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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. संघ बनाम केंद्र: द्रमुक पार्टी द्वारा भारत सरकार के लिए ‘सही’ शब्द का उपयोग करने पर जोर
2. भारतनेट परियोजना
सामान्य अध्ययन-III
1. सभी DISCOMs के बेहतर संचालन और वित्तीय स्थिरता हेतु पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्रक योजना
2. ग्रीन हाइड्रोजन
3. ब्लैक कार्बन के कारण अकाल मृत्यु: एक अध्ययन
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
संघ बनाम केंद्र: द्रमुक पार्टी द्वारा भारत सरकार के लिए ‘सही’ शब्द का उपयोग करने पर जोर
संदर्भ:
नई दिल्ली से कार्य करने वाली तथा राज्यों और स्थानीय निकायों सहित ‘भारतीय राज्य’ (Indian state) का निर्माण करने वाली ‘भारत सरकार’ को संदर्भित करने के लिए सही शब्द क्या है?
- प्रचलित रूप से – और बहुधा आधिकारिक पत्रव्यवहार में भी – इस संस्था को “केंद्र सरकार” (Central government) या संक्षेप में “केंद्र” (Centre) कहा जाता है।
- हालांकि, तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी का जोर देकर कहना है, कि इसके लिए सही शब्द वास्तव में “संघ सरकार” (Union government) है।
इस विवाद का आरंभ:
तमिलनाडु में 7 मई को नई द्रमुक (DMK) सरकार द्वारा पदभार सँभालने के बाद से, इसके द्वारा अपने आधिकारिक बयानों और प्रेस विज्ञप्तियों में संघीय सरकार को संदर्भित करने के लिए तमिल शब्द “ओंड्रिया अरासु” (Ondriya Aras) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- इससे पहले, राज्य सरकार के पत्रव्यवहार में “मथ्थिया अरासु” (Maththiya Arasu) अर्थात ‘केंद्र सरकार’ शब्दावली का प्रयोग किया जाता था।
- डीएमके नेताओं के अनुसार, संविधान में भारत को “राज्यों के संघ” के रूप में वर्णित किया गया है और इसलिए केंद्र को संदर्भित करने हेतु आदर्श शब्द “संघ सरकार” होगा।
इस संबंध में भारत का संविधान क्या कहता है?
भारतीय संविधान में संपूर्ण देश और इसे संचालित करने वाली सरकार का वर्णन करने हेतु निरंतर “संघ” (Union) शब्द का प्रयोग किया गया है।
उदाहरण के लिए:
- अनुच्छेद 53 में कहा गया है, कि “संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी”।
- अनुच्छेद 1 में कहा गया है: “इंडिया, अर्थात् भारत, राज्यों का संघ होगा”।
कृपया ध्यान दें, संविधान सभा द्वारा पारित मूल संविधान में ‘केंद्र सरकार’ (Central government) शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।
संविधान सभा का अभिप्राय:
संविधान सभा द्वारा, एक सशक्त संयुक्त देश का निर्माण करने हेतु विभिन्न प्रांतों और क्षेत्रों के एकीकरण और मेल पर जोर दिया गया था:
- इसी कारणवश 13 दिसंबर 1946 को, जवाहरलाल नेहरू द्वारा, इस संकल्प के साथ कि “भारत ‘स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य’ (Independent Sovereign Republic) में सम्मिलित होने के लिए उत्सुक राज्य-क्षेत्रों का एक संघ होगा”, संविधान सभा के लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्रस्तुत किया गया था।
- बीआर अम्बेडकर ने ‘राज्यों के संघ’ के उपयोग को उचित ठहराते हुए कहा कि, मसौदा समिति (Drafting Committee) यह स्पष्ट करना चाहती है, कि भारतीय संघ, राज्यों के मध्य हुए किसी समझौते का परिणाम नहीं है, और राज्यों को संघ से विभक्त होने का कोई अधिकार नहीं है। यह संघ है, यह विभक्त नहीं हो सकता।
संघ बनाम केंद्र- कौन सा शब्द बेहतर है?
