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HINDI Puucho STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
हड़प्पा संस्कृति की मुहरों और टेराकोटा कला पर निम्नलिखित में से किस जानवर का चित्र पाया गया हैं?
- एक सींग वाला पशु
- हाथी
- बाघ
- गाय
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correctउत्तर: a)
पुरातत्वविदों ने हजारों मुहरों की खोज की है, जो ज्यादातर स्टीटाइट और कभी-कभी एगेट, चेर्ट, तांबा, फैयेंस और टेराकोटा से निर्मित होती हैं, जिन पर एक सींग वाला पशु, गैंडा, बाघ, हाथी, बाइसन, बकरी और भैंस जैसे जानवरों के सुंदर चित्र बने हुए हैं।
Incorrectउत्तर: a)
पुरातत्वविदों ने हजारों मुहरों की खोज की है, जो ज्यादातर स्टीटाइट और कभी-कभी एगेट, चेर्ट, तांबा, फैयेंस और टेराकोटा से निर्मित होती हैं, जिन पर एक सींग वाला पशु, गैंडा, बाघ, हाथी, बाइसन, बकरी और भैंस जैसे जानवरों के सुंदर चित्र बने हुए हैं।
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Question 2 of 5
अष्टांगिक पथ की अवधारणा किसका विषय है?
Correctउत्तर: d)
धम्म कक्का पवत्तन सुत्त (पाली) या धर्म चक्र प्रवर्तन सूत्र (संस्कृत) की शिक्षा को धर्म के पहले चक्र के रूप में भी जाना जाता है और इसमें चार आर्य सत्य औरअष्टांग मार्ग शामिल हैं।
Incorrectउत्तर: d)
धम्म कक्का पवत्तन सुत्त (पाली) या धर्म चक्र प्रवर्तन सूत्र (संस्कृत) की शिक्षा को धर्म के पहले चक्र के रूप में भी जाना जाता है और इसमें चार आर्य सत्य औरअष्टांग मार्ग शामिल हैं।
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Question 3 of 5
धम्म चक्र दिवस के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह दिन ज्ञान प्राप्त करने के बाद बुद्ध की प्रथम शिक्षा का प्रतीक है।
- इस दिन को बौद्धों के लिए एकमात्र पवित्र दिन माना जाता है।
- धर्म चक्र प्रवर्तन सूत्र की शिक्षा को धर्म के पहले चक्र के रूप में भी जाना जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: c)
धम्म चक्र दिवस का महत्व:
इसे वाराणसी के निकट आधुनिक सारनाथ में ऋषिपतना के ‘डियर पार्क’ में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पांच तपस्वी शिष्यों (पंचवर्गिक) को ज्ञान प्राप्त करने के बाद बुद्ध द्वारा दी गयी प्रथम शिक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
धम्म कक्का पवत्तन सुत्त (पाली) या धर्म चक्र प्रवर्तन सूत्र (संस्कृत) की इस शिक्षा को धर्म के पहले चक्र के रूप में भी जाना जाता है और इसमें चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग शामिल हैं।
इस दिन को श्रीलंका में एसाला पोया और थाईलैंड में आसन बुचा के नाम से भी जाना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा के बाद बौद्धों के लिए यह दूसरा सबसे पवित्र दिन होता है।
Incorrectउत्तर: c)
धम्म चक्र दिवस का महत्व:
इसे वाराणसी के निकट आधुनिक सारनाथ में ऋषिपतना के ‘डियर पार्क’ में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पांच तपस्वी शिष्यों (पंचवर्गिक) को ज्ञान प्राप्त करने के बाद बुद्ध द्वारा दी गयी प्रथम शिक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
धम्म कक्का पवत्तन सुत्त (पाली) या धर्म चक्र प्रवर्तन सूत्र (संस्कृत) की इस शिक्षा को धर्म के पहले चक्र के रूप में भी जाना जाता है और इसमें चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग शामिल हैं।
