INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 4 July 2021 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-I

1. स्वामी विवेकानंद

 

सामान्य अध्ययन-II

1. मुख्यमंत्री की नियुक्ति और पद-मुक्ति

2. मानव तस्करी-रोधी विधेयक का मसौदा

3. महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर इस्तांबुल अभिसमय

4. अमेरिका का ‘बाल सैनिक रोकथाम अधिनियम’ (CSPA)

 

सामान्य अध्ययन-III

1. ‘यूनिटी 22’ मिशन

2. प्रोजेक्ट बोल्ड

3. फ्लाई ऐश

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. बगराम एयरबेस

2. अंतिम हिम क्षेत्र

3. वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

स्वामी विवेकानंद


संदर्भ:

पुण्यतिथि- 4 जुलाई।

स्वामी विवेकानंद के बारे में:

  • वह वास्तविक रूप से एक तेजस्वी व्यक्‍ति थे, और इनके लिए पश्चिमी जगत को हिंदू धर्म से परिचित कराने का श्रेय दिया जाता है।
  • वह श्री रामकृष्ण परमहंस के एक उत्साही शिष्य और भारत में हिंदू धर्म का पुनरुद्धार करने में एक प्रमुख शक्ति थे।
  • उन्होंने औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया, और उन्होंने वर्ष 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में अपना सर्वाधिक प्रसिद्ध भाषण दिया था ।
  • वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस 12 जनवरी को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था।

प्रारंभिक जीवन एवं योगदान:

  • 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्मे स्वामी विवेकानंद को उनके संन्यास-पूर्व जीवन में नरेंद्र नाथ दत्त के नाम से जाना जाता था।
  • उन्हें योग और वेदांत संबंधी हिंदू दर्शन को पश्चिम में प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विवेकानंद को “आधुनिक भारत का निर्माता” कहा था।
  • 1893 में, खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने ‘विवेकानंद’ नाम धारण किया था।
  • उन्होंने, सबसे निर्धन और निकृष्ट लोगों तक उत्कृष्ट विचारों को पहुचाने के लिए, 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
  • वर्ष 1899 में उन्होंने बेलूर मठ की स्थापना की, जो आगे चलकर उनका स्थायी निवास बन गया।
  • उन्होंने ‘नव-वेदांत’, पश्चिमी दृष्टिकोण से हिंदू धर्म की व्याख्या, का प्रचार किया, और वह भौतिक प्रगति के साथ-साथ आध्यात्मिकता के संयोजन में विश्वास करते थे।

उनके द्वारा रचित पुस्तकें:

‘राज योग’, ‘ज्ञान योग’, ‘कर्म योग’ उनके द्वारा लिखी गयी कुछ पुस्तकें हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि अब तक विश्व में छह अंतरराष्ट्रीय आधुनिक धर्म संसद का आयोजन किया जा चुका है? Read here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. विश्व धर्म संसद, 1893 के बारे में
  2. मुख्य प्रतिभागी
  3. हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किसने किया?
  4. विश्व धर्म संसद परिषद का मुख्यालय
  5. अब तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आधुनिक धर्म संसद
  6. हिंदू धर्म में स्वामी विवेकानंद का योगदान
  7. रामकृष्ण मिशन के बारे में

मेंस लिंक:

स्वामी विवेकानंद, पश्चिम में ‘भारतीय ज्ञान के दूत’ किस प्रकार बन गए। चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी।

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

मुख्यमंत्री की नियुक्ति और पद-मुक्ति


संदर्भ:

विधानसभा के लिए चुने जाने हेतु छह महीने की अवधि पूरी होने तथा बढ़ती अनिश्चितताओं के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

संबंधित प्रकरण:

निर्वाचन आयोग (Election Commission) द्वारा अभी तक उत्तराखंड में रिक्त विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव कराने पर निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसा होने पर श्री रावत को मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का मार्ग मिल सकता था।

संविधान के अनुसार, तीरथ सिंह रावत के पास मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए, उत्तराखंड विधानसभा का सदस्य बनने के लिए, 10 सितंबर तक, छह महीने का समय था।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, राज्य की विधानसभा में किसी भी रिक्त स्थान के लिए उपचुनाव, उस रिक्ति के छह महीने के भीतर होना चाहिए, बशर्ते कि विधानसभा के कार्यकाल की शेष अवधि एक वर्ष से कम न हो, अथवा निर्वाचन आयोग और केंद्र द्वारा यह प्रमाणित न किया गया हो, कि निर्धारित अवधि में उपचुनाव कराना मुश्किल है।

