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HINDI Puucho STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
भारत में राजकोषीय नीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- सार्वजनिक क्षेत्र में पूंजी निर्माण की दर को बढ़ाने में राजकोषीय नीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह बचत दर को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने में मदद करती है।
- इसका लक्ष्य पूर्ण रोजगार प्राप्त करना है।
- यह निजी क्षेत्र में पूंजी निर्माण को बढ़ावा नहीं देती है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: a)
भारत में राजकोषीय नीति के मुख्य उद्देश्य:
आर्थिक विकास: राजकोषीय नीति अर्थव्यवस्था की विकास दर को बनाए रखने में मदद करती है ताकि कुछ आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
मूल्य स्थिरता: यह देश के मूल्य स्तर को नियंत्रित करती है ताकि जब मुद्रास्फीति बहुत अधिक हो, तो कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
पूर्ण रोजगार: इसका उद्देश्य निम्न आर्थिक गतिविधि से उबरने के लिए एक उपकरण के रूप में पूर्ण रोजगार प्राप्त करना है।
भारत में राजकोषीय नीति का महत्व:
भारत जैसे देश में, राजकोषीय नीति सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में पूंजी निर्माण की दर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कराधान के माध्यम से, राजकोषीय नीति कई परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए काफी मात्रा में संसाधन जुटाने में मदद करती है।
राजकोषीय नीति बचत दर को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने में भी मदद करती है।
राजकोषीय नीति निजी क्षेत्र को अपनी गतिविधियों के विस्तार के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन देती है।
राजकोषीय नीति का उद्देश्य आय और धन के वितरण में असंतुलन को कम करना है।
Incorrectउत्तर: a)
भारत में राजकोषीय नीति के मुख्य उद्देश्य:
आर्थिक विकास: राजकोषीय नीति अर्थव्यवस्था की विकास दर को बनाए रखने में मदद करती है ताकि कुछ आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
मूल्य स्थिरता: यह देश के मूल्य स्तर को नियंत्रित करती है ताकि जब मुद्रास्फीति बहुत अधिक हो, तो कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
पूर्ण रोजगार: इसका उद्देश्य निम्न आर्थिक गतिविधि से उबरने के लिए एक उपकरण के रूप में पूर्ण रोजगार प्राप्त करना है।
भारत में राजकोषीय नीति का महत्व:
भारत जैसे देश में, राजकोषीय नीति सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में पूंजी निर्माण की दर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कराधान के माध्यम से, राजकोषीय नीति कई परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए काफी मात्रा में संसाधन जुटाने में मदद करती है।
राजकोषीय नीति बचत दर को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने में भी मदद करती है।
राजकोषीय नीति निजी क्षेत्र को अपनी गतिविधियों के विस्तार के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन देती है।
राजकोषीय नीति का उद्देश्य आय और धन के वितरण में असंतुलन को कम करना है।
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Question 2 of 5
मौद्रिक नीति (Monetary Policy) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी संसद के एक अधिनियम के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में निहित है।
- हर पांच वर्ष में एक बार, भारत सरकार के परामर्श से रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित किया जाता है।
- आरबीआई अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति बनाते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: b)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत स्पष्ट रूप से निर्धारित की गयी है।
मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है। स्थायी विकास के लिए मूल्य स्थिरता एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
मई 2016 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे के कार्यान्वयन के लिए एक वैधानिक आधार प्रदान करने के लिए संशोधन किया गया था।
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में भारत सरकार द्वारा प्रत्येक पाँच वर्षों में एक बार, भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से, मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करने का प्रावधान है।
आरबीआई अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति बनाते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
Incorrectउत्तर: b)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत स्पष्ट रूप से निर्धारित की गयी है।
मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है। स्थायी विकास के लिए मूल्य स्थिरता एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
मई 2016 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे के कार्यान्वयन के लिए एक वैधानिक आधार प्रदान करने के लिए संशोधन किया गया था।
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में भारत सरकार द्वारा प्रत्येक पाँच वर्षों में एक बार, भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से, मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करने का प्रावधान है।
आरबीआई अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति बनाते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
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Question 3 of 5
काउंटर-साइक्लिकल राजकोषीय नीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- आर्थिक संकट के दौरान यह महत्वपूर्ण हो जाती है।
- यह मंदी के दौरान खर्च को कम करके व्यापार चक्र को स्थिर बनाती है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: a)
जहाँ आर्थिक चक्रों को सुचारू करने के लिए काउंटर-साइक्लिकल राजकोषीय नीति आवश्यक है, वहीं यह आर्थिक संकट के दौरान महत्वपूर्ण हो जाता है।
काउंटर-साइक्लिकल राजकोषीय नीति वह है जिसमें राजकोषीय नीति मंदी के दौरान विस्तारवादी (खर्च में वृद्धि / करों में कमी करना) और अच्छे समय के दौरान संकुचनवादी (खर्चों में कमी / करों में वृद्धि करना) करके व्यापार चक्र को मजबूत करती है। दूसरी ओर, प्रो-साइक्लिकल राजकोषीय नीति अच्छे समय के दौरान विस्तारवादी और मंदी के दौरान संकुचनवादी द्वारा व्यापार चक्र को स्थिर करती है।
Incorrectउत्तर: a)
जहाँ आर्थिक चक्रों को सुचारू करने के लिए काउंटर-साइक्लिकल राजकोषीय नीति आवश्यक है, वहीं यह आर्थिक संकट के दौरान महत्वपूर्ण हो जाता है।
काउंटर-साइक्लिकल राजकोषीय नीति वह है जिसमें राजकोषीय नीति मंदी के दौरान विस्तारवादी (खर्च में वृद्धि / करों में कमी करना) और अच्छे समय के दौरान संकुचनवादी (खर्चों में कमी / करों में वृद्धि करना) करके व्यापार चक्र को मजबूत करती है। दूसरी ओर, प्रो-साइक्लिकल राजकोषीय नीति अच्छे समय के दौरान विस्तारवादी और मंदी के दौरान संकुचनवादी द्वारा व्यापार चक्र को स्थिर करती है।
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Question 4 of 5
भारत में ट्रेजरी बिल या टी-बिल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ट्रेजरी बिल आरबीआई द्वारा जारी किए गए अल्पकालिक ऋण साधन हैं।
- ट्रेजरी बिल शून्य कूपन प्रतिभूतियां हैं जो कोई ब्याज नहीं मिलता हैं।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: b)
- ट्रेजरी बिल (Treasury bills) या टी-बिल (T-bills), मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट होते हैं। ये भारत सरकार द्वारा जारी किए गए शॉर्ट टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं और वर्तमान में इन्हें तीन अवधियों अर्थात् 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के लिए जारी किया जाता है। ट्रेजरी बिल शून्य कूपन प्रतिभूतियां हैं और इनसे ब्याज की प्राप्ति नहीं होती है। इसके बजाय, इन्हें बट्टे पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है। उदाहरण के लिए, 100 रूपए (अंकित मूल्य) का 91 दिन का ट्रेजरी बिल 98.20 रूपए, अर्थात 1.80 के बट्टे पर जारी किया जाता है और इन्हें 100 रूपए के अंकित मूल्य पर भुनाया जाएगा।
Incorrectउत्तर: b)
- ट्रेजरी बिल (Treasury bills) या टी-बिल (T-bills), मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट होते हैं। ये भारत सरकार द्वारा जारी किए गए शॉर्ट टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं और वर्तमान में इन्हें तीन अवधियों अर्थात् 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के लिए जारी किया जाता है। ट्रेजरी बिल शून्य कूपन प्रतिभूतियां हैं और इनसे ब्याज की प्राप्ति नहीं होती है। इसके बजाय, इन्हें बट्टे पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है। उदाहरण के लिए, 100 रूपए (अंकित मूल्य) का 91 दिन का ट्रेजरी बिल 98.20 रूपए, अर्थात 1.80 के बट्टे पर जारी किया जाता है और इन्हें 100 रूपए के अंकित मूल्य पर भुनाया जाएगा।
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Question 5 of 5
सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक) केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी एक व्यापार योग्य साधन है।
- सरकारी प्रतिभूतियां हमेशा दीर्घकालिक निवेश साधन होती हैं।
- ये जोखिम-मुक्त सुरक्षित उपकरण हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: d)
सरकारी प्रतिभूति (G-Sec) क्या है?
एक सरकारी प्रतिभूति (G-Sec) केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी किया जाने वाला एक पारंपरिक उपकरण हैं। यह सरकार के ऋण दायित्व को पहचान करता है। ऐसी प्रतिभूतियां, अल्पकालिक (ट्रेजरी बिल – एक वर्ष से कम अवधि की मूल परिपक्वता सहित) अथवा दीर्घकालिक (सरकारी बांड या दिनांकित प्रतिभूतियां – एक वर्ष या अधिक अवधि की मूल परिपक्वता सहित) दोनों प्रकार की हो सकती हैं। भारत में, केंद्र सरकार, ट्रेजरी बिल और बॉन्ड या दिनांकित प्रतिभूतियां जारी करती है जबकि राज्य सरकारें केवल बॉन्ड या दिनांकित प्रतिभूतियां ही जारी करती हैं, जिन्हें राज्य विकास ऋण (SDL) कहा जाता है। चूंकि इन्हें सरकार द्वारा जारी किया जाता है, अतः इनके डिफ़ॉल्ट होने का कोई जोखिम नहीं होता है, और इसलिए, उन्हें जोखिम-मुक्त सुरक्षित उपकरण (Gilt-Edged Instruments) कहा जाता है।
Incorrectउत्तर: d)
सरकारी प्रतिभूति (G-Sec) क्या है?
एक सरकारी प्रतिभूति (G-Sec) केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी किया जाने वाला एक पारंपरिक उपकरण हैं। यह सरकार के ऋण दायित्व को पहचान करता है। ऐसी प्रतिभूतियां, अल्पकालिक (ट्रेजरी बिल – एक वर्ष से कम अवधि की मूल परिपक्वता सहित) अथवा दीर्घकालिक (सरकारी बांड या दिनांकित प्रतिभूतियां – एक वर्ष या अधिक अवधि की मूल परिपक्वता सहित) दोनों प्रकार की हो सकती हैं। भारत में, केंद्र सरकार, ट्रेजरी बिल और बॉन्ड या दिनांकित प्रतिभूतियां जारी करती है जबकि राज्य सरकारें केवल बॉन्ड या दिनांकित प्रतिभूतियां ही जारी करती हैं, जिन्हें राज्य विकास ऋण (SDL) कहा जाता है। चूंकि इन्हें सरकार द्वारा जारी किया जाता है, अतः इनके डिफ़ॉल्ट होने का कोई जोखिम नहीं होता है, और इसलिए, उन्हें जोखिम-मुक्त सुरक्षित उपकरण (Gilt-Edged Instruments) कहा जाता है।
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