचार (TB preventive treatment– TPT) और गतिविधियों में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- भारत का प्रयास, संयुक्त राष्ट्र उच्चस्तरीय बैठक (UN High-Level Meeting– UNHLM) के लक्ष्यों करना है, जिसके तहत शेष 18 महीनों में, वैश्विक स्तर पर 4 करोड़ व्यक्तियों का टीबी उपचार तथा 3 करोड़ व्यक्तियों को टीबी निवारक उपचार प्रदान किया जाना है।
- वर्ष 2020 में गठित राज्यों और जिलों का उप-राष्ट्रीय प्रमाणन कार्यक्रम: इस पहल में विभिन्न श्रेणियों के तहत ‘टीबी मुक्त दर्जे की दिशा में प्रगति’ पर जिलों/राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों को चिन्हित किया जाता है, जिसे टीबी की घटनाओं में गिरावट के हिसाब से मापा जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ‘बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) टीका’ (BCG vaccine) के बारे में जानते हैं? इसका क्या उपयोग है?
प्रीलिम्स लिंक:
- क्षय रोग संबधी सतत् विकास लक्ष्य (SDG)
- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) तथा इसके लक्ष्य क्या है?
- केंद्रीय टीबी प्रभाग (CTD) के बारे में
- वार्षिक टीबी रिपोर्ट किसके द्वारा जारी की जाती है?
- क्षय रोग क्या है? यह किस प्रकार होता है?
मेंस लिंक:
“भारत की टीबी रिपोर्ट को देश की ‘हंगर इंडेक्स’ में निचली स्थिति के आलोक में देखा जाना चाहिए”, हाल ही में जारी ‘वार्षिक क्षय रोग रिपोर्ट’ के प्रकाश में इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
इबोला का प्रकोप
संदर्भ:
इबोला के प्रकोप का अंत किए जाने के 4 महीने बाद ‘लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो’ में फिर से इसके मामले देखे गए हैं।
पृष्ठभूमि:
वर्ष 2014-2016 में फैले इबोला के प्रकोप में 11,300 व्यक्तियों की मौत हो गयी थी, जिनमें से ज्यादातर मौतें अफ्रीकी देशों- गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया में हुई थी।
एक अन्य अफ्रीकी देश, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) द्वारा मई 2021 में, आधिकारिक तौर पर 12वें इबोला प्रकोप के अंत की घोषणा की गयी थी।
‘इबोला’ के बारे:
- इबोला विषाणु रोग (Ebola virus disease– EVD), मनुष्यों में फैलने वाली एक घातक बीमारी है। इसके लिए पहले ‘इबोला रक्तस्रावी बुखार’ (Ebola haemorrhagic fever) के रूप में जाना जाता था।
- इबोला का प्रसरण: यह विषाणु, वन्यजीवों से मनुष्यों में फैलता है और फिर मानव आबादी में मानव-से-मानव संचरण के माध्यम से फैलता है।
- औसतन इबोला विषाणु रोग (EVD) मामलों में मृत्यु दर लगभग 50% होती है। इस बीमारी के पिछले प्रकोपों के दौरान संक्रमित मामलों में मृत्यु दर 25% से 90% तक परिवर्तित होती रही है।
- निवारण / रोकथाम: इस बीमारी के प्रकोप को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी अति महत्वपूर्ण है। प्रकोप पर अच्छे तरीके से नियंत्रण, संक्रमित मामलों का प्रबंधन, निगरानी और संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करना, उपयुक्त प्रयोगशाला सेवाएँ, और सामाजिक जागरूकता पर निर्भर करता है।
- उपचार: पुनर्जलीकरण (rehydration) सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ प्रारंभिक सहायक देखभाल और लाक्षणिक उपचार, रोगी के जीवित रहने में अवसरों में सुधार करता है। अभी तक, इस विषाणु को निष्प्रभावी करने के कोई भी प्रमाणिक उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि, रक्त- चिकित्सा, प्रतिरक्षा और ड्रग थेरेपी आदि रोगोपचार विकसित किए जा रहे हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल’ (Public Health Emergency of International Concern – PHEIC) के बारे में जानते हैं? अब तक कितनी बार पीएचईआईसी घोषणाएं की जा चुकी हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘इबोला’ बीमारी किस प्रकार फैलती है?
- ‘ज़ूनोटिक रोग’ क्या होते हैं?
