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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. खाद्य सुरक्षा (राज्य सरकार की सहायता नियमावली) 2015 में संशोधन
2. ‘वर्ष 2019 के दौरान विश्व भर में आत्महत्याएं’ रिपोर्ट
3. महाबलेश्वर गुफा के चमगादड़ों में निपाह वायरस के खिलाफ संभावित एंटीबॉडीज़ की खोज
4. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में शिनजियांग पर गंभीर चिंता का प्रदर्शन
सामान्य अध्ययन-III
1. यूनेस्को द्वारा ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ की संस्थिति को अवनत करने पर विचार
2. संयुक्त राष्ट्र भूमि संरक्षण पुरस्कार
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. असम के जोरहाट ने विशेष अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस नीलामी
2. विश्व का पहला ‘जेनेटिकली मॉडिफाइड रबड़’ का पौधा
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
खाद्य सुरक्षा (राज्य सरकार की सहायता नियमावली) 2015 में संशोधन
(Food Security (Assistance To State Government Rules) 2015 amended)
संदर्भ:
केंद्र सरकार द्वारा, राशन की चोरी और भ्रष्टाचार को रोकने हेतु ‘खाद्य सुरक्षा नियमावली’ में संशोधन किया गया है।
सरकार के अनुसार, इन संशोधनों का उद्देश्य, NFSA के अंतर्गत ‘लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (TPDS) के संचालन में पारदर्शिता और सुधार के माध्यम से, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 की धारा 12 में परिकल्पित सुधार प्रक्रिया को और आगे बढ़ाना है।
महत्व:
- इस संशोधन का उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार सब्सिडी वाले खाद्यान्नों का सही मात्रा में वितरण सुनिश्चित सुनिश्चित करना है।
- यह संशोधन, उन राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान है, जो ईपीओएस (ePoS) का कुशलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं और दूसरे राज्यों को ईपीओएस संचालन की दक्षता में सुधार करने तथा बचत अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
प्रमुख संशोधन:
संशोधन के अनुसार, ऐसे राज्य जो अपने ईपीओएस उपकरणों को विवेकपूर्ण तरीके से संचालित कर रहे हैं और 17.00 रुपये प्रति क्विंटल के अतिरिक्त मुनाफे से बचत में वृद्धि करने में सक्षम हैं, वे अब अपनी बचत का उपयोग, इलेक्ट्रॉनिक तौल तराजू की खरीद, संचालन और इसके रखरखाव करने में तथा बिक्री हेतु पॉइंट ऑफ सेल्स (ePoS) उपकरणों के साथ इनका एकीकरण करने के लिए कर सकते हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act- NFSA) 2013 का उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता के खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें मानव जीवन-चक्र दृष्टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा प्रदान करना है।
अधिनियम की प्रमुख विशेषताऐं:
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत कवरेज और पात्रता: TPDS के अंतर्गत 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति माह की एक-समान हकदारी के साथ 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को कवर किया जाएगा। हालांकि, मौजूदा अंत्योदय अन्न योजना (AAY) में सम्मिलित निर्धनतम परिवारों की 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह की हकदारी सुनिश्चित रखी जाएगी।
टीपीडीएस के अंतर्गत राजसहायता प्राप्त मूल्य और उनमें संशोधन: इस अधिनियम के लागू होने की तारीख से 3 वर्ष की अवधि के लिए टीपीडीएस के अंतर्गत खाद्यान्न अर्थात् चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3/2/1 रूपए प्रति किलोग्राम के राजसहायता प्राप्त मूल्य पर उपलब्ध कराया जाएगा। तदुपरान्त इन मूल्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ उचित रूप से जोड़ा जाएगा।
परिवारों की पहचान: टीपीडीएस के अंतर्गत प्रत्येक राज्य के लिए निर्धारित कवरेज के दायरे में पात्र परिवारों की पहचान संबंधी कार्य राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा किया जाएगा।
महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण सहायता: गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं तथा 6 माह से लेकर 14 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चे एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन (एमडीएम) स्कीमों के अंतर्गत निर्धारित पौषणिक मानदण्डों के अनुसार भोजन के हकदार होंगे । 6 वर्ष की आयु तक के कुपोषित बच्चों के लिए उच्च स्तर के पोषण संबंधी मानदण्ड निर्धारित किए गए हैं।
महिलाओं और बच्चों को पोषण संबंधी सहायता: 6 महीने से 14 वर्ष की आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) और मिड-डे मील (MDM) योजनाओं के तहत निर्धारित पोषण मानदंडों के अनुसार भोजन का अधिकार होगा। 6 वर्ष की आयु तक के कुपोषित बच्चों के लिए उच्च पोषण मानदंड निर्धारित किये गए है।
मातृत्व लाभ: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को 6,000 रु. का मातृत्व लाभ भी प्रदान किया जाएगा।
महिला सशक्तीकरण: राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से, परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला को परिवार का मुखिया माना जाएगा।
शिकायत निवारण तंत्र: जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध कराया जाएगा।
खाद्यान्न की रखरखाव व परिवहन लागत तथा उचित मूल्य की दुकान (FPS) व्यापारियों का लाभ:
राज्य के भीतर खाद्यान्न के परिवहन पर खर्च, इसके रखरखाव तथा उचित मूल्य की दुकान (FPS) व्यापारियों के लाभ को इस प्रयोजन हेतु तैयार किए गए मानदंडों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा, तथा उपरोक्त व्यय को पूरा करने के राज्यों केंद्र सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
पारदर्शिता और जवाबदेही: पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु, पीडीएस, सामाजिक लेखापरीक्षा और सतर्कता समितियों के गठन से संबंधित रिकॉर्ड को दिखाए जाने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
खाद्य सुरक्षा भत्ता: उपयुक्त खाद्यान्न अथवा भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में, लाभार्थियों के लिए खाद्य सुरक्षा भत्ता का प्रावधान किया गया है।
दंड अथवा जुर्माना: यदि कोई लोक सेवक या प्राधिकरण, जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा अनुशंसित राहत सहायता प्रदान करने में विफल रहता है, तो प्रावधान के अनुसार राज्य खाद्य आयोग द्वारा जुर्माना लगाया जाएगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) के बारे में सुना है? यह वह राशि है जो व्यापारी को जारीकर्ता बैंक को देनी होती है। इसका उपयोग कहाँ किया जाता है? इस लेख को पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- NFSA की प्रमुख विशेषताएं
- NFSA बनाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
- एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना के बारे में
- मिड-डे मील (MDM) योजना के बारे में
- अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के बारे में
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
‘वर्ष 2019 के दौरान विश्व भर में आत्महत्याएं’ रिपोर्ट
(‘Suicide worldwide in 2019’ report)
संदर्भ:
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ‘वर्ष 2019 के दौरान विश्व भर में आत्महत्याएं’ (Suicide worldwide in 2019) रिपोर्ट जारी की गई है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- विश्व, ‘सतत विकास लक्ष्य’ (SDG) के तहत निर्धारित, ‘वैश्विक आत्महत्या मृत्यु-दर में एक तिहाई की कमी’ (Reducing the global suicide mortality rate by a third) के लक्ष्य को यथासमय हासिल नहीं कर पाएगा।
- वर्ष 2019 के दौरान, आत्महत्या से 703,000 व्यक्तियों या प्रति 100 में से एक व्यक्ति की मौत हुई।
- सर्वाधिक प्रभावित आयु वर्ग: वैश्विक आत्महत्याओं में मरने वाले आधे से अधिक (58 प्रतिशत) व्यक्ति 50 वर्ष से कम आयु के थे। वर्ष 2019 के दौरान, वैश्विक स्तर पर 15-29 आयु वर्ग के युवाओं की मौत का ‘आत्महत्या’ चौथा प्रमुख कारण था।
- सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र: वर्ष 2019 के दौरान हुई वैश्विक आत्महत्याओं से लगभग 77 प्रतिशत मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुईं। औसतन, विश्व में प्रति 100,000 व्यक्तियों में से 9 लोगों ने अपना जीवन आत्महत्या करके समाप्त कर लिया।
- वैश्विक औसत से अधिक: WHO के तीन क्षेत्रों – अफ्रीका, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया- में आत्महत्या की दर वैश्विक औसत से अधिक दर्ज की गई।
- आत्महत्या दर में समग्र कमी: 20 वर्षों (2000-2019) में वैश्विक आत्महत्या दर में 36 प्रतिशत की कमी आई है।
- वर्तमान में, मात्र 38 देशों में ‘राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति’ तैयार की गई है।
वर्ष 2030 तक वैश्विक आत्महत्या मृत्यु दर को एक तिहाई तक कम करने हेतु डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश:
- अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों और आग्नेयास्त्रों जैसे आत्महत्या के साधनों तक पहुंच सीमित करना।
- आत्महत्या संबंधी मामलों पर जिम्मेदार रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को शिक्षित करना।
- किशोरों में सामाजिक-भावनात्मक जीवन गुणों को बढ़ावा देना।
- आत्मघाती विचारों और व्यवहार से प्रभावित किसी व्यक्ति की प्रारंभिक पहचान, आकलन, प्रबंधन और आगे की कार्रवाई करना।
इस संबंध में ‘सतत विकास लक्ष्य’ (SDG) – लक्ष्य 3:
- लक्ष्य 4: वर्ष 2030 तक, असंचारी रोगों (non-communicable diseases) से होनी वाली असामयिक मौतों में बचाव और उपचार के ज़रिए एक-तिहाई कमी करना तथा मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाली को बढ़ावा देना।
- लक्ष्य 5: मादक पदार्थों सहित नशीले पदार्थों के सेवन और शराब के हानिकारक सेवन से बचाव और उपचार मज़बूत करना।
- लक्ष्य 8: वित्तीय जोखिम संरक्षण सहित सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना, उत्तम आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना तथा सभी के लिए निरापद, असरदार, उत्तम और किफायती ज़रूरी दवाएं और टीके सुलभ कराना।
भारत में आत्महत्या दर:
- वर्ष 2019 तक, दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में, आत्महत्या दर भारत में सर्वाधिक थी- प्रति 100,000 व्यक्तियों पर 16.5 आत्महत्याएं।
- भारत में महिला आत्महत्या दर (14.7), विश्व में शीर्ष तीसरे स्थान पर थी।
इस संबंध में भारत द्वारा किए जा रहे उपाय:
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017, के द्वारा ‘आत्महत्या’ को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, तथा आत्महत्या की कोशिश करने वालों को पर्याप्त चिकित्सा राहत उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।
- आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र’ और ‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ के जरिये प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने का प्रयास किया गया हैं।
- नशामुक्ति केंद्र और पुनर्वास सेवाएं भी उपलब्ध करायी जा रही हैं।
- भारत की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति 2014 की रूपरेखा के अंतर्गत प्रभावी बहुक्षेत्रीय सहयोग सहित एक व्यापक आत्महत्या रोकथाम रणनीति का निर्माण करना अनिवार्य है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने हेतु शुरू की गई ‘मनोदर्पण’ पहल के बारे में जानते हैं? इसे यहाँ और पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति के बारे में
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
मेंस लिंक:
देश में आत्महत्याओं को रोकने के लिए भारत द्वारा उठाए गए उपायों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
महाबलेश्वर गुफा के चमगादड़ों में निपाह वायरस के खिलाफ संभावित एंटीबॉडीज़ की खोज
संदर्भ:
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (Indian Council of Medical Research– ICMR) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology) द्वारा किए जा रहे एक सर्वेक्षण के दौरान महाबलेश्वर की एक गुफा से कुछ चमगादड़ प्रजातियों में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की संभावित उपस्थिति का पता लगाने के लिए कुछ नमूने लिए गए थे। महाबलेश्वर, महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है।
इस सर्वेक्षण का उद्देश्य, भारत के चमगादड़ों में ‘निपाह वायरस’ (NiV) के प्रसार का अध्ययन करना था। ‘निपाह वायरस’ को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा वैश्विक प्राथमिकता सूची के शीर्ष -10 रोगजनकों में शामिल किया गया है।
भारत में निपाह वायरस का प्रकोप:
- भारत में अब तक चार बार ‘निपाह वायरस’ (NiV) का प्रकोप फ़ैल चुका है, और इनमे मृत्यु दर 65 प्रतिशत और 100 प्रतिशत के बीच रही है।
- ‘निपाह वायरस’ का सबसे हालिया प्रकोप, वर्ष 2018 में केरल राज्य में फैला था।
- दक्षिणी एशियाई देशों और कुछ भारतीय राज्यों को इस बीमारी के संभावित हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है।
वर्तमान चिंता का विषय:
निपाह वायरस के लिए काफी खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इसकी रोकथाम के लिए अभी कोई दवा या टीका विकसित नहीं किया गया है, और इससे संक्रमित लोगों में मृत्यु दर काफी उच्च रहती है।
कोविड-19 से संक्रमित रोगियों में ‘मामला मृत्यु दर’ (Case Fatality Rate- CFR), 1-2% के बीच रहती है, जबकि निपाह संक्रमण के मामले में ‘सीएफआर’ (CFR), 65-100% तक पहुँच जाती है।
निपाह वायरस के बारे में:
- यह एक ‘जूनोटिक वायरस’ है, अर्थात यह जानवरों और मनुष्यों के मध्य फैल सकता है।
- निपाह वायरस एन्सेफेलाइटिस का कारण बनने वाले जीव, ‘पैरामाइक्सोविरिडे’ (Paramyxoviridae), जीनस हेनिपावायरस (genus Henipavirus) परिवार के RNA या राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है, और यह हेंड्रा वायरस (Hendra virus) के साथ निकटता से संबंधित है।
- ‘फ्रूट बैट’ (Fruit bats), जिसे ‘फ्लाइंग फॉक्स’ भी कहा जाता है, के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत होते हैं।
- लक्षण: निपाह वायरस का संक्रमण ‘इंसेफेलाइटिस’ (मस्तिष्क की सूजन) से जुड़ा होता है, और यह संक्रमित व्यक्ति के लिए मामूली से लेकर गंभीर बीमारी और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि WHO द्वारा एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी “प्राथमिकता वाले रोगजनकों” की पहली सूची प्रकाशित की गई है? इसमें मानव स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक खतरा पैदा करने वाले बैक्टीरिया के 12 परिवारों की एक सूची शामिल है। इसमें कौन से रोगजनकों को शामिल किया गया है, इसके लिए पढ़ें:
मेंस लिंक:
- निपाह के बारे में
- कारण
- लक्षण
- उपचार और रोकथाम
- ‘जूनोटिक रोग’ क्या हैं?
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में शिनजियांग पर गंभीर चिंता का प्रदर्शन
संदर्भ:
हाल ही में, कनाडा के नेतृत्व में 40 से अधिक देशों ने ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UN Human Rights Council – UNHRC) में शिनजियांग, हांगकांग और तिब्बत में चीन द्वारा की जा रही कार्रवाइयों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है।
इनकी मांगे:
बीजिंग, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट (Michelle Bachelet) और अन्य स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को शिनजियांग में “तत्काल, सार्थक और निर्बाध पहुंच” उपलब्ध कराए तथा ‘मनमाने ढंग से हिरासत’ में लिए गए उइगरों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को रिहा करे।
संबंधित प्रकरण:
विश्वसनीय रिपोर्टों से संकेत मिलता है, कि शिनजियांग में एक लाख से अधिक लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है तथा उइगरों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को अनुचित रूप से लक्षित करते हुए व्यापक निगरानी की जा रही है, और उइघुर संस्कृति तथा मौलिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया गया है।
चीन की प्रतिक्रिया:
पर्याप्त सबूतों के बावजूद, चीन, उइगरों के साथ दुर्व्यवहार से इनकार करता है, और जोर देकर, केवल चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किए गए “व्यावसायिक प्रशिक्षण” केंद्र चलाने की बात करता है।
उइगर कौन हैं?
- उइगर (Uighurs) मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्की नृजातीय समूह हैं, जिनकी उत्पत्ति के चिह्न ‘मध्य एवं पूर्वी एशिया’ में खोजे जा सकते हैं।
- उइगर समुदाय, तुर्की भाषा से मिलती-जुलती अपनी भाषा बोलते हैं, और खुद को सांस्कृतिक और नृजातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब मानते हैं।
- चीन, इस समुदाय को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और इन्हें देश का मूल-निवासी समूह मानने से इंकार करता है।
- वर्तमान में, उइगर जातीय समुदाय की सर्वाधिक आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में निवास करती है।
- उइगरों की एक बड़ी आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान में भी पाई जाती है।
दशकों से उइगर मुसलमानों पर चीनी सरकार द्वारा आतंकवाद और अलगाववाद के झूठे आरोपों के तहत, उत्पीड़न, जबरन हिरासत, गहन-जांच, निगरानी और यहां तक कि गुलामी जैसे दुर्व्यवहार किये जा रहे हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप चीन की ‘वन कंट्री टू सिस्टम पॉलिसी’ के बारे में जानते हैं? इस नीति के तहत किन क्षेत्रों का प्रशासन किया जाता है? इसके लिए पढ़ें:
प्रीलिम्स लिंक:
- उइघुर कौन हैं?
- शिनजियांग कहाँ है?
- हान चीनी कौन हैं?
- शिनजियांग प्रांत की सीमा से लगे भारतीय राज्य।
मेंस लिंक:
उइघुर कौन हैं? हाल ही में इनके समाचारों में होने संबंधी कारणों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
यूनेस्को द्वारा ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ की संस्थिति को अवनत करने पर विचार
(UNESCO to downgrade status of Great Barrier Reef)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization- UNESCO) अर्थात यूनेस्को द्वारा ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ (Great Barrier Reef) को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ (In Danger World Heritage Sites) सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है।
यूनेस्को ने इस निर्णय का कारण, ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ में प्रवालों का नाटकीय रूप से क्षय होना बताया गया है।
वर्तमान में विवाद का विषय:
हालांकि, ऑस्ट्रेलिया ने यूनेस्को के इस कदम का विरोध किया है, और यह निर्णय, इस अनुप्रतीकात्मक स्थल (iconic site) के संस्थिति / दर्जे को लेकर यूनेस्को और ऑस्ट्रेलियाई सरकार के बीच जारी विवाद का एक हिस्सा है।
- वर्ष 2017 में यूनेस्को द्वारा पहली बार “संकटग्रस्त’ / ‘खतरे में’ दर्जे पर बहस करने के बाद, कैनबरा ने प्रवाल-भित्ति के स्वास्थ्य में सुधार हेतु 3 बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर (1 बिलियन पौंड; 2 बिलियन डॉलर) से अधिक व्यय करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
- हालांकि, पिछले पांच वर्षों में रीफ (भित्ति) को कई विरंजन (Bleaching) घटनाओं का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से बड़ी मात्रा में प्रवाल नष्ट हुए हैं।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रवाल-विरंजन की इन घटनाओं का मुख्य कारण, जीवाश्म ईंधन के दहन से होने वाले वैश्विक उष्मन (ग्लोबल वार्मिंग) की वजह से समुद्र के तापमान में वृद्धि होना है।
ऑस्ट्रेलिया का कार्बन उत्सर्जन:
कोयला-जनित विद्युत् पर ऑस्ट्रेलिया की निर्भरता के कारण, यह इसको विश्व में प्रति व्यक्ति सर्वाधिक कार्बन उत्सर्जक देशों में शामिल है। ऑस्ट्रेलिया में रूढ़िवादी सरकार द्वारा देश के जीवाश्म ईंधन उद्योगों का लगातार समर्थन किया जाता रहा है, इसके लिए सरकार, उत्सर्जन पर कड़ी कार्यवाही करने से रोजगार पर असर पड़ने का तर्क देती रही है।
‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ क्या हैं?
‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ (In Danger World Heritage Sites) सूची, 1972 के ‘विश्व विरासत अभिसमय’ (World Heritage Convention) के अनुच्छेद 11 (4) के अनुसार तैयार की जाती है।
उद्देश्य: इस सूची को तैयार करने का उद्देश्य, किसी संपत्ति को जिन ‘विशेषताओं’ के लिए इसे विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था, उन ‘विशेषताओं’ लिए संकट / खतरा उत्पन्न करने वाली स्थितियों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सूचित करना तथा सुधारात्मक कार्रवाई करने को प्रोत्साहित करना है।
मानदंड:
किसी ‘विश्व धरोहर संपत्ति’ की मौजूदा स्थिति को निर्धारित सूचीबद्ध मानदंडों में से किसी एक के भी अनुरूप पाए जाने पर, विश्व विरासत समिति (World Heritage Committee) द्वारा उस संपत्ति को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची में दर्ज कर सकती है।
(नोट: यह निर्धारित मानदंड सूची काफी विस्तृत है। किंतु, आपके लिए इन सभी को रटने की जरूरत नहीं है। अधिक जानकारी के लिए यहां देख सकते हैं।
निहितार्थ:
- किसी संपत्ति को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची में दर्ज करने पर ‘विश्व धरोहर समिति’, विश्व धरोहर कोष (World Heritage Fund) से ‘संकटग्रस्त संपत्ति’ को तत्काल सहायता आवंटित कर सकती है।
- किसी ‘विश्व धरोहर स्थल’ को इस सूची में शामिल करना, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इन स्थितियों के प्रति सचेत करता है, और यह आशा की जाती है कि वह इन संकटग्रस्त स्थलों को बचाने के प्रयासों में सहायता करेगा।
- सूची में शामिल किए जाने के बाद, ‘विश्व धरोहर समिति’ द्वारा, संबंधित देश के परामर्श से, सुधारात्मक उपायों के लिए एक कार्यक्रम तैयार करके उसे लागू किया जाता है, और फिर इस स्थल की स्थिति पर निगरानी की जाती है।
कुछ उदाहरण:
ईरानी शहर बाम (Iranian city of Bam): दिसंबर 2003 में आए भूकंप में ईरान के ‘बाम’ शहर में लगभग 26,000 लोग मारे गए, इसके बाद शहर में स्थित एक प्राचीन किले और आसपास के सांस्कृतिक परिदृश्य को, वर्ष 2004 में, एक साथ यूनेस्को की विश्व विरासत सूची और ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची में शामिल कर लिया गया था। इस तबाह हुए शहर की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्रयास किए गए हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘विश्व धरोहर स्थलों’ को संभावित सूची के बारे में जानते हैं? इस सूची में, किसी सदस्य देश द्वारा ‘विश्व धरोहर स्थल’ सूची में शामिल करने हेतु विचारार्थ संपत्तियों को शामिल किया जाता है। भारत के कितने स्थल ‘संभावित सूची’ में शामिल हैं? इसके लिए देखें:
प्रीलिम्स लिंक:
- ग्रेट बैरियर रीफ: अवस्थिति एवं महत्व
- ‘विश्व धरोहर स्थल’ क्या है?
- ‘संकटग्रस्त स्थल’ क्या हैं?
- ‘संभावित सूची’ क्या है?
- ’ मिश्रित विश्व धरोहर स्थल’ क्या हैं?
मेंस लिंक:
प्रवाल विरंजन क्या है? यह विश्व भर में प्रवाल भित्तियों को किस प्रकार प्रभावित करता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
संयुक्त राष्ट्र भूमि संरक्षण पुरस्कार
(UN land conservation award)
संदर्भ:
राजस्थान के जलवायु कार्यकर्ता श्याम सुंदर ज्ञानी को अपनी ‘पारिवारिक वानिकी’ (Familial Forestry), एक पर्यावरण संरक्षण अवधारणा, के लिए इस वर्ष का संयुक्त राष्ट्र का प्रतिष्ठित ‘लैंड फॉर लाइफ अवार्ड’ (Land for Life Award) प्रदान किया गया है।
‘पारिवारिक वानिकी’ क्या है?
‘पारिवारिक वानिकी’ (Familial Forestry) का तात्पर्य, वृक्षों और पर्यावरण की देखभाल को परिवार में सौंप देना है, जिससे वृक्ष, परिवार की चेतना का हिस्सा बन जाते हैं।
परिवार को समाज की आधारशिला बनाने वाली यह अवधारणा किसी भी सामाजिक अभियान की सफलता सुनिश्चित करती है।
‘लैंड फॉर लाइफ अवार्ड’ के बारे में:
- इस पुरुस्कार को वर्ष 2011 में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय’ (UNCCD) के COP-10 (पक्षकारों का सम्मलेन) में शुरू किया गया था।
- इसे ‘भूमि संरक्षण और जीर्णोद्धार’ के संबंध में विश्व का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है।
- इसे प्रति दो वर्ष में UNCCD द्वारा प्रदान किया जाता है।
- पुरुस्कार के लिए इस वर्ष की थीम “स्वस्थ भूमि, स्वस्थ जीवन” (Healthy Land, Healthy Lives) थी।
संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय’ (UNCCD) के बारे में:
UNCCD की स्थापना वर्ष 1994 में की गयी थी।
- यह, पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से संबद्ध करने वाला, क़ानूनी रूप से बाध्यकारी एकमात्र अंतरराष्ट्रीय समझौता है।
- यह, रियो पृथ्वी सम्मेलन के दौरान एजेंडा 21 के अंतर्गत प्रत्यक्ष सिफारिशों के अंतर्गत स्थापित एकमात्र अभिसमय है।
- फोकस क्षेत्र: UNCCD, सर्वाधिक संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र और मानव आबादी वाले, विशेष रूप से शुष्क, अर्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों को संबोधित करता है, जिसे शुष्क भूमि के रूप में जाना जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि लैंड फॉर लाइफ अवार्ड कोरिया गणराज्य में आयोजित UNCCD COP10 के दौरान ‘चांगवोन पहल’ के एक हिस्से के रूप में शुरू किया गया था? चांगवोन पहल के बारे में यहाँ और पढ़ें
प्रीलिम्स लिंक:
- UNCCD के बारे में
- रियो सम्मेलन का एजेंडा 21
- संयुक्त राष्ट्र के लैंड फॉर लाइफ अवार्ड के बारे में
मेंस लिंक:
भूमि-क्षरण और मरुस्थलीकरण में अंतर बताइए? पारिस्थितिकी पर मरुस्थलीकरण के प्रभाव पर चर्चा करें।
स्रोत: इंडिया टुडे
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
असम के जोरहाट ने विशेष अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस नीलामी
असम की “चाय राजधानी” जोरहाट में 21 जून को पहली अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस विशेष नीलामी आयोजित की गई।
- इस नीलामी का आयोजन, भारत की सबसे बड़ी बिजनेस-टू-बिजनेस ई-कॉमर्स फर्म, एमजंक्शन सर्विसेज लिमिटेड (mjunction services limited) द्वारा किया गया।
- चाय बोर्ड के एक विशेष प्रयास के तहत, चाय की पत्तियों की तुड़ाई, 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के अवसर पर की जाती है और इसके ठीक एक महीने बाद, जून में इन चायों की विशेष नीलामी की जाती है।
विश्व का पहला ‘जेनेटिकली मॉडिफाइड रबड़’ का पौधा
हाल ही में, असम में गुवाहाटी के बाहरी इलाके स्थित रबड़ बोर्ड के ‘सरुतरी अनुसंधान फार्म’ में विश्व का पहला आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified- GM) रबड़ का पौधा लगाया गया है।
- इसे केरल स्थित ‘भारतीय रबड़ अनुसंधान संस्थान’ (RRII) में विकसित किया गया था।
- इसमें MnSOD (मैंगनीज युक्त सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज) जीन को अंतर्वेशित कराया गया है, और यह GM रबड़, शीतकाल मे पड़ने वाली कड़ाके की ठंड का मुकाबला करने में सक्षम होगी। ज्ञातव्य है, कि कड़ाके की ठंड, रबड़ के पौधों के विकास को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक होती है।
- GM रबड़ में प्रयुक्त MnSOD जीन को रबड़ के पौधे से ही लिया गया है।
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