2017 में उत्तराखंड की निर्वाचित वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च 2022 को समाप्त होगा, अर्थात, राज्य में होने वाले आम चुनाव में एक साल से भी कम का समय शेष है।

मुख्यमंत्री की नियुक्ति:

  • राज्य के मुख्यमंत्री (Chief Minister) की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार- राज्यपाल की सहायता और सलाह प्रदान करने हेतु मुख्यमंत्री सहित एक मंत्रिपरिषद होगी।

‘मुख्यमंत्री’ के रूप में किसे नियुक्त किया जा सकता है?

राज्य विधानसभा के लिए आम चुनाव के बाद, सदन में बहुमत हासिल करने वाले दल अथवा गठबंधन द्वारा अपने नेता का चुनाव करते हैं, और राज्यपाल को इसके बारे में सूचित किया जाता है। राज्यपाल, तब औपचारिक रूप से उसे ‘मुख्यमंत्री’ के पद पर नियुक्त करता है और उसे अपने मंत्रिमंडल का गठन करने के लिए कहता है।

राज्य विधानसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं होने की स्थिति में, राज्यपाल प्रायः सबसे बड़े दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है।

कार्यकाल:

सैद्धांतिक रूप से, मुख्यमंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है। हालांकि, यथार्थ में मुख्यमंत्री उस समय तक अपने पद पर बना रहता है, जब तक उसे राज्य विधानसभा में सदस्यों का बहुमत हासिल रहता है राज्य के विधानसभा में बहुमत के नेता बने

  • विधानसभा में बहुमत का समर्थन खोने की स्थिति में राज्यपाल, मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर सकता है।
  • राज्य विधानसभा भी, उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करके पद-मुक्त कर सकती है।

मुख्यमंत्री की शक्तियां एवं कार्य

  • राज्यपाल को सहायता और सलाह देना।
  • मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद के प्रमुख होता है।
  • वह सदन के नेता होता है।
  • वह राज्य के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों के बारे में राज्यपाल को सूचित करता है।
  • उसके द्वारा सदन में सभी नीतियों की घोषणा की जाती है।
  • वह राज्यपाल को विधान सभा भंग करने की सिफारिश करता है।
  • वह राज्यपाल को समय-समय पर राज्य विधान सभा के सत्रों को बुलाने तथा समाप्त करने के संबंध में सलाह देता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 11, के तहत निर्वाचन आयोग को “अभिलिखित किए जाने वाले कारणों’ के लिए किसी ‘निर्हरता’ को हटाने या कम करने की शक्ति प्राप्त है? इसके बारे में यहां और जानें।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मुख्यमंत्री के रूप में किसे नियुक्त किया जा सकता है?
  2. मुख्यमंत्री की नियुक्ति में राज्यपाल की भूमिका
  3. मंत्रिपरिषद
  4. शक्तियां
  5. कार्य
  6. कार्यकाल

मेंस लिंक:

राज्य के मुख्यमंत्री की भूमिका और कार्यों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मानव तस्करी-रोधी विधेयक का मसौदा


(Draft anti-trafficking Bill)

संदर्भ:

हाल ही में,महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा मानव तस्करी (रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक, 2021 (Trafficking in Persons (Prevention, Care and Rehabilitation) Bill, 2021) के मसौदे पर सभी हितधारकों से टिप्पणियां/सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।

विधेयक के प्रमुख बिंदु:

  1. प्रस्तावित विधेयक में अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत भारी जुर्माना और उनकी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
  2. इस विधेयक में महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने के साथ-साथ पीड़ितों के रूप में ट्रांसजेंडर या तस्करी के शिकार किसी अन्य व्यक्ति को भी शामिल किया गया हैं।
  3. इस मसौदा में उस प्रावधान को भी समाप्त करने के प्रावधान है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को ‘पीड़ित’ के रूप में परिभाषित करने के लिए, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाना आवश्यक होता है।
  4. ‘शोषण’ की परिभाषा में, दूसरों का वेश्यावृत्ति के रूप में शोषण अथवा पोर्नोग्राफी जैसे यौन शोषण के अन्य स्वरूपों, शारीरिक शोषण का कोई भी कृत्य, बलात श्रम, दासता या दासता जैसी प्रथाओं, गुलामी या अंगो को जबरन हटवाना आदि को शामिल किया गया है।

प्रयोज्यता:

यह क़ानून निम्नलिखित सभी व्यक्तियों पर लागू होगा –

  • भारत की सीमा में और बाहर रहने वाले सभी नागरिक।
  • भारत में पंजीकृत किसी भी जहाज या विमान पर सवार व्यक्ति, चाहे वह कहीं भी हो या भारतीय नागरिकों को कहीं भी ले जा रहा हो।
  • इस अधिनियम के तहत अपराध करने के समय भारत में निवास करने वाला कोई भी विदेशी नागरिक या राज्य-हीन (स्टेटलेस) व्यक्ति।
  • सीमा-पार निहितार्थ वाला मानव-तस्करी का हर अपराध।
  • रक्षा कर्मी और सरकारी कर्मचारी, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ या प्राधिकार-स्थिति धारण करने वाला कोई भी व्यक्ति।

भारत में तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधान:

  1. अनुच्छेद 23 (1) के तहत भारत के संविधान के तहत मानव या व्यक्तियों की तस्करी निषिद्ध है।
  2. अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (Immoral Traffic (Prevention) Act ITPA), व्यावसायिक यौन शोषण के लिए तस्करी की रोकथाम हेतु प्रमुख कानून है।
  3. आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता की धारा 370 को धारा 370 और 370A IPC से प्रतिस्थापित किया गया है, जिनमे मानव तस्करी के खतरे का मुकाबला करने हेतु व्यापक प्रावधान किए गए हैं।

व्यक्तियों की तस्करी’ रिपोर्ट, 2021:

(Trafficking in Persons report 2021)

  1. अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी ‘व्यक्तियों की तस्करी रिपोर्ट’ 2021 के अनुसार, कोविड -19 महामारी के परिणामस्वरूप मानव तस्करी के प्रति भेद्यता में वृद्धि हुई है और इससे मौजूदा तस्करी-रोधी प्रयासों में बाधा आई है।
  2. यद्यपि, भारत द्वारा तस्करी को खत्म करने के लिए न्यूनतम मानक पूरे नहीं किए गए हैं, किंतु इस संदर्भ में सरकार महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास, खासकर बंधुआ-मजदूरी के संदर्भ में, अपर्याप्त हैं।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि मानव तस्करी और समाज पर इसके प्रभाव का मुकाबला करने हेतु वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र द्वारा ब्लू हार्ट अभियान शुरू किया गया है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. IPC की धारा 370 और 370A किससे संबंधित है?
  2. संविधान का अनुच्छेद 23 (1)
  3. संयुक्त राष्ट्र का ब्लू हार्ट अभियान किससे संबंधित है?
  4. ‘प्रथम उत्तरदाता’ कौन होते हैं?
  5. ‘मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस’ के बारे में

मेंस लिंक:

भारत में तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधानों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर इस्तांबुल अभिसमय


संदर्भ:

हाल ही में, तुर्की, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को रोकने से संबंधित ‘इस्तांबुल अभिसमय’ (Istanbul Convention) से बाहर हो गया है।

पृष्ठभूमि:

24 नवंबर, 2011 को तुर्की द्वारा ‘इस्तांबुल अभिसमय’ की पुष्टि की गई थी और यह इस ‘अभिसमय’ का अनुसमर्थन करने वाला पहला देश था। 8 मार्च 2012 को तुर्की ने ‘इस्तांबुल अभिसमय’ को अपने ‘घरेलू कानूनों’ में शामिल कर लिया था।

‘इस्तांबुल अभिसमय’ से अलग होने पर की जा रही आलोचनाओं का कारण:

तुर्की के इस निर्णय की विभिन्न क्षेत्रों से कड़ी आलोचना की जा रही है और इसके विरोध में देश भर में विरोध हुए हैं।

  1. देश में हिंसा और स्त्री-हत्या की खतरनाक रूप से उच्च दर होने के बावजूद तुर्की, इस अभिसमय से अलग हो गया है।
  2. ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट’ 2021 में, 156 देशों की सूची में तुर्की को 133 वां स्थान प्राप्त हुआ था।
  3. संयुक्त राष्ट्र ‘महिला’ (UN Women) के आंकड़ों के अनुसार, तुर्की में 38 प्रतिशत महिलाओं को अपने जीवनकाल में, अपने साथी द्वारा हिंसा का सामना करना पड़ता है।
  4. तुर्की सरकार द्वारा महिलाओं की हत्या पर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है।

तुर्की के अभिसमय से अलग होने के कारण:

  • तुर्की सरकार का कहना है, कि यह अभिसमय, पारंपरिक पारिवारिक संरचना का अवमूल्यन करता है, तलाक को बढ़ावा देता है और समाज में LGBTQ के स्वीकरण को प्रोत्साहित करता है।
  • सरकार के अनुसार, इसके अलावा भी तुर्की में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त स्थानीय कानून मौजूद हैं।

चिंता का विषय:

  1. तुर्की सरकार ने या निर्णय ऐसे समय में लिया है, जब कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ घरेलू हिंसा तीव्र हो रही है।
  2. लोग इस बात से भी चिंतित हैं, कि अब तुर्की की महिलाओं के बुनियादी अधिकार और सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।

‘इस्तांबुल अभिसमय’ क्या है?

इसे, ‘महिलाओं और घरेलू हिंसा के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम तथा उससे निपटने हेतु यूरोपीय समझौता परिषद’ (Council of Europe Convention on preventing and combating violence against women and domestic violence) भी कहा जाता है।

  1. यह संधि महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम करने और निपटने के लिए विश्व का पहला बाध्यकारी उपकरण है।
  2. इस व्यापक वैधानिक ढाँचे में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा, घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, महिला जननांग अंगभंग (female genital mutilation- FGM), तथा सम्मान-आधारित हिंसा (honour-based violence) और बलपूर्वक विवाह को रोकने के लिए प्रावधान किये गए है।
  3. किसी देश की सरकार के द्वारा अभिसमय के पुष्टि किये जाने के पश्चात वह इस संधि का पालन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होते हैं।
  4. मार्च 2019 तक, इस संधि पर 45 देशों तथा यूरोपीय संघ द्वारा हस्ताक्षर किये गए है।
  5. इस अभिसमय को 7 अप्रैल 2011 को यूरोपीय परिषद की ‘कमेटी ऑफ़ मिनिस्टर्स’ द्वारा अपनाया गया था।
  6. इस अभिसमय में, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से निपटने हेतु सरकारों के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित किये गए है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1979 में अपनाये गए ‘महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव-उन्मूलन पर अभिसमय’ (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination against Women- CEDAW) के बारे में जानते हैं? क्या भारत इस अभिसमय का एक पक्षकार है? जानने हेतु इस लेख को पढ़ें।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. इस्तांबुल- अवस्थिति
  2. इस्तांबुल अभिसमय किससे संबंधित है?
  3. यह कब हस्ताक्षरित किया गया था?
  4. अभिसमय में हस्ताक्षर करने वाला पहला देश?
  5. हाल ही में, किस देश ने अभिसमय से बाहर निकलने का फैसला किया?
  6. यूरोपीय परिषद क्या है?

मेंस लिंक:

इस्तांबुल कन्वेंशन पर एक टिप्पणी लिखिए।

 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

अमेरिका का ‘बाल सैनिक रोकथाम अधिनियम’ (CSPA)


(US Child Soldiers Prevention Act)

संदर्भ:

हाल ही में, अमेरिका द्वारा 14 अन्य देशों के साथ पाकिस्तान को ‘बाल सैनिक रोकथाम अधिनियम’ / ‘चाइल्ड सोल्जर्स प्रिवेंशन एक्ट’ (CSPA) की सूची में शामिल किया गया है।