- वायरस, बैक्टीरिया और अन्य रोगजनकों के मध्य अंतर
- ‘कांगो’ की अवस्थिति?
- इबोला प्रकोप से ग्रसित होने वाले अफ्रीकी क्षेत्र?
मेंस लिंक:
कांगो गणराज्य द्वारा इबोला महामारी पर किस प्रकार नियंत्रण पाया गया? चर्चा कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
फेडरल बैंक लिमिटेड में ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम’ (International Finance Corporation – IFC) की हिस्सेदारी से ‘कोयला प्रतिबद्धता’ में कोई फरक नहीं पड़ा है।
संबंधित प्रकरण:
- अंतर्राष्ट्रीय निकाय द्वारा जुलाई 2021 में भारत के 7वें सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक को कोयले के वित्तपोषण पर रोक लगाने को कहा गया था।
- यह वाणिज्यिक बैंक, जिंदल स्टील वर्क्स (JSW) एनर्जी लिमिटेड और अदानी पावर राजस्थान लिमिटेड जैसी फर्मों के लिए एक प्रमुख ऋणदाता है।
इससे भारत के ऊर्जा उत्पादन पर असर पड़ने की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) के बारे में:
- यह एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है जो विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश, सलाहकार और संपत्ति प्रबंधन सेवाएं प्रदान करता है।
- यह विश्व बैंक समूह का सदस्य है और इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन, डी.सी. में है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1956 में विश्व बैंक समूह की निजी क्षेत्रक शाखा के रूप में की गयी थी, तथा इसका उद्देश्य गरीबी को कम करने तथा विकास को बढ़ावा देने हेतु केवल लाभ-कारी तथा व्यावसायिक परियोजनाओं में निवेश करके आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना है।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम का स्वामित्व तथा प्रशासन सदस्य देशों द्वारा किया जाता है, किंतु इसके कार्य-संचालन के लिए इसका निजी कार्यकारी कार्यालय तथा कर्मचारी हैं।
- यह एक निगम है जिसके शेयरधारक सदस्य देशों की सरकारें होती हैं। ये सदस्य देश निवेश हेतु राशि प्रदान करते है, तथा इन्हें अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम से संबंधित विषयों पर मतदान का अधिकार है।
भूमिकाएं और कार्य:
- वर्ष 2009 से, IFC ने नए विकास लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिन्हें इसकी परियोजनाओं द्वारा पूरा किया जायेगा। इसका लक्ष्य संवहनीय कृषि के अवसरों को बढ़ाना, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में सुधार, माइक्रोफाइनेंस, अवसंरचना निर्माण, छोटे व्यवसायों की राजस्व वृद्धि तथा जलवायु स्वास्थ्य में निवेश करने में सहायता करना है।
- यह विभिन्न प्रकार के ऋण तथा इक्विटी फाइनेंसिंग सेवायें प्रदान करता है और कंपनियों को ऋण जोखिम का सामना करने में सहायता करता है।
- यह सरकारों को निजी क्षेत्र के विकास को और अधिक सहयोग देने हेतु बुनियादी ढांचे और भागीदारी के निर्माण पर सलाह देता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- विश्व बैंक समूह के तहत संस्थाएँ
- IDA और IBRD के मध्य अंतर
- IDA द्वारा ऋण के प्रकार
- IFC के बारे में
- विश्व बैंक के महत्वपूर्ण संस्थानों का मुख्यालय
- ओपन डेटा पहल क्या है?
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
चीन में ‘हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन’ का परीक्षण
चीन ने अगस्त में एक ‘परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन’ (China’s hypersonic glide vehicle) का परीक्षण किया था। परीक्षण के दौरान, इसने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से पहले, दुनिया का एक चक्कर लगाया।
‘हाइपरसोनिक गति’ क्या हैं?
हाइपरसोनिक गति (Hypersonic speeds), ध्वनि की गति से 5 या अधिक गुना तेज होती है।
भारत एवं विश्व के लिए चिंताएं और निहितार्थ:
- सैधांतिक रूप में यह अस्त्र दक्षिणी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरने में सक्षम है। चूंकि अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली उत्तरी ध्रुवीय मार्ग पर केंद्रित है, अतः चीन का यह हथियार अमेरिकी सेना के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
- हाल के दिनों में चीन के साथ संबंधों को देखते हुए, भारत विशेष रूप से नवीनतम घटनाओं को लेकर चिंतित है। चीन के पास इस तरह की क्षमताएं, जमीनी संपत्ति के साथ-साथ हमारी अंतरिक्षीय संपत्तियों के लिए खतरे पैदा कर सकती हैं।
प्रयुक्त तकनीक:
इस विशेष परीक्षण में चीन द्वारा प्रयुक्त तकनीक पर सटीक विवरण के बारे में अभी जानकारी नहीं है। लेकिन अधिकांश हाइपरसोनिक वाहनों में मुख्य रूप से ‘स्क्रैमजेट तकनीक’ (Scramjet Technology) का उपयोग किया जाता है।
‘स्क्रैमजेट तकनीक’ के बारे में:
‘स्क्रैमजेट’ (Scramjets), ध्वनि की गति के गुणकों में गति के वायु-प्रवाह को संभालने के लिए डिज़ाइन किए गए इंजनों की एक श्रेणी है।
- एक ‘एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट इंजन’ (Air-Breathing Scramjet Engine) में, वायुमंडल से हवा दो मैक से अधिक की सुपरसोनिक गति से इंजन के दहन कक्ष में प्रवेश करती है।
- दहन कक्ष में, यह हवा वहां मौजूद ईंधन से मिलकर ‘सुपरसोनिक दहन’ (Supersonic Combustion) उत्पन्न करती है, किंतु, इस तकनीक में, क्रूजर की उड़ान अधिकतम छह से सात मैक (Mach) की हाइपरसोनिक गति से हो सकती है। इसलिए इसे ‘सुपरसोनिक दहन रैमजेट’ (Supersonic Combustion Ramjet) या स्क्रैमजेट कहा जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और ISRO दोनों के द्वारा हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी का विकास और परीक्षण किया जा चुका है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- HSTDV को किसके द्वारा विकसित किया गया है?
- हाइपरसोनिक तकनीक का सफल परीक्षण करने वाले देश
- स्क्रैमजेट क्या है?
- ICBM क्या हैं?
- क्रूज मिसाइल क्या हैं?
- बैलिस्टिक मिसाइलें क्या हैं?
मेंस लिंक:
हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन वाहन (HSTDV) के सफल परीक्षण का भारत के लिए क्या महत्व है? चर्चा करें।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
COP26 जलवायु सम्मेलन
संदर्भ:
यूनाइटेड किंगडम की अध्यक्षता में 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ‘COP 26’ का आयोजन किया जाएगा।
- यह ‘पक्षकारों का 26वां सम्मेलन’ होगा, इसीलिए इसे ‘COP26’ नाम दिया गया है।
- ‘COP26’ का आयोजन ‘ग्लासगो’ के स्कॉटिश इवेंट कैंपस में किया जाएगा।
‘पक्षकारों का सम्मेलन’ / ‘कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज’ के बारे में:
‘पक्षकारों का सम्मेलन’ (Conference of Parties – COP), वर्ष 1994 में स्थापित ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क अभिसमय’ (United Nations Framework Convention on Climate Change – UNFCCC) के अधीन कार्य करता है।
- UNFCCC की स्थापना “वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को स्थिर करने” की दिशा में कार्य करने के लिए की गई थी।
- COP सदस्यों द्वारा वर्ष 1995 के बाद से हर साल बैठक का आयोजन किया जाता हैं। वर्ष 1995 में पहला ‘पक्षकारों का सम्मेलन’ (COP) बर्लिन में आयोजित किया गया था।
पहले ‘पक्षकारों के सम्मेलन’ (COP1) में सदस्य देशों के लिए जिम्मेदारियों की एक सूची तैयार की गयी, जिसमें शामिल हैं:
- जलवायु परिवर्तन को कम करने के उपाय तैयार करना।
- जलवायु परिवर्तन प्रभाव के लिए ‘अनुकूलन’ की तैयारी में सहयोग करना।
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित शिक्षा, प्रशिक्षण और जन जागरूकता को बढ़ावा देना।
