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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. लोक लेखा समिति (PAC)
2. WHO वैश्विक क्षय रोग कार्यक्रम
3. आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus)
सामान्य अध्ययन-III
1. चेन्नई-कन्याकुमारी औद्योगिक गलियारा (CKIC)
2. अंतर्देशीय पोत विधेयक
3. डीप ओशन मिशन
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. जीआई प्रमाणित जलगांव केला
2. ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालय
3. सभी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं हेतु ड्रोन सर्वेक्षण अनिवार्य
4. राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC)
5. आदि प्रशिक्षण पोर्टल
6. विवा टेक
सामान्य अध्ययन- II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
लोक लेखा समिति (PAC)
संदर्भ:
संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC) द्वारा अगले वर्ष के लिए अपना एजेंडा निर्धारित कर लिया गया है।
- आम सहमति नहीं बन पाने के कारण, ‘वैक्सीन उत्पादन और वितरण’ विषय को लोक लेखा समिति के, इस वर्ष के एजेंडे में शामिल नहीं किया गया था।
- समिति के नियमों के अनुसार, जब तक किसी विषय पर, सभी सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं होती है, उस विषय पर विचार-विमर्श नहीं किया जा सकता।
लोक लेखा समिति:
(Public Accounts Committee- PAC)
- लोक लेखा समिति का गठन प्रतिवर्ष किया जाता है। इसमें अधिकतम सदस्यों की संख्या 22 होती है, जिनमें से 15 सदस्य लोकसभा से और 7 सदस्य राज्यसभा से चुने जाते हैं।
- सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
- समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। वर्ष 1967 से, समिति के अध्यक्ष का चयन, विपक्ष के सदस्यों में से किया जाता है।
- इसका मुख्य कार्य नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट को संसद में रखे जाने के बाद इसकी जांच करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
लोक लेखा समिति, सदन की समितियों में सबसे पुरानी समिति है। पहली बार लोक लेखा समिति का गठन वर्ष 1921 में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के मद्देनजर किया गया था।
लोक लेखा समिति की सीमाएं:
- मोटे तौर पर, यह नीतिगत सवालों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- यह व्यय होने के बाद ही, इन पर निगरानी कर सकती है। इसमें व्ययों को सीमित करने संबंधी कोई शक्ति नहीं होती है।
- यह दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- समिति द्वारा की जाने वाली अनुशंसाएं मात्र परामर्शी होती है। मंत्रालयों द्वारा इन सिफारिशों की उपेक्षा भी की जा सकती है।
- इसके लिए विभागों द्वारा व्यय पर रोक लगाने की शक्ति नहीं होती है।
- यह मात्र एक कार्यकारी निकाय है और इसे कोई आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है। इसके निष्कर्षों पर केवल संसद ही अंतिम निर्णय ले सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) को लोक लेखा समिति का मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक क्यों बताया गया है? यहां पढ़ें, ,
प्रीलिम्स लिंक:
- संसदीय बनाम कैबिनेट समितियों के बीच अंतर
- स्थायी समितियों, चयन समितियों और वित्त समितियों के मध्य अंतर
- इन समितियों के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- केवल लोकसभा सदस्यों से गठित समितियां
- लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित की जाने वाली समितियाँ
मेंस लिंक:
संसदीय स्थायी समितियां क्या होती हैं? इनकी आवश्यकता और महत्व को उजागर करने के लिए उनकी भूमिकाओं और कार्यों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
WHO वैश्विक क्षय रोग कार्यक्रम
(WHO Global Tuberculosis Programme)
संदर्भ:
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक क्षय रोग कार्यक्रम (WHO Global Tuberculosis Programme) द्वारा क्षय रोग रोकथाम में तेजी लाने हेतु वैश्विक अभियान’ (Global Drive to Scale up TB Prevention) पर आभासी प्रारूप में एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
इस विशेष उच्चस्तरीय आयोजन का उद्देश्य, टीबी निवारक उपचार पर संयुक्त राष्ट्र उच्चस्तरीