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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. संसद का मानसून सत्र
2. भारतीय श्रमिक सम्मेलन (आईएलसी)
3. मंकी बी वायरस
सामान्य अध्ययन-III
1. NEA स्काउट: नासा का नया अंतरिक्ष यान
2. ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग विधेयक, 2021’
3. चीन का राष्ट्रीय कार्बन उत्सर्जन व्यापार बाजार
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. स्पेस राइस
2. डिजिटल भूमि उपयोग डेटा संग्रह तैयार करने वाला पहला महाद्वीप
3. बिहार के किशनगंज का डिजिटल उर्वरता मानचित्र
4. विंटेज मोटर वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया
सामान्य अध्ययन- II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
संसद का मानसून सत्र
(Monsoon session of Parliament)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘संसद का मानसून सत्र’ की शुरुआत हुई है।
संसद के पिछले सत्र की अवधि को घटाकर 25 मार्च को घटाकर अनिश्चितकाल के लिए समाप्त कर दिया गया था, और संवैधानिक मानदंडों के अंतर्गत, अगला सत्र छह महीने के भीतर आयोजित किया जाना आवश्यक होता है। यह समय सीमा 14 सितंबर को समाप्त हो रही है।
संवैधानिक प्रावधान:
अनुच्छेद 85 के अनुसार, संसद के दो सत्रों के मध्य ‘छह महीने से अधिक’ का अंतराल नहीं होना चाहिए।
- कृपया ध्यान दें, संविधान यह निर्दिष्ट नहीं करता है, कि संसद का सत्र कब या कितने दिनों के लिए होना चाहिए।
- संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल छह महीने से अधिक नहीं हो सकता है। अर्थात, एक वर्ष में कम से कम दो बार संसद की बैठक होना अनिवार्य है।
- संसद का ‘सत्र’, सदन की पहली बैठक और उसके सत्रावसान के मध्य की अवधि होती है।
‘सत्र’ किसके द्वारा आहूत किया जाता है?
सैद्धांतिक तौर पर, राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा। किंतु,
- व्यवहारिक तौर पर, संसद की बैठक की तारीखों के संबंध में ‘संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति, जिसमें वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं, निर्णय लेती है और फिर इसे राष्ट्रपति को अवगत कराती है।
- अतः, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में कार्यपालिका के पास, राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत करने की सलाह देने की शक्ति होती है।
संसदीय सत्र का महत्व:
- विधि-निर्माण अर्थात क़ानून बनाने के कार्य संसदीय सत्र के दौरान किए जाते है।
- इसके अलावा, सरकार के कामकाज की गहन जांच और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श केवल संसद के दोनों सदनों में जारी सत्र के दौरान ही किया जा सकता है।
- एक अच्छी तरह से काम कर रहे लोकतंत्र के लिए संसदीय कार्य-पद्धति का पूर्वानुमान होना आवश्यक होता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
संसद सत्र को ‘स्थगन’ या ‘अनिश्चित काल के लिए स्थगन’ या ‘सत्रावसान’ या ‘विघटन’ (लोकसभा के मामले में) के द्वारा समाप्त किया जा सकता है। क्या आप इनके मध्य अंतर जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- संसद सत्र को आहूत करने की शक्ति किसे प्राप्त है?
- अनुच्छेद 85
- ‘अनिश्चित काल के लिए स्थगन’ क्या होता है?
- ‘सदन का भंग होना’ क्या होता है?
- संसद के विभिन्न सत्रों के बारे में
- एक वर्ष में संसद को कितने दिनों तक बैठक करना अनिवार्य है?
- संसद के संयुक्त सत्र की अध्यक्षता कौन करता है?
मेंस लिंक:
संसदीय सत्र के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका।
भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC)
(Indian Labour Conference)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘भारतीय मजदूर संघ’ द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ (Indian Labour Conference – ILC) आयोजित करने के मांग की गई है।
भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC) का पिछला अंतिम सम्मेलन वर्ष 2015 में आयोजित किया गया था।
‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आयोजित करने की आवश्यकता:
- “देश में ‘सरकार, नियोक्ता और मजदूर’ की ‘त्रिपक्षीय’ (Tripartism) परंपरा को बनाए रखने के लिए ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आवश्यक होते है।
- चूंकि भारत संसद द्वारा इस ‘त्रिपक्षीय’ प्रणाली से संबंधित ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) के अभिसमय संख्या 144 पुष्टि की जा चुकी है, अतः ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आयोजित करना भारत का कानूनी दायित्व भी है।
आईएलसी के बारे में:
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन (Indian Labour Conference – ILC), देश के मजदूर वर्ग से संबंधित मुद्दों पर सरकार को परामर्श देने हेतु ‘श्रम एवं रोजगार मंत्रालय’ में एक शीर्ष स्तरीय ‘त्रिपक्षीय सलाहकार समिति’ है।
- ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ के सदस्यों में, सभी 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठन, नियोक्ताओं के केंद्रीय संगठन, सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश और एजेंडा से संबंधित केंद्रीय मंत्रालय/विभाग शामिल होते हैं।
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन (तत्कालीन त्रिपक्षीय राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन) की पहली बैठक 1942 में हुई थी और इसके अब तक कुल 46 सत्र आयोजित हो चुके हैं।
महत्व:
भारतीय श्रमिक सम्मेलन में श्रमिक-कल्याण में सुधार के उद्देश्य से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाता है। इस मंच के द्वारा, न्यूनतम वेतन निर्धारण पद्धति की शुरुआत और रोजगार के लिए स्थायी आदेश सहित कई उल्लेखनीय योगदान किए गए है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं, कि भारत ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) का संस्थापक सदस्य है? भारत अन्य किन अंतरराष्ट्रीय संगठनों का संस्थापक सदस्य है? जानिए।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC) के बारे में
- प्रतिभागी
- ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) के बारे में
- ILO के महत्वपूर्ण अभिसमय
मेंस लिंक:
भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC) के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
‘मंकी बी वायरस’
(Monkey B virus)
संदर्भ:
हाल ही में, चीन में ‘मंकी बी वायरस’ (Monkey B virus– BV) से मानव संक्रमण का पहला मामला सामने आया है।
‘मंकी बी वायरस’ के बारे में:
- इस वायरस की पहली बार वर्ष 1932 में पहचान की गयी थी। इस वायरस से, वर्ष 2020 तक, मात्र 50 व्यक्ति संक्रमित पाए गए है, जिनमें से 21 व्यक्तियों की इसकी वजह से मौत हो चुकी है।
- यह मकाका प्रजाति के ‘मकाक’ (Macaques) में पाया जाने वाला ‘पशुस्थानिक’ (Enzootic) ‘अल्फ़ाहर्पीस वायरस’ (Alphaherpes Virus) है।
- ‘बी वायरस’ एकमात्र ज्ञात ‘ओल्ड-वर्ल्ड-मंकी हर्पीसवायरस’ है, जो मनुष्यों में गंभीर रोगजनकता प्रदर्शित करता है।
- वर्तमान में, बी वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं हैं।
संचरण:
इस वायरस के संक्रमण का संचरण, बंदरों के सीधे संपर्क में आने, या इनके शरीर से स्रवित होने वाले द्रव्यों के आदान-प्रदान के माध्यम से हो सकता है।
लक्षण:
- संक्रमण की शुरुआत में बुखार और ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, थकान और सिरदर्द जैसे फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
- इसके बाद, संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर घाव की जगह, या शरीर का जो भाग बंदर के संपर्क में आया था, उस जगह छोटे-छोटे छाले बन सकते हैं।
- इस संक्रमण के कुछ अन्य लक्षणों में, सांस लेने में तकलीफ, मतली और उल्टी, पेट में दर्द और हिचकी आदि भी शामिल हैं।
- जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वायरस का असर फैलता जाता है और मस्तिष्क में और रीढ़ की हड्डी में सूजन आने लगती है। जिसके परिणामस्वरूप घाव की जगह के पास दर्द, सुन्नता, खुजली जैसे तंत्रिका-तंत्र संबंधी और सूजन संबंधी लक्षण विकसित होने लगते है और मांसपेशियां ठीक से काम करना बंद कर देती हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप वायरस (virus) और वाइरोइड (viroids) में अंतर के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘मंकी बी वायरस’ के बारे में
- संचरण
- लक्षण
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
NEA स्काउट: नासा का नया अंतरिक्ष यान
संदर्भ:
‘एनईए स्काउट’ (NEA Scout), ‘आर्टेमिस I’ (Artemis I) के साथ भेजे जाने वाले कई ‘अंतरिक्ष उपकारणों’ में से एक है। ‘आर्टेमिस I’ को संभवतः इसी वर्ष नवंबर में लॉन्च किया जाएगा।
‘आर्टेमिस I’ क्या है?
- ‘आर्टेमिस I’, ओरियन अंतरिक्ष यान और ‘स्पेस लांच सिस्टम’ (SLS) रॉकेट की एक मानव-रहित परीक्षण उड़ान है।
- आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत, नासा द्वारा वर्ष 2024 में पहली महिला को चंद्रमा पर उतारने और वर्ष 2030 तक ‘संवहनीय चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम’ (sustainable lunar exploration programs) स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
‘एनईए स्काउट’ क्या है?
NEA का तात्पर्य ‘पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रह’ या ‘नियर-अर्थ ऐस्टरॉइड’ (Near-Earth Asteroid– NEA) से है।
- NEA स्काउट एक लघु अंतरिक्ष यान है, जो आकार में ‘जूते के एक बड़े डिब्बे’ के बराबर है।
- इसका मुख्य मिशन, ‘पृथ्वी के निकट भ्रमण कर रहे क्षुद्रग्रह’ से होकर उड़ान भरना और आंकड़े एकत्र करना है।
- यह अमेरिका का पहला अंतरग्रहीय मिशन भी होगा, जिसमे विशेष ‘सौर चालित प्रणोदन’ (solar sail propulsion) का उपयोग किया गया है।
NEA स्काउट अपनी गति के लिए सौर-प्रकाश का उपयोग किस प्रकार करेगा?
इस क्यूबसैट में, मनुष्य के बाल से भी महीन और आकार में एक रैकेटबॉल कोर्ट के बराबर ‘एल्यूमीनियम-लेपित प्लास्टिक फिल्म’ के ‘बादबान’ या ‘पाल’ (sail) को लगाने के लिए स्टेनलेस स्टील मिश्र धातु की ‘लंबी बल्लियों’ (Booms) का प्रयोग किया जाएगा।
- विस्तृत आकार का ‘बादबान’ या ‘पाल’, सौर प्रकाश को परावर्तित करके ‘आगे धकेलने के लिए बल’ / प्रेरक बल अर्थात थ्रस्ट (Thrust) उत्पन्न करेगा।
- सौर-प्रकाश के उर्जायुक्त कण, जिन्हें फोटॉन कहा जाता है, सौर-बादबान से वापस प्रत्यास्थ होकर इसके लिए मंद, किंतु, निरंतर धक्का (Push) देते हैं।
- समय के साथ, यह निरंतर प्रेरक बल या थ्रस्ट, अंतरिक्ष यान को अत्यधिक तीव्र गति प्रदान करने में सक्षम होगा, जिससे यह क्यूबसैट अंतरिक्ष में गति कर सकता है और अपने लक्षित क्षुद्रग्रह तक पहुंच सकता है।
इस मिशन का महत्व:
- NEA स्काउट, ‘पृथ्वी के निकट स्थित एक क्षुद्रग्रह’ से होकर उड़ान भरने हेतु लगभग दो वर्ष लंबी यात्रा की शुरूआत करेगा।
- अपने गंतव्य पर पहुंचने के बाद, यह अंतरिक्ष यान क्षुद्रग्रह की छवियों को कैप्चर करेगा, जिनका उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा, हमारे सौर मंडल में स्थित पृथ्वी के निकटवर्ती एवं लघु आकार के, किंतु, महत्वपूर्ण क्षुद्रग्रहों के बारे में जानकारी में वृद्धि के लिए किया जाएगा।
- इन क्षुद्रग्रहों की विशेषताओं को समझने से हमें, इनसे टकराव की स्थिति में होने वाले संभावित नुकसान को कम करने हेतु रणनीति विकसित करने में मदद मिल सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने नासा के सौर सेल मिशन, ‘सोलर क्रूजर’ के बारे में सुना है?
प्रीलिम्स लिंक:
- NEA स्काउट मिशन के बारे में
- उद्देश्य
- आर्टेमिस कार्यक्रम के बारे में
मेंस लिंक:
NEA स्काउट मिशन के महत्व पर चर्चा करें।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग विधेयक, 2021’
संदर्भ:
वर्तमान में जारी संसद के मानसून सत्र में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF) द्वारा ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग विधेयक, 2021’ (‘The Commission for Air Quality Management in National Capital Region and Adjoining Areas Bill, 2021’) पेश किया जाएगा।
- यह विधेयक, एक आयोग की स्थापना करेगा और पिछले वर्ष लागू किए गए अध्यादेश को प्रतिस्थापित करेगा।
- विधेयक में, कई दौर की वार्ता के बाद, पराली जलाने पर कठोर दंड और संभावित कारावास की सजा संबंधी किसानों की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है।
विधेयक में किए गए परिवर्तन
- सरकार ने विधेयक में, पराली जलाने को गैर-अपराध कर दिया है और संभावित कारावास संबंधी उपबंध को वापस ले लिया है।
- हालांकि, किसानों सहित जो भी व्यक्ति पराली जलाते हुए पाए जाएंगे उन पर ‘पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क’ लगाया जाएगा।
‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ के बारे में:
‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ (Commission for Air Quality Management – CAQM) का गठन अक्टूबर 2020 में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग अध्यादेश’, 2020 (‘Commission for Air Quality Management in National Capital Region and Adjoining Areas Ordinance’) के तहत किया गया था ।
- CAQM का गठन करने के लिए पूर्ववर्ती ‘पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण’ (Environment Pollution (Prevention and Control) Authority) अर्थात EPCA को भंग कर दिया गया था।
- ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ एक ‘सांविधिक प्राधिकरण’ (Statutory Authority) होगा।
- यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे निकायों का अधिक्रमण (Supersede) करेगा।
संरचना:
आयोग की अध्यक्षता भारत सरकार के सचिव अथवा राज्य सरकार के मुख्य सचिव के रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी।
- ‘अध्यक्ष’ तीन साल की अवधि तक या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक पद पर कार्य करेगा।
- आयोग में विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ, हितधारक राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
- इसमें, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और सिविल सोसाइटी के विशेषज्ञ भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
शक्तियां और कार्य:
- ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ को वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश जारी करने का अधिकार होगा।
- ‘आयोग’, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की सुरक्षा और सुधार के उद्देश्य से आवश्यक समझी जाने वाली शिकायतों पर विचार करेगा।
- वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए मानदंड भी निर्धारित करेगा।
- आयोग के पास, उल्लंघन-कर्ताओं को चिह्नित करने, कारखानों, उद्योगों तथा किसी भी अन्य प्रदूषणकारी इकाई की निगरानी करने, और ऐसी इकाइयों को बंद करने की शक्ति होगी।
- आयोग के पास, NCR और आसपास के क्षेत्रों में, प्रदूषण मानदंडों का संभावित उल्लंघन करने वाले, राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए निर्देशों को रद्द करने का भी अधिकार होगा,।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि पराली जलाने से किन गैसीय प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है?
प्रीलिम्स लिंक:
- EPCA के बारे में
- NGT के बारे में
- CPCB के बारे में
- ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग विधेयक, 2021 का अवलोकन
मेंस लिंक:
प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण’ (EPCA) को भंग करने के क्या कारण थे और इसे किस संस्था द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
चीन का ‘राष्ट्रीय कार्बन उत्सर्जन व्यापार बाजार’
(China’s national carbon emissions trading market)
संदर्भ:
एक दशक से अधिक समय तक स्थानीय स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट चलाने के बाद, चीन ने, काफी समय से प्रतीक्षित अपने ‘राष्ट्रीय कार्बन उत्सर्जन व्यापार बाजार’ (National Carbon Emissions Trading Market) को आधिकारिक तौर पर शुरू कर दिया है।
इसके साथ ही, चीन ने अपनी ‘उत्सर्जन व्यापार योजना’ (Emissions Trading Scheme- ETS) से यूरोपीय संघ की, अब तक विश्व की सबसे बड़ी, ‘उत्सर्जन व्यापार प्रणाली’ को पीछे छोड़ दिया है।
‘कार्बन बाजार’ क्या होती है?
‘कार्बन बाजार’ (Carbon Market), वह जगह होती है, जहां ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ‘परमिट’ या ‘अनुमति’ खरीद और बेच सकते हैं।
- जो कंपनिया ‘कार्बन-उत्सर्जन’ के मामले में अच्छा प्रदर्शन करती है और अनुमोदित ‘लक्ष्य’ से कम ‘उत्सर्जन’ करती हैं, उनके पास ‘कार्बन-उत्सर्जन लक्ष्य’ अधिशेष रह जाता है, वे इसके लिए कार्बन बाजार में बेच सकती हैं; और अधिक प्रदूषण फैलाने वाली कम्पनियां, अपना अनुपालन विवरण जमा करने के लिए इस अधिशेष को खरीद सकती हैं।
- सरकार द्वारा हर साल के लिए कार्बन उत्सर्जन की कुल मात्रा की एक सीमा निर्धारित करती है, और फिर कंपनियों द्वारा इस निर्धारित सीमा के भीतर ‘उत्सर्जन कोटा’ बेचा या खरीदा जाता है।
कार्बन बाजार में भागीदार:
- पहले चरण में, इस प्रणाली के अंतर्गत केवल विद्युत् क्षेत्र को कवर किया गया है। प्रति वर्ष, देश के कुल वार्षिक उत्सर्जन का 40 प्रतिशत या 4 अरब टन से अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाली 2,000 से अधिक विद्युत् कंपनियों द्वारा इसमें भाग लिया गया है।
- लौह एवं इस्पात, तथा विनिर्माण सामग्री सहित, सात अन्य उच्च ऊर्जा-गहन उद्योगों को, भविष्य में कार्बन बाजार द्वारा कवर किया जाएगा।
कार्बन बाजार की आवश्यकता:
- चीन, वर्ष 2030 तक अपने उत्सर्जन को चरम पर पहुंचाने और वर्ष 2060 तक ‘कार्बन तटस्थता’ (Carbon Neutrality) हासिल करने संबंधी प्रयासों के अंतर्गत, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए ‘व्यापार योजना’ का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है।
- इसके साथ ही चीन ने, पहली बार, राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी उद्यमों के लिए सौंप दी है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं, कि ‘संयुक्त कार्यान्वयन’ (Joint Implementation – JI) और ‘स्वच्छ विकास तंत्र’ (Clean Development Mechanism- CDM) क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत ऑफसेट प्रणाली हैं? इनमे कौन भाग ले सकता है और इसके क्या लाभ हैं?
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
स्पेस राइस
(Space rice)
यह, नवंबर में चीन द्वारा 23 दिनों की चंद्र यात्रा पर भेजे चांग’ए-5 मिशन के साथ भेजे गए धान के बीजों से उगाए गए चावल हैं।
- लगभग 40 ग्राम बीजों के ‘ब्रह्मांडीय विकिरण और शून्य गुरुत्वाकर्षण’ में रहने के बाद, पृथ्वी पर लौटने पर इनकी फसल काटी गई।
- ऐसा माना जाता है, कि अंतरिक्षीय वातावरण के संपर्क में आने वाले इन चावल के बीजों में ‘उत्परिवर्तन’ हो सकता है, और इनको पृथ्वी पर फिर से रोप जाने के बाद ये अधिक उपज दे सकते हैं।
- चीन द्वारा वर्ष 1987 से चावल और अन्य फसलों के बीज अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है।
- चीन में, अनुमोदित अंतरिक्ष फसलों के लिए कुल रोपण क्षेत्रफल वर्ष 2018 में 4 मिलियन हेक्टेयर से अधिक तक पहुंच चुका है।
डिजिटल भूमि उपयोग डेटा संग्रह तैयार करने वाला पहला महाद्वीप
‘ओपन डील पहल’ (Open DEAL initiative) के तहत सटीक, व्यापक और सामंजस्यपूर्ण डिजिटल भूमि उपयोग और भूमि उपयोग परिवर्तन डेटा संग्रह तैयार करने वाला, अफ्रीका, विश्व का पहला महाद्वीप बन गया है।
- DEAL का तात्पर्य ‘डेटा फॉर द एनवायरनमेंट, एग्रीकल्चर एंड लैंड इनिशिएटिव’ (Data for the Environment, Agriculture and Land Initiative) है।
- डेटा संग्रह और विश्लेषण पहल का नेतृत्व ‘खाद्य और कृषि संगठन’ (FAO) और अफ्रीकी संघ आयोग (AUC) द्वारा किया जा रहा है।
- इस पहल के तहत, पिछले 20 वर्षों में भूमि उपयोग परिवर्तन और अफ्रीकी महाद्वीप के प्रत्येक देश में राष्ट्रीय स्तर पर भूमि-पुनुरुद्धान की क्षमता का आकलन करने हेतु इस डेटा का विश्लेषण किया गया है।
बिहार के किशनगंज का डिजिटल उर्वरता मानचित्र
हाल ही में, बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा ‘डिजिटल उर्वरता मानचित्र’ (Digital Fertility Map) तैयार किया गया है।
किसानों के लिए लाभ:
- इस मानचित्र के उपयोग से किसान आसानी से तय कर सकते हैं कि बेहतर लाभ के लिए उन्हें किस क्षेत्र में कौन सी फसल उगानी चाहिए।
- किसान, नई फसलें उगा सकते हैं और फसल विविधीकरण कर सकते हैं।
- किसान, अपनी मिट्टी के उर्वरता स्तर को जानने के बाद उर्वरकों की सही मात्रा के बारे में भी निर्णय ले सकते हैं। इससे उन्हें बंपर पैदावार मिलेगी।
संबंधित चिंताएं:
- भूमि अभिलेखों के बढ़ते डिजिटलीकरण और भूमि के उर्वरता विवरण से कृषि विशेषज्ञ और किसान चिंतित हैं।
- इनके लिए आशंका है, कि निजी कंपनियों और बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा भूमि अधिग्रहण और ऋण देकर जाल में फ़साने, जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस डेटा का दुरूपयोग किया जा सकता है, जिससे किसान संकट में पड़ सकते हैं।
विंटेज मोटर वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया
हाल ही में, ‘सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय’ द्वारा विंटेज मोटर वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया को औपचारिक रूप देते हुए CMVR 1989 में संशोधन किया गया है।
इसका उद्देश्य भारत में पुराने वाहनों की विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है।
नए नियमों की मुख्य विशेषताएं:
- नए नियमों के तहत, जो 50 वर्ष से अधिक पुराने और सभी दो और चार पहिया वाहन, अपने मूल रूप में सुरक्षित रखे गए और जिनमें कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है, उन्हें विंटेज मोटर वाहन के रूप में मान्यता दी जायेगी।
- पहले से पंजीकृत वाहन अपने मूल पंजीकरण चिह्न को बरकरार रख सकते हैं। हालांकि, नए पंजीकरण के लिए, पंजीकरण चिह्न “एक्सएक्स वीए वाईवाई 8” के रूप में निर्दिष्ट किया जाएगा।
- नियमित/व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए, विंटेज मोटर वाहनों का संचालन सड़कों पर नहीं किया जा सकेगा।
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