- ‘केंद्र’ (Centre) या ‘केंद्र सरकार’ (Central government) में, शक्तियों को एक इकाई में केंद्रीकृत करने की प्रवृत्ति होती है।
- ‘संघ सरकार’ (Union government) या ‘भारत सरकार’ में एक एकीकृत प्रभाव प्रदर्शित होता है; क्योंकि, इसके माध्यम यह संदेश जाता है कि ‘सभी की सरकार’ (government is of all) है।
- सुभाष कश्यप के अनुसार, ‘केंद्र’ या ‘केंद्र सरकार’ शब्द का उपयोग करने का तात्पर्य यह होगा कि राज्य सरकारें इसके अधीन हैं।
दो शब्दों की मौजूदगी का कारण:
यह शब्द ‘औपनिवेशिक काल’ से उपयोग में चले आ रहे हैं।
- इन शब्दों का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 और ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट’, 1919 में प्रयोग किया गया था।
- वर्ष 1935 में लागू किए गए ‘भारत सरकार अधिनियम’ में पहली बार “फेडरेशन ऑफ इंडिया” शब्द का प्रयोग किया गया था।
- इसके लिए आधुनिक शब्द “संघ” का पहली बार आधिकारिक तौर पर वर्ष 1946 में ‘कैबिनेट मिशन योजना’ में प्रयोग किया गया था। यह सत्ता हस्तांतरण के पश्चात भारत को एकजुट रखने हेतु एक ब्रिटिश योजना थी।
तमिलनाडु सरकार के फैसले का महत्व:
तमिलनाडु सरकार द्वारा अपने आधिकारिक पत्रव्यवहार में ‘केंद्र सरकार’ शब्द के उपयोग को बंद करने और इसके स्थान पर “संघ सरकार’ का प्रयोग करने का निर्णय, हमारे संविधान की चेतना को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इंस्टा जिज्ञासु:
भारतीय संविधान प्रकृति में संघीय और एकात्मक दोनों है क्योंकि यह संघीय और एकात्मक विशेषताओं का एक संयोजन है। संविधान में उल्लिखित एकात्मक और संघीय विशेषताओं की सूची बनाएं। Click here
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 और अनुच्छेद 53 का संक्षिप्त विवरण
- रेगुलेटिंग एक्ट, 1773
- भारत सरकार अधिनियम, 1919
- भारत सरकार अधिनियम 1935
मेंस लिंक:
भारतीय संघ, राज्यों के मध्य हुए किसी समझौते का परिणाम नहीं है, और राज्यों को संघ से विभक्त होने का कोई अधिकार नहीं है। चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
भारतनेट परियोजना
(BharatNet project)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा देश के 16 राज्यों में ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (Public-Private Partnership – PPP) के माध्यम से भारतनेट की संशोधित कार्यान्वयन रणनीति को मंजूरी प्रदान की गई है।
कार्यान्वयन रणनीति के प्रमुख बिंदु:
- सरकार द्वारा परियोजना के लिए ‘व्यवहार्यता अंतर निधि’ (Viability Gap Funding) के रूप में 19,041 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।
- भारतनेट का अब चयनित 16 राज्यों में ग्राम पंचायतों (Gram Panchayats) से अलग सभी बसे हुए वाले गांवों तक विस्तार किया जाएगा।
- संशोधित रणनीति में रियायत के साथ भारतनेट का निर्माण, उन्नयन, संचालन, रख-रखाव और उपयोग भी शामिल है, जिसका चयन प्रतिस्पर्धी अंतर्राष्ट्रीय बोली प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा।
महत्व:
- पीपीपी मॉडल के तहत संचालन, रख-रखाव, उपयोग और राजस्व सृजन के लिए निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाया जाएगा और इसके परिणामस्वरूप भारतनेट की सेवा तेजी से प्राप्त होने की उम्मीद है।
- सभी बसे हुए गांवों तक विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण, उच्च गति वाले ब्रॉडबैंड के साथ भारतनेट की पहुंच का विस्तार, केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा प्रदान की जाने वाली ई-सेवाओं की बेहतर पहुंच को सक्षम करेगी।
- यह ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, कौशल विकास, ई-कॉमर्स और ब्रॉडबैंड के अन्य अनुप्रयोगों को भी सक्षम करेगी।
‘भारतनेट परियोजना’ के बारे में:
मूल रूप से इस परियोजना को, अक्तूबर 2011 में ‘नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क’ (National Optical Fiber Network- NOFN) के रूप में शुरू किया गया था और वर्ष 2015 में इसका नाम बदलकर ‘भारतनेट’ (BharatNet) कर दिया गया।
- इसका उद्देश्य, ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से 5 लाख ग्राम पंचायतों को इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
- इस परियोजना का लक्ष्य, ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस, ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग, इंटरनेट और अन्य सेवाओं के वितरण को सुगम बनाना है।
- यह ‘भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड’ (BBNL) द्वारा कार्यान्वित एक प्रमुख मिशन है।
परियोजना के तहत व्यापक परिकल्पनाएँ:
- गैर-भेदभावपूर्ण आधार पर सुलभ उच्च मापनीय नेटवर्क अवसंरचना स्थापित करना।
- सभी घरों के लिये 2 Mbps से 20 Mbps तथा सभी संस्थानों को उनकी मांग क्षमता के अनुसार सस्ती ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- राज्यों और निजी क्षेत्र की साझेदारी में डिजिटल इंडिया के विज़न को साकार करना।
कार्यान्वयन:
- यह परियोजना, ‘केंद्र-राज्य सहयोग परियोजना’ (Centre-State collaborative project) है, जिसमें ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की स्थापना के लिए राज्यों को अपने अनुसार कार्य करने का अधिकार दिया गया है।
- संपूर्ण परियोजना को, देश के ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से स्थापित किए गए, ‘यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड’ (Universal Service Obligation Fund- USOF) द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है।
इंस्टा जिज्ञासु:
पूंजीगत व्यय में कटौती करने के लिए, हाल ही में कुछ दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा राज्य द्वारा संचालित ‘भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड’ (BBNL) से उसके द्वारा बिछाए गए ‘डार्क फाइबर’ का उपयोग करने के लिए संपर्क किया गया था। यह ‘डार्क फाइबर’ क्या है? Click here
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतनेट के बारे में
- उद्देश्य और कार्यान्वयन
- USOF के बारे में
- BBNL के बारे में
मेंस लिंक:
भारतनेट परियोजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
सभी DISCOMs के बेहतर संचालन और वित्तीय स्थिरता हेतु पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्रक योजना
(Revamped Distribution Sector Scheme for better operations & financial sustainability of all DISCOMs)
संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एक ‘सुधार-आधारित और परिणाम-संबद्ध, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्रक योजना’ (Revamped Distribution Sector Scheme: A Reforms based and Results linked Scheme) को स्वीकृति प्रदान की गयी है।
योजना के प्रमुख बिंदु:
- यह एक ‘सुधार-आधारित और परिणाम-संबद्ध’ योजना है।
- इस योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र के DISCOMs के अलावा सभी DISCOMs / विद्युत विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।
- इस योजना के तहत, आपूर्ति बुनियादी ढांचे (Supply Infrastructure) को मजबूत करने के लिए DISCOMs को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- यह सहायता पूर्व-अर्हता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ DISCOM द्वारा बुनियादी स्तर पर न्यूनतम मानकों को पूरा करने की उपलब्धि पर आधारित होगी।
- इस योजना के तहत, वितरण क्षेत्र में, बिजली फीडर से लेकर उपभोक्ता स्तर तक एक ‘अनिवार्य स्मार्ट मीटरिंग इकोसिस्टम’ शामिल किया गया है – जिसमें लगभग 250 मिलियन परिवार शामिल होंगे।
- यह योजना असंबद्ध फीडरों के लिए फीडर वर्गीकरण हेतु वित्त पोषण पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
- इस योजना में फीडरों के सौरकरण से सिंचाई के लिए दिन में सस्ती / निःशुल्क बिजली मिलेगी और किसानों को अतिरिक्त आय होगी।
कार्यान्वयन:
‘एकीकृत विद्युत विकास योजना’ (Integrated Power Development Scheme), ‘दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ (DDUGJY) और ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना’ जैसी मौजूदा विद्युत क्षेत्र सुधार योजनाओं को इस अम्ब्रेला कार्यक्रम में विलय कर दिया जाएगा।
- योजना का कार्यान्वयन “सभी के लिए अनुकूल एक व्यवस्था” (one-size-fits-all) दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित होगा।
- योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए ‘ग्रामीण विद्युतीकरण निगम’ (REC) लिमिटेड और ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ (PFC) को नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है।
योजना के उद्देश्य:
- 2024-25तक अखिल भारतीय स्तर पर ‘कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानि’ (aggregate technical and commercial loss- AT&C loss) औसत को 12-15% तक कम करना।
- 2024-25 तक बिजली की लागत और आपूर्ति-कीमत अंतराल को घटाकर शून्य करना।
- आधुनिक DISCOMs के लिए संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।
- वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना।
प्रीलिम्स लिंक:
- REC के बारे में।
- DDGJY के बारे में।
- IPDS के बारे में।
- पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना के प्रमुख बिंदु
मेंस लिंक:
भारत में विद्युत क्षेत्र के सुधारों पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
ग्रीन हाइड्रोजन
(Green Hydrogen)
संदर्भ:
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) द्वारा ‘सौर ऊर्जा’ और ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ जैसी स्वच्छ ऊर्जा पर केंद्रित अपने नए कारोबार में 75,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है।
रिलायंस द्वारा सौर ऊर्जा, स्टोरेज बैटरी, ग्रीन हाइड्रोजन और हाइड्रोजन को गतिक और स्थायी विद्युत् में परिवर्तित करने सक्षम एक ईंधन सेल फैक्ट्री पर ध्यान केंद्रित करते हुए चार गीगा फैक्ट्रियों का निर्माण किया जाएगा।
हरित हाइड्रोजन / ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?
नवीकरणीय / अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके ‘विद्युत अपघटन’ (Electrolysis) द्वारा उत्पादित हाइड्रोजन को ‘हरित हाइड्रोजन’ (Green Hydrogen) के रूप में जाना जाता है। इसमें कार्बन का कोई अंश (Carbon–Footprint) नहीं होता है।
- वर्तमान में प्रचलित हाइड्रोजन का उत्पादन ‘जीवाश्म ईंधनों’ से किया जाता है।
- रासायनिक अभिक्रियाओं के माध्यम से हाइड्रोजन को मुक्त करने के लिए जीवाश्म ईंधन और बायोमास जैसी जैविक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन का महत्व:
- भारत के लिए अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (Nationally Determined Contribution- INDC) लक्ष्यों को पूरा करने तथा क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुंच और उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ ऊर्जा काफी महत्वपूर्ण है।
- ग्रीन हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा के अंतराल को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
- गतिशीलता के संदर्भ में, शहरों के भीतर या राज्यों के मध्य लंबी दूरी की यात्रा या माल ढुलाई के लिए, रेलवे, बड़े जहाजों, बसों या ट्रकों आदि में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है।
ग्रीन हाइड्रोजन के अनुप्रयोग:
- अमोनिया और मेथनॉल जैसे हरित रसायनों का उपयोग सीधे मौजूदा ज़रूरतों जैसे उर्वरक, गतिशीलता, बिजली, रसायन, शिपिंग आदि में किया जा सकता है।
- व्यापक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए CGD नेटवर्क में 10 प्रतिशत तक ग्रीन हाइड्रोजन मिश्रण को अपनाया जा सकता है।
लाभ:
यह एक स्वच्छ दहन करने वाला अणु है, जो लोहा और इस्पात, रसायन और परिवहन जैसे क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने में सक्षम है।
- ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण के लिए खनिजों और दुर्लभ-पृथ्वी तत्व-आधारित बैटरी पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
- जिस अक्षय ऊर्जा को ग्रिड द्वारा संग्रहीत या उपयोग नहीं किया जा सकता है, उसका हाइड्रोजन-उत्पादन करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
हरित हाइड्रोजन उत्पादन हेतु भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- फरवरी 2021 में बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अक्षय स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने की घोषणा की गई थी।
- उसी महीने, राज्य के स्वामित्व वाली ‘इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन’ द्वारा हाइड्रोजन पर उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence on Hydrogen: CoE-H) स्थापित करने हेतु ‘ग्रीनस्टैट नॉर्वे’ (Greenstat Norway) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
- इसके तहत, नॉर्वेजियन और भारतीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/विश्वविद्यालयों के बीच ‘ग्रीन’ और ‘ब्लू हाइड्रोजन’ के उत्पादन के लिए अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
- हाल ही में, भारत और अमेरिका ने वित्त जुटाने और हरित ऊर्जा विकास को गति देने हेतु सामरिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी (Strategic Clean Energy Partnership– SCEP) के तत्वावधान में एक टास्क फोर्स का गठन किया है।
इंस्टा जिज्ञासु:
सौर, पवन ऊर्जा या जल के ‘विद्युत अपघटन’ (Electrolysis) से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन के विपरीत, ब्लू हाइड्रोजन का प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों से उत्पादन किया जाता है। इन दोनों में क्या अंतर हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में
- इसका उत्पादन किस प्रकार किया जाता है?