UNFCCC के अनुसार, COP26 में चार लक्ष्यों पर कार्य किया जाएगा:
- सदी के मध्य तक वैश्विक स्तर पर ‘नेट-जीरो’ उत्सर्जन को सुनिश्चित करना और 1.5 डिग्री के तापमान लक्ष्य को पहुँच के भीतर रखना।
- समुदायों और प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए सामंजस्य स्थापित करना।
- वित्त जुटाना: पहले दो लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, विकसित देशों द्वारा वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष जलवायु वित्त में कम से कम $ 100bn जुटाने संबंधी अपने वादे को पूरा करना।
- ‘पेरिस नियम पुस्तिका को अंतिम रूप देना’: पेरिस समझौते को पूरा करने में सहायक, विस्तृत नियमों की एक सूची तैयार करने के लिए वैश्विक नेताओं द्वारा मिलकर कार्य करना।
भारत द्वारा अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए उपाय:
- यह भारत के लिए अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (Nationally Determined Contribution- NDC) को अद्यतन करने का समय है। (NDC, राष्ट्रीय उत्सर्जन में कटौती के लिए प्रत्येक देश द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों का विवरण होता है)।
- देश में विकास की गति तेज करने के लिए ‘सेक्टर दर सेक्टर’ योजनाएं बनाए जाने की आवश्यकता है। हमें विद्युत् और परिवहन क्षेत्र को कार्बन-मुक्त (डीकार्बोनाइज) करना होगा।
- कोयला क्षेत्र को किस प्रकार प्रतिस्थापित किया जा सकता है? इसके लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए। भारत के लिए यह घोषणा करने का समय आ गया है कि मौजूदा इकाईयों के अलावा अन्य कोयला-चालित विद्युत् संयंत्रों का निर्माण नहीं किया जाएगा। भारत को अपने जलवायु परिवर्तन संबंधी कानूनी और संस्थागत ढांचे में भी तेजी लाने की जरूरत है।
इंस्टा जिज्ञासु:
वर्ष 1997 में जापान के ‘क्योटो’ शहर में आयोजित COP3 में, प्रसिद्ध क्योटो प्रोटोकॉल को अपनाया गया था। ‘क्योटो संधि’ क्या है?
भारत द्वारा 23 अक्टूबर से 1 नवंबर 2002 तक नई दिल्ली में आठवें सीओपी (COP8) की मेजबानी की गयी थी। इसके क्या परिणाम थे?
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
हेनरीएटा लैक्स
70 साल पहले सर्वाइकल कैंसर से मरने वाली एक अफ्रीकी-अमेरिकी महिला हेनरीएटा लैक्स (Henrietta Lacks), को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 13 अक्टूबर, 2021 को मरणोपरांत सम्मान से सम्मानित किया गया।
- हेनरीएटा लैक्स की सहमति या जानकारी के बगैर एकत्र किए गए उसके बायोप्सी नमूनों ने चिकित्सा विज्ञान में असंख्य सफलताओं को संभव बनाया और कोरोनवायरस रोग (COVID-19) पर अनुसंधान में सहायता की।
- उसकी ‘कोशिकीय लाइन’ -प्रयोगशाला में अनिश्चित काल तक विभाजित किए जाने हेतु मानव कोशिकाओं की पहली अविनाशी लाइन – मानव पेपिलोमावायरस (Human Papillomavirus – HPV) टीका, पोलियो टीका, एचआईवी और कैंसर के लिए दवाओं के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण थी।
- ‘हेला’ कोशिका कहे जाने वाले, हेनरीएटा लैक्स के बायोस (Bioses), पार्किंसंस रोग, प्रजनन स्वास्थ्य (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सहित), गुणसूत्र स्थितियों, जीन मैपिंग और सटीक दवाओं पर शोधकार्यों में भी प्रमुख महत्व के थे।
फ्लावर स्कॉर्पियनफिश
होप्लोसबेस्ट्स अर्माटस (Hoplosebastes Armatus), जिसे ‘फ्लावर स्कॉर्पियनफिश’ (Flower scorpionfish) के रूप में भी जाना जाता है, रे-फिन्नड (ray-finned) / ‘स्कोर्पेनिफोर्मे’ मछली वर्ग से संबंधित है।
- पहले यह मछली प्रजाति केवल प्रशांत महासागर में पाई जाती थी लेकिन इसकी सीमा का विस्तार अब उत्तर-पश्चिमी प्रशांत से हिंद महासागर तक है।
- प्रजातियों की लंबाई 75-127 मिमी. तक होती है, जबकि शरीर की चौड़ाई 14-22 मिमी. होती है। इस प्रजाति का सिर शरीर से तुलनात्मक रूप से बड़ा और लंबा होता है।
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