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HINDI Puucho STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- निम्न ज्वार के दौरान, उच्च ज्वार थोड़ा कम होता है और निम्न ज्वार सामान्य से थोड़ा अधिक होता है।
- वृहत् ज्वार के विपरीत, निम्न ज्वार महीने में दो बार आता है, एक पूर्णिमा और दूसरा अमावस्या को।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: a)
वृहत् ज्वार (Spring tides): पृथ्वी के संबंध में सूर्य और चंद्रमा दोनों की स्थिति का ज्वार की ऊंचाई पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होने पर ज्वार की ऊंचाई अधिक होती है। इन्हें वृहत् ज्वार कहा जाता है और ये महीने में दो बार आते हैं, एक पूर्णिमा और दूसरा अमावस्या को।
वृहत् ज्वार के सात दिन बाद, सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के समकोण पर सतही होते हैं। जब ऐसा होता है, तो सूर्य के कारण समुद्र का उभार आंशिक रूप से चंद्रमा के कारण समुद्र के उभार को प्रतिस्थापित कर देता है। यह स्थिति मध्यम ज्वार उत्पन्न करती है जिसे निम्न ज्वार के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि उच्च ज्वार थोड़ा कम होता है और निम्न ज्वार औसत से थोड़ा अधिक होता है। पहली और तीसरी तिमाही के चंद्रमा के दौरान निम्न ज्वार आते हैं, जब चंद्रमा “हाफ फुल (half full)/ अर्द्ध” दिखाई देता है।
Incorrectउत्तर: a)
वृहत् ज्वार (Spring tides): पृथ्वी के संबंध में सूर्य और चंद्रमा दोनों की स्थिति का ज्वार की ऊंचाई पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होने पर ज्वार की ऊंचाई अधिक होती है। इन्हें वृहत् ज्वार कहा जाता है और ये महीने में दो बार आते हैं, एक पूर्णिमा और दूसरा अमावस्या को।
वृहत् ज्वार के सात दिन बाद, सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के समकोण पर सतही होते हैं। जब ऐसा होता है, तो सूर्य के कारण समुद्र का उभार आंशिक रूप से चंद्रमा के कारण समुद्र के उभार को प्रतिस्थापित कर देता है। यह स्थिति मध्यम ज्वार उत्पन्न करती है जिसे निम्न ज्वार के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि उच्च ज्वार थोड़ा कम होता है और निम्न ज्वार औसत से थोड़ा अधिक होता है। पहली और तीसरी तिमाही के चंद्रमा के दौरान निम्न ज्वार आते हैं, जब चंद्रमा “हाफ फुल (half full)/ अर्द्ध” दिखाई देता है।
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Question 2 of 5
सूर्य का प्रभामंडल किस स्थिति में प्रकाश के अपवर्तन द्वारा निर्मित होता है
Correctउत्तर: c)
प्रभामंडल एक वलय या प्रकाश होता है जो सूर्य के चारों ओर निर्मित होता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश पक्षाभ मेघों में उपस्थित बर्फ कणों से अपवर्तित होता है। प्रभामंडल को आमतौर पर एक चमकदार, सफेद वलय के रूप में देखा जाता है, हालांकि कभी-कभी यह रंगीन भी हो सकता है।
Incorrectउत्तर: c)
प्रभामंडल एक वलय या प्रकाश होता है जो सूर्य के चारों ओर निर्मित होता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश पक्षाभ मेघों में उपस्थित बर्फ कणों से अपवर्तित होता है। प्रभामंडल को आमतौर पर एक चमकदार, सफेद वलय के रूप में देखा जाता है, हालांकि कभी-कभी यह रंगीन भी हो सकता है।
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Question 3 of 5
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- पृथ्वी न तो गर्म होती है और न ही समय के साथ ठंडी होती है।
- पृथ्वी के विभिन्न भागों द्वारा प्राप्त ऊष्मा की मात्रा समान नहीं होती है।
- एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ऊष्मा का स्थानान्तरण पवनों के द्वारा होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: d)
पृथ्वी अपनी लगभग संपूर्ण ऊर्जा सूर्य से प्राप्त करती है। बदले में पृथ्वी सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को वापस अंतरिक्ष में लौटा देती है। परिणामस्वरूप, पृथ्वी न तो गर्म होती है और न ही समय के साथ ठंडी होती है। इस प्रकार, पृथ्वी के विभिन्न भागों द्वारा प्राप्त ऊष्मा की मात्रा समान नहीं होती है। यह भिन्नता वातावरण में दाबांतर का कारण बनती है। इससे हवाओं द्वारा ऊष्मा का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरण होता है।
Incorrectउत्तर: d)
पृथ्वी अपनी लगभग संपूर्ण ऊर्जा सूर्य से प्राप्त करती है। बदले में पृथ्वी सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को वापस अंतरिक्ष में लौटा देती है। परिणामस्वरूप, पृथ्वी न तो गर्म होती है और न ही समय के साथ ठंडी होती है। इस प्रकार, पृथ्वी के विभिन्न भागों द्वारा प्राप्त ऊष्मा की मात्रा समान नहीं होती है। यह भिन्नता वातावरण में दाबांतर का कारण बनती है। इससे हवाओं द्वारा ऊष्मा का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरण होता है।
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Question 4 of 5
तापमान व्युत्क्रमण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- तापमान व्युत्क्रमण एक ऐसी स्थिति है जहां तापमान ऊंचाई बढ़ने के साथ बढ़ता है।
- मेघाच्छादित लंबी ग्रीष्मकालीन रात्रि और प्रवाहित वायु व्युत्क्रमण के लिए आदर्श स्थिति होती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही नहीं है/हैं?