  • इस सूची में उन विदेशी सरकारों को चिह्नित किया जाता है, जहाँ सरकार समर्थित सशस्त्र गुटों द्वारा बाल सैनिकों / ‘चाइल्ड सोल्जर्स’ की भर्ती की जाती है या इनका विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है और कड़े प्रतिबंधों के अधीन रखा जाता है।
  • अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक ‘टीआईपी’ सूची (Trafficking in Persons (TIP) list) में शामिल किए जाने वाले अन्य देश, तुर्की, अफगानिस्तान, म्यांमार, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, ईरान, इराक, लीबिया, माली, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, वेनेजुएला और यमन हैं।

‘चाइल्ड सोल्जर्स प्रिवेंशन एक्ट’, 2008 के बारे में:

इस अधिनियम में, उन विदेशी सरकारों को चिह्नित किया जाता है, जिनके पास ‘चाइल्ड सोल्जर्स’ की भर्ती करने वाले, या इनका उपयोग करने वाले सरकार समर्थित सशस्त्र समूहों की मौजूदगी पाई जाती है।

  • अधिनियम के तहत, एक वार्षिक मानव तस्करी (Trafficking in Persons – TIP) रिपोर्ट में, पिछले वर्ष ‘चाइल्ड सोल्जर्स’ की भर्ती करने वाले या उनका उपयोग करने वाली विदेशी सरकारों की सूची प्रकाशित की जाती है।
  • इस अधिनियम के तहत सूची में शामिल होने वाली विदेशी सरकारों को कुछ सुरक्षा सहायताओं और सैन्य उपकरणों के वाणिज्यिक लाइसेंस दिए जाने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

‘बाल सैनिक’ / ‘चाइल्ड सोल्जर कौन होते है?

  1. ‘बाल सैनिक’ शब्द का तात्पर्य 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे किसी भी व्यक्ति से होता है, जो युद्धक स्थितियों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेता हो अथवा उसे सरकारी सशस्त्र बलों, पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों में अनिवार्य रूप से भर्ती किया गया हो।
  2. ‘चाइल्ड सोल्जर’ के अंतर्गत सरकारी सशस्त्र बलों, पुलिस, या अन्य सुरक्षा बलों में स्वेच्छा से भर्ती होने वाले 15 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति, अथवा किसी देश के सशस्त्र बलों द्वारा भर्ती किए जाने वाले या लड़ाई में इस्तेमाल किए जाने वाले 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को शामिल किया जाता है।
  3. इसके तहत, सहायक, कुक, कुली, संदेशवाहक, चिकित्सक, गार्ड या सेक्स गुलाम जैसे किसी अन्य रूप में काम करने वाले व्यक्तियों को भी शामिल किया जाता है।

इन देशों को किस प्रकार चिह्नित किया जाता है?

किसी सरकार को ‘बाल सैनिक रोकथाम अधिनियम’ (CSPA) सूची में शामिल करने का निर्णय कई स्रोतों द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर लिया जाता है। इन स्रोतों में, अमेरिकी सरकार के कर्मियों द्वारा प्रत्यक्ष अवलोकन और संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों की विश्वसनीय रिपोर्टिंग, और अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर किए गया शोध आदि शामिल होते है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सैनिकों के रूप में भर्ती या इनका उपयोग, ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय (UN Convention on the Rights of the Child CRC) और जिनेवा समझौतों के सहायक प्रोटोकॉल दोनों के अंतर्गत निषिद्ध किया गया है, और इसे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की ‘रोम संविधि’ के तहत युद्ध अपराध माना जाता है। Read here

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

‘यूनिटी 22 मिशन


(Unity 22 mission)

संदर्भ:

‘यूनिटी 22’, अमेरिका की प्रमुख निजी स्पेस एजेंसी ‘वर्जिन गैलेक्टिक’ (Virgin Galactic) के स्पेसशिप- ‘वीएसएस यूनिटी’ (VSS Unity) की अगली रॉकेट-चालित परीक्षण उड़ान होगी।

मिशन के बारे में:

‘यूनिटी 22’ मिशन के एक भाग के रूप में, ‘वर्जिन गेलेक्टिक’ द्वारा विकसित ‘यूनिटी’ रॉकेट यान पर सवार चालक दल सुदूर अंतरिक्ष में उड़ान भरेगा।

  • यह ‘वीएसएस यूनिटी’ का 22वां मिशन होगा।
  • यह ‘वर्जिन गेलेक्टिक’ की चालक दल सहित चौथी अंतरिक्ष उड़ान होगी।
  • इस मिशन में वर्जिन ग्रुप के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन सहित दो पायलटों और चार मिशन विशेषज्ञों का दल अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। रिचर्ड ब्रैनसन, निजी तौर पर अंतरिक्ष यात्री का अनुभव प्राप्त करेंगे।

मिशन के उद्देश्य:

  • ‘यूनिटी 22’ केबिन और ग्राहकों के अनुभव परीक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • वर्तमान में, वर्जिन गेलेक्टिक द्वारा वर्ष 2022 में वाणिज्यिक सेवा शुरू करने की योजना से पहले, दो अतिरिक्त परीक्षण उड़ाने अंतरिक्ष में भेजी जाएंगी।

भारत के लिए महत्व:

भारत में जन्मी अंतरिक्ष यात्री ‘सिरिशा बांडला’ (Sirisha Bandla) ‘यूनिटी 22’ मिशन के चालक दल का हिस्सा होंगी।

  • वह, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला होंगी।
  • ‘सिरिशा बांडला’ से पहले अंतरिक्ष में जाने वाले एक अन्य भारतीय ‘राकेश शर्मा’ थे।

वीएसएस यूनिटी अंतरिक्षयान की विशिष्टता:

वर्जिन गेलेक्टिक के सबऑर्बिटल अंतरिक्ष यान को ‘व्हाइट नाइट टू’ (White Knight Two) नामक एक कैरीअर एयरक्राफ्ट की तली से हवा में प्रक्षेपित किया गया है। यह अंतरिक्ष यान लगभग 90 किलोमीटर की ऊँचाई तक उड़ान भर सकता है। यह दूरी, यात्रियों को कुछ मिनट तक भारहीनता का अनुभव और अंतरिक्ष से पृथ्वी की गोलाई / वक्रता का दर्शन कराने के लिए पर्याप्त है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

  1. क्या आपने पर्यटकों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले ‘न्यू शेफर्ड’ नामक रॉकेट सिस्टम के बारे में सुना? इसके बारे में जानने हेतु पढ़िए
  2. किस ऊंचाई को ‘अंतरिक्ष का किनारा’ (Edge of Space) माना जाता है? क्रेमन लाइन’ (Karman line) कहाँ है? इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए पढ़ें।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘यूनिटी 22’ मिशन के बारे में
  2. उद्देश्य
  3. इसी प्रकार के अन्य मिशन

मेंस लिंक:

‘यूनिटी 22’ मिशन के महत्व पर चर्चा करें।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

प्रोजेक्ट बोल्ड


(Project BOLD)

संदर्भ:

राजस्थान में जनजातियों की आय और बांस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा उदयपुर के आदिवासी गांव निकला मंडवा से एक अनोखी ‘BOLD परियोजना’ शुरू की गई है।

  • इसके लिए विशेष रूप से असम से लाए गए बांस की विशेष प्रजातियों- बंबुसा टुल्डा और बंबुसा पॉलीमोर्फा के 5000 पौधों को ग्राम पंचायत की खाली शुष्क भूमि पर लगाया गया है।
  • इस तरह KVIC ने एक ही स्थान पर एक ही दिन में सर्वाधिक संख्या में बांस के पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है।

‘प्रोजेक्ट बोल्ड’ के बारे में:

  1. बोल्ड का अर्थ “सूखे की स्थिति में भू-क्षेत्र पर बांस मरु-उद्यान” अर्थात (Bamboo Oasis on Lands in Drought BOLD) है।
  2. यह परियोजना ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ (KVIC) द्वारा शुरू की गई है।
  3. यह परियोजना, खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित खादी बांस महोत्सव का हिस्सा है।
  4. उद्देश्य: शुष्क और अर्ध-शुष्क भू-क्षेत्रों में बांस आधारित हरित पट्टियां विकसित करना, मरुस्थलीकरण कम करना और आजीविका एवं बहु-विषयक ग्रामीण उद्योग सहायता प्रदान करना।

परियोजना में ‘बांस’ को क्यों चुना गया?