इस दिन को श्रीलंका में एसाला पोया और थाईलैंड में आसन बुचा के नाम से भी जाना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा के बाद बौद्धों के लिए यह दूसरा सबसे पवित्र दिन होता है।
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Question 4 of 5
जरदोजी कला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान भारत में जरदोजी कला का विकास हुआ।
- जरदोजी भारत की स्वदेशी कला है।
- सोने का लच्छा और मोतियों को कपड़े पर जड़ा जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: b)
भारत में जरदोजी का विकास 17वीं शताब्दी के दौरान मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान हुआ। इसे फारस से भारत लाया गया था।
‘ज़ार‘ का अर्थ है सोना और ‘दोजी‘ का अर्थ कढ़ाई है। इस प्रकार, जरदोजी का अर्थ है ‘सोने के धागों से कढ़ाई करना।‘
- इस कढ़ाई में सोने का लच्छा और मोतियों को सूई और धागे का उपयोग करके कपड़े पर जड़ा जाता है।
- सोने और चांदी जैसी धातुओं को एक ज़री (पतले धागे) में बदल दिया जाता है जिसका उपयोग रेशम, मखमल, ऑर्गेनजा, शिफॉन आदि जैसे कपड़ों पर रूपांकनों को सजाने के लिए किया जाता है।
2013 में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (जीआईआर) ने लखनऊ जरदोजी को भौगोलिक संकेत (जीआई) पंजीकरण प्रदान किया था।
Incorrectउत्तर: b)
भारत में जरदोजी का विकास 17वीं शताब्दी के दौरान मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान हुआ। इसे फारस से भारत लाया गया था।
‘ज़ार‘ का अर्थ है सोना और ‘दोजी‘ का अर्थ कढ़ाई है। इस प्रकार, जरदोजी का अर्थ है ‘सोने के धागों से कढ़ाई करना।‘
- इस कढ़ाई में सोने का लच्छा और मोतियों को सूई और धागे का उपयोग करके कपड़े पर जड़ा जाता है।
- सोने और चांदी जैसी धातुओं को एक ज़री (पतले धागे) में बदल दिया जाता है जिसका उपयोग रेशम, मखमल, ऑर्गेनजा, शिफॉन आदि जैसे कपड़ों पर रूपांकनों को सजाने के लिए किया जाता है।
2013 में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (जीआईआर) ने लखनऊ जरदोजी को भौगोलिक संकेत (जीआई) पंजीकरण प्रदान किया था।
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Question 5 of 5
चिंदू यक्षगान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह चिंदू मडिगा समुदाय के सदस्यों द्वारा प्रचलित रंगमंच का एक रूप है।
- यह सम्पूर्ण तमिलनाडु के गांवों में प्रचलित मनोरंजन का एक रूप है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: a)
चिंदू यक्षगानम, यानि चिंदू भागवतम, चिंदू मडिगा समुदाय के सदस्यों द्वारा प्रचलित रंगमंच का एक रूप है।
यह तेलंगाना के गांवों में प्रचलित मनोरंजन का एक रूप है, जिसमें कलाकारों ने महाकाव्यों की शस्त्रीय कहानियों को कुशलता से चित्रित किया है और जनता का मनोरंजन किया है।
कला का यह रूप संभवत: तब शुरू हुआ जब लोगों ने शिकार, युद्ध और अन्य वीरता के कार्य आरंभ किये थे।
चिंदू समुदाय परंपरागत रूप से खानाबदोश समुदाय रहा है।
Incorrectउत्तर: a)
चिंदू यक्षगानम, यानि चिंदू भागवतम, चिंदू मडिगा समुदाय के सदस्यों द्वारा प्रचलित रंगमंच का एक रूप है।
यह तेलंगाना के गांवों में प्रचलित मनोरंजन का एक रूप है, जिसमें कलाकारों ने महाकाव्यों की शस्त्रीय कहानियों को कुशलता से चित्रित किया है और जनता का मनोरंजन किया है।
कला का यह रूप संभवत: तब शुरू हुआ जब लोगों ने शिकार, युद्ध और अन्य वीरता के कार्य आरंभ किये थे।
चिंदू समुदाय परंपरागत रूप से खानाबदोश समुदाय रहा है।
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