Correctउत्तर: b)
आमतौर पर, ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान घटता जाता है। इसे ह्रास की दर कहा जाता है। कई बार स्थितियां उलट जाती हैं और ह्रास की दर उलटी हो जाती है। इसे तापमान का व्युत्क्रमण कहते हैं।
व्युत्क्रमण आमतौर पर छोटी अवधि का होता है लेकिन फिर भी काफी सामान्य होता है। स्वच्छ आकाश और शांत वायु के साथ लंबी सर्दियों की रात्रि व्युत्क्रमण के लिए आदर्श स्थिति होती है। रात्रि के समय दिन की ऊष्मा विकिरित होती है, और प्रातकाल में पृथ्वी ऊपर की वायु की तुलना में ठंडी हो जाती है।
Incorrectउत्तर: b)
आमतौर पर, ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान घटता जाता है। इसे ह्रास की दर कहा जाता है। कई बार स्थितियां उलट जाती हैं और ह्रास की दर उलटी हो जाती है। इसे तापमान का व्युत्क्रमण कहते हैं।
व्युत्क्रमण आमतौर पर छोटी अवधि का होता है लेकिन फिर भी काफी सामान्य होता है। स्वच्छ आकाश और शांत वायु के साथ लंबी सर्दियों की रात्रि व्युत्क्रमण के लिए आदर्श स्थिति होती है। रात्रि के समय दिन की ऊष्मा विकिरित होती है, और प्रातकाल में पृथ्वी ऊपर की वायु की तुलना में ठंडी हो जाती है।
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Question 5 of 5
तापमान व्युत्क्रमण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ध्रुवीय क्षेत्रों में तापमान व्युत्क्रमण केवल शीत ऋतु में होता है।
- पर्वतों और पहाड़ों पर तापमान व्युत्क्रमण पौधों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: b)
ध्रुवीय क्षेत्रों में, पूरे वर्ष तापमान का व्युत्क्रमण सामान्य रहता है। भूतल पर व्युत्क्रमण वातावरण की निचली परतों में स्थिरता को बढ़ावा देता है। धुआँ और धूल के कण व्युत्क्रम परत के नीचे एकत्र हो जाते हैं और क्षैतिज रूप से वायुमंडल के निचले स्तर में विस्तृत हो जाते हैं।
- प्रातकाल में विशेषकर सर्दियों के मौसम में घना कोहरा छाया रहता है। सूर्य के प्रकाश के आने तक व्युत्क्रमण आमतौर पर कुछ घंटों तक ही रहता है।
- वायु के अपवाह के कारण पर्वतों और पहाड़ों पर व्युत्क्रमण होता है। पर्वतों और पहाड़ों पर रात के समय उत्पन्न होने वाली ठंडी हवा गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में नीचे की ओर प्रवाहित होती है। भारी और घनी होने के कारण, ठंडी हवा लगभग जल के सामान प्रवाहित होती है। इसे वायु अपवाह कहते हैं। यह पौधों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाता है।
Incorrectउत्तर: b)
ध्रुवीय क्षेत्रों में, पूरे वर्ष तापमान का व्युत्क्रमण सामान्य रहता है। भूतल पर व्युत्क्रमण वातावरण की निचली परतों में स्थिरता को बढ़ावा देता है। धुआँ और धूल के कण व्युत्क्रम परत के नीचे एकत्र हो जाते हैं और क्षैतिज रूप से वायुमंडल के निचले स्तर में विस्तृत हो जाते हैं।
- प्रातकाल में विशेषकर सर्दियों के मौसम में घना कोहरा छाया रहता है। सूर्य के प्रकाश के आने तक व्युत्क्रमण आमतौर पर कुछ घंटों तक ही रहता है।
- वायु के अपवाह के कारण पर्वतों और पहाड़ों पर व्युत्क्रमण होता है। पर्वतों और पहाड़ों पर रात के समय उत्पन्न होने वाली ठंडी हवा गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में नीचे की ओर प्रवाहित होती है। भारी और घनी होने के कारण, ठंडी हवा लगभग जल के सामान प्रवाहित होती है। इसे वायु अपवाह कहते हैं। यह पौधों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाता है।
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