बांस बहुत तेजी से बढ़ते हैं और लगभग तीन साल की अवधि में उन्हें काटा जा सकता है। बांस को पानी के संरक्षण और भूमि की सतह से पानी के वाष्पीकरण को कम करने के लिए भी जाना जाता है, जोकि शुष्क और सूखाग्रस्त क्षेत्रों की एक विशेषता होती है।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग:

KVIC, खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 (Khadi and Village Industries Commission Act, 1956) के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।

  • आयोग का प्रमुख कार्य, ग्रामीण विकास में लगे अन्य अभिकरणों से समन्वय स्थापित कर ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और अन्य ग्रामोद्योग के विकास के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाते हुए इसे संबंर्धित,संगठित तथा कार्यान्वित करना है।
  • यह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

बांस एक लघु वनोपज है। वन अधिकार अधिनियम, 2006  के तहत प्रदत्त अधिकारों में लघु वन उपज (MFP) एकत्र करने और बेचने का अधिकार शामिल है। इस अधिनियम के तहत उपलब्ध अधिकारों के बारे में यहां पढ़ें, 

 

प्रारंभिक लिंक:

  1. प्रोजेक्ट BOLD के बारे में
  2. उद्देश्य
  3. KVIC के बारे में
  4. KVIC द्वारा चलाई जा रही अन्य परियोजनाएं

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

फ्लाई ऐश


(Fly Ash)

संदर्भ:

विद्युत मंत्रालय के अधीन एक महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (CPSU) और भारत की सबसे बड़ी एकीकृत विद्युत उत्पादक कंपनी NTPC लिमिटेड ने अपने थर्मल पावर प्लांटों द्वारा उत्पादित फ्लाई ऐश (Fly Ash) की 100 फीसदी उपयोगिता की दिशा में अपने प्रयास के तहत मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों के नामित बंदरगाहों से फ्लाई ऐश की बिक्री के लिए रुचि-प्रपत्र (Expression of Interest – EoI) आमंत्रित किए हैं।

NTPC बिजली संयंत्रों से बंदरगाहों को फ्लाई ऐश की आपूर्ति करेगा और इसके निर्यात हेतु 14.5 मिलियन टन प्रति वर्ष की कुल मात्रा निर्धारित है।

पृष्ठभूमि:

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, थर्मल प्लांट शुरू होने के चौथे वर्ष से फ्लाई ऐश की 100 फीसदी उपयोगिता सुनिश्चित करना आवश्यक है।

‘फ्लाई ऐश’ क्या होती है?

इसे आमतौर ‘चिमनी की राख’ अथवा ‘चूर्णित इंर्धन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के रूप में जाना जाता है। यह कोयला दहन से निर्मित एक उत्पाद होती है।

फ्लाई ऐश का गठन:

यह कोयला-चालित भट्टियों (Boilers) से निकलने वाले महीन कणों से निर्मित होती है।

  • भट्टियों में जलाये जाने वाले कोयले के स्रोत तथा उसकी संरचना के आधार पर, फ्लाई ऐश के घटक काफी भिन्न होते हैं, किंतु सभी प्रकार की फ्लाई ऐश में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
  • फ्लाई ऐश के सूक्ष्म घटकों में, आर्सेनिक, बेरिलियम, बोरोन, कैडमियम, क्रोमियम, हेक्सावलेंट क्रोमियम, कोबाल्ट, सीसा, मैंगनीज, पारा, मोलिब्डेनम, सेलेनियम, स्ट्रोंटियम, थैलियम, और वैनेडियम आदि पाए जाते है। इसमें बिना जले हुए कार्बन के कण भी पाए जाते है।

स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी खतरे

  • विषाक्त भारी धातुओं की उपस्थति: फ्लाई ऐश में पायी जाने वाली, निकल, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, लेड, आदि सभी भारी धातुएं प्रकृति में विषाक्त होती हैं। इनके सूक्ष्म व विषाक्त कण श्वसन नालिका में जमा हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे विषाक्तीकरण का कारण बनते रहते हैं।
  • विकिरण: परमाणु संयंत्रो तथा कोयला-चालित ताप संयत्रों से समान मात्रा में उत्पन्न विद्युत् करने पर, परमाणु अपशिष्ट की तुलना में फ्लाई ऐश द्वारा सौ गुना अधिक विकिरण होता है।
  • जल प्रदूषण: फ्लाई ऐश नालिकाओं के टूटने और इसके फलस्वरूप राख के बिखरने की घटनाएं भारत में अक्सर होती रहती हैं, जो भारी मात्रा में जल निकायों को प्रदूषित करती हैं।
  • पर्यावरण पर प्रभाव: आस-पास के कोयला आधारित विद्युत् संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले राख अपशिष्ट से मैंग्रोव का विनाश, फसल की पैदावार में भारी कमी, और कच्छ के रण में भूजल के प्रदूषण को अच्छी तरह से दर्ज किया गया है।

फ्लाई ऐश का उपयोग

  1. कंक्रीट उत्पादन, रेत तथा पोर्टलैंड सीमेंट हेतु एक वैकल्पिक सामग्री के रूप में।
  2. फ्लाई-ऐश कणों के सामान्य मिश्रण को कंक्रीट मिश्रण में परिवर्तित किया जा सकता है।
  3. तटबंध निर्माण और अन्य संरचनात्मक भराव।
  4. सीमेंट धातुमल उत्पादन – (चिकनी मिट्टी के स्थान पर वैकल्पिक सामग्री के रूप में)।
  5. नरम मिट्टी का स्थिरीकरण।
  6. सड़क निर्माण।
  7. ईंट निमार्ण सामग्री के रूप में।
  8. कृषि उपयोग: मृदा सुधार, उर्वरक, मिट्टी स्थिरीकरण।
  9. नदियों पर जमी बर्फ पिघलाने हेतु।
  10. सड़कों और पार्किंग स्थलों पर बर्फ जमाव नियंत्रण हेतु।

 

 

 

इंस्टा जिज्ञासु:

कोयले के दहन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों के साथ बड़ी मात्रा में राख का निर्माण होता है। फ्लू गैसों (flue gases) के साथ ऊपर उठने वाली महीन कण राख को फ्लाई या फ्लू ऐश के रूप में जाना जाता है। जो भारी राख जो ऊपर नहीं उठती है उसे बॉटम ऐश (bottom ash) कहा जाता है। सामूहिक रूप से इनके लिए कोयले की राख के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया के बारे अधिक जानने के लिए देखें।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. फ्लाई ऐश क्या है?
  2. स्रोत
  3. प्रदूषक
  4. संभावित अनुप्रयोग

मेंस लिंक:

फ्लाई ऐश क्या होती है? मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

स्रोत: पीआईबी।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


बगराम एयरबेस

(Bagram airbase)

हाल ही में, अमेरिका और नाटो सैन्य बलों द्वारा अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को खाली कर दिया गया है। यह लगभग पिछले 20 वर्षों से आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध का केंद्र रहा था।

  • इस एयरबेस से सैन्य बलों का पीछे हटना इस बात का संकेत है, कि शीघ्र ही अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सेनाओं की पूर्ण वापसी हो जाएगी।
  • यह एयरबेस, अफ़ग़ानिस्तान के एक प्राचीन शहर बगराम के निकट स्थित है।

अंतिम हिम क्षेत्र

(Last Ice Area)

  • ग्रीनलैंड के उत्तर में स्थित आर्कटिक का हिमाच्छादित भाग जिसे ‘अंतिम हिम क्षेत्र’ अर्थात “लास्ट आइस एरिया” कहा जाता है, अपेक्षा से पहले पिघल गया है।
  • जलवायु अनुमानों के अनुसार, आर्कटिक में वर्ष 2040 तक ग्रीष्मकालीन हिम के पूरी तरह से पिघलने का अनुमान लगाया गया था और “लास्ट आइस एरिया” को गर्म जलवायु का सामना करने में सक्षम एकमात्र हिमक्षेत्र बताया गया था। वैज्ञानिकों का मानना ​​था कि यह क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग को झेलने के लिए काफी मजबूत है।
  • इस क्षेत्र को ‘लास्ट आइस एरिया’ का नाम ‘डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-कनाडा’ (WWF-Canada) द्वारा दिया गया था।

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

(Financial Stability Report)

हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) जारी की गई।

  • FSR का प्रकाशन द्विवार्षिक रूप से किया जाता है।
  • इस रिपोर्ट में वित्तीय स्थिरता और वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन के जोखिमों पर, वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति का आकलन प्रस्तुत किया जाता है।
  • रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।

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