- अनुप्रयोग
- लाभ
- हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के बारे में
मेंस लिंक:
ग्रीन हाइड्रोजन के लाभों की विवेचना कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
ब्लैक कार्बन के कारण अकाल मृत्यु: एक अध्ययन
संदर्भ:
हाल ही में, शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा ‘ब्लैक कार्बन’ (Black Carbon) और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में एक अध्ययन किया गया था।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- ब्लैक कार्बन का मानव स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसकी वजह से अकाल मृत्यु हो सकती है।
- इंडो-गंगा का मैदान, ब्लैक कार्बन (Black Carbon- BC) से गंभीर रूप से प्रभावित है, जिसका क्षेत्रीय जलवायु और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
- वायु प्रदूषकों के स्तर में वृद्धि के साथ मृत्यु दर रैखिक रूप से बढ़ती है और उच्च स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव दिखाती है।
इस अध्ययन की प्रासंगिकता और महत्व:
- यह अध्ययन ‘ब्लैक कार्बन’ को एक संभावित स्वास्थ्य खतरे के रूप में सम्मिलित करता है, तथा यह भारत के विभिन्न हिस्सों में वायु प्रदूषकों का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का साक्ष्य देने और महामारी विज्ञान के अध्ययन हेतु प्रेरित करता है।
- इस अध्ययन से सरकार और नीति-निर्माताओं को बदलती जलवायु- वायु प्रदूषण-स्वास्थ्य के गठजोड़ से संबंधित आपदाओं को कम करने के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
‘ब्लैक कार्बन’ क्या है?
यह जीवाश्म ईंधन, जैव ईंधन और बायोमास के अधूरे दहन के माध्यम से उत्पन्न होता है, और मानवजनित और प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली कालिख, दोनों से फैलता होता है।
- ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन के विपरीत, यह स्थानीय स्रोतों से उत्पन्न होता है, और इसका स्थानीय क्षेत्रों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।
- डीजल इंजन, खाना पकाने वाले चूल्हे (cooking stoves), लकड़ी जलाने और वनाग्नि से होने वाला उत्सर्जन ‘ब्लैक कार्बन’ का प्रमुख स्रोत होता है।
- ब्लैक कार्बन, एक अल्पकालिक प्रदूषक है, तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद पृथ्वी को गर्म करने में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
समान नाम होने के बावजूद, कार्बन ब्लैक (carbon black) को ब्लैक कार्बन (black carbon) समझते हुए भ्रमित नहीं होना चाहिए। ‘कार्बन ब्लैक’ क्या है? Click here
प्रीलिम्स लिंक:
- ब्लैक कार्बन
- स्रोत
- प्रभाव
- ब्राउन कार्बन क्या है?
मेंस लिंक:
ब्लैक कार्बन के बर्फ पर जमाव से जुड़े मुद्दों की चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी
हाल ही में, हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium – IONS), जो एक द्विवार्षिक कार्यक्रम है, के 7 वें संस्करण को फ्रांसीसी नौसेना द्वारा आयोजित किया गया था।
- IONS फरवरी 2008 में शुरू की गई एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा पहल है।
- आईओएनएस का उद्देश्य क्षेत्रीय प्रासंगिक समुद्री मुद्दों की चर्चा के लिए एक खुला और समावेशी मंच प्रदान करके हिंद महासागर क्षेत्र के तटवर्ती देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने का प्रयास करना है।
- वर्तमान में, IONS में स्थायी रूप से हिंद महासागर के भीतर स्थित 24 राष्ट्र शामिल हैं और इसके अलावा 8 पर्यवेक्षक राष्ट्र भी इसमें भाग लेते हैं।
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