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सामान्य अध्ययन– I
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
1. तृतीय कर्नाटक युद्ध के पश्चात अंग्रेजों ने भारत पर सर्वोच्च शासन किया क्योंकि उनके सभी यूरोपीय प्रतिद्वंद्वियों को निर्णायक रूप से समाप्त कर दिया गया था। अंग्रेजों की विजय के कारणों का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास: राजीव अहीर (स्पेक्ट्रम प्रकाशक
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
तृतीय कर्नाटक युद्ध ने ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के उदय का मार्ग कैसे प्रशस्त किया? संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
स्वतंत्रता पूर्व भारत में यूरोपीय शक्तियों के प्रमुख केंद्रों को दर्शाने वाला एक छोटा मानचित्र प्रस्तुत कीजिए।
समझाइए कि भारत में यूरोपीय शक्तियों के मध्य, फ्रांसीसी सबसे शक्तिशाली एवं साथ ही साथ अंग्रेजों के ऐतिहासिक विरोधी थे और उनके बीच तीन कर्नाटक युद्धों को लेकर संघर्ष देखा गया था।
ब्रिटिश अपने यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों से कैसे बेहतर था। इसके कारणों का विश्लेषण कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि अपने यूरोपीय विरोधियों को समाप्त करने के बाद अब अंग्रेजों ने अपना ध्यान भारतीय राजाओं की ओर लगाया।
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
2. अठारहवीं शताब्दी की शक्तियों के विभिन्न समूहों के मध्य एक जटिल सत्ता संघर्ष था। यह न केवल औपनिवेशिक शक्ति एवं भारतीय राज्यों के बीच का संघर्ष था बल्कि राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने के लिए स्वयं भारतीय शक्तियों के बीच भी संघर्ष था। चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: अध्याय 5 – आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास: राजीव अहीर (स्पेक्ट्रम प्रकाशक)
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अठारहवीं शताब्दी के मध्य में भारत की प्रमुख राजनीतिक शक्तियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
ब्रिटिश ईआईसी की स्थापना के साथ -साथ प्रमुख भारतीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के एक राजनीतिक मानचित्र को प्रस्तुत कीजिए।
इस काल की प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए। उनके द्वारा लड़े गए महत्वपूर्ण युद्धों का उल्लेख कीजिए।
अंग्रेजों की बढ़ती शक्ति का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
सत्ता संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– II
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
3. जैसा कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, उसे विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, शक्ति संतुलन तथा भारतीय हितों के लिए अधिक अनुकूल होने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहमति को आकार देने की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: कठिन
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
पिछले कुछ वर्षों में भारत की वैश्विक आकांक्षाएं कैसे विकसित हुई हैं? इसका संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
स्वतंत्रता के बाद से भारत की वैश्विक गतिशीलता के ऐतिहासिक विकास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
समझाइए कि विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, शक्ति संतुलन और अंतर्राष्ट्रीय सहमति को आकार देना वर्षों से हमारी विदेश नीति की आधारशिला रहा है।
अतीत एवं वर्तमान के उदाहरणों से पुष्टि कीजिए।
इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
4. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पारंपरिक शमन रणनीतियों के वांछित परिणाम नहीं मिलने के कारण भू-अभियांत्रिकी जैसी महत्वपूर्ण रणनीतियों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: Live Mint , अध्याय 21: पर्यावरण: शंकर आईएएस (छठा संस्करण)
निर्देशक शब्द:
समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भू-अभियांत्रिकी को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भू-अभियांत्रिकी के विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डालिए।
उपरोक्त रणनीतियाँ कैसे काम करती हैं तथा ये जलवायु संकट से निपटने के लिए मौजूदा शमन रणनीतियों से बेहतर कैसे सिद्ध होंगी? स्पष्ट कीजिए।
उपरोक्त रणनीतियों के कार्यान्वयन के संबंध में प्रमुख कमियों, बाधाओं और चिंताओं का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि मौजूदा रणनीतियों को युद्ध स्तर पर लागू किया जाना चाहिए, लेकिन वैकल्पिक उपायों पर भी विचार किया जाना चाहिए।
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।
5. भारतीय सशस्त्र बलों का एकीकृत थिएटर कमांड में पुनर्गठन एक आवश्यक सुधार है क्योंकि निष्पादक, खतरे एवं पर्यावरण अनिश्चित तरीकों से परिवर्तित होंगे लेकिन इसकी संरचना सरल, लचीली और अनुकूलनीय होनी चाहिए। स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: Live Mint
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
एकीकृत थिएटर कमांड के सन्दर्भ में लिखते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि यह सशस्त्र बलों की मौजूदा संरचना से कैसे भिन्न है।
एकीकृत थिएटर कमांड की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
एकीकृत थिएटर कमांड एवं थिएटर्स की संरचना के बारे में लिखिए, जहां इसे प्रारम्भ किया जाएगा।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– IV
विषय: भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।
6. यूडैमोनिज्म (Eudaimonism) के नैतिक दर्शन को सोदाहरण समझाइए। (150 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: newworldencyclopedia.org
निर्देशक शब्द:
समझाइए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
यूडैमोनिज्म (Eudaimonism) को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
विषय वस्तु:
सद्गुण, नैतिकता, अहंकार एवं नैतिक व्यक्तिवाद के साथ इस अवधारणा के जुड़ाव का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
इस अवधारणा की तुलना सुखवाद से कीजिए।
इस सन्दर्भ में उदाहरण भी प्रस्तुत कीजिए।
निष्कर्ष:
इस विषय पर एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए कांट द्वारा की गयी यूडैमोनिज्म की आलोचना प्रस्तुत कीजिए।
विषय: भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।
7. अरस्तु के माध्यम मार्ग के सिद्धांत से आप क्या समझते हैं? सिद्धांत की अपनी समझ के आधार पर वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता पर टिप्पणी कीजिए। (150 शब्द)
प्रश्न का स्तर: कठिन
सन्दर्भ: plato.stanford.edu
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अरस्तु के मध्यम मार्ग सिद्धांत का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
इसे उदाहरण सहित समझाइए।
उल्लेख कीजिए कि यह माध्यम मार्ग स्थितिजन्य है और व्यक्ति और उनकी नैतिक पृष्ठभूमि पर निर्भर करता है तथा नैतिक व्यवहार के लिए दो चरम सीमाओं के बीच एक उदार स्थिति खोजना महत्वपूर्ण है।
कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए समझाइए कि क्या यह अवधारणा वर्तमान समय में प्रासंगिक है।
निष्कर्ष:
इस सिद्धांत द्वारा प्रचारित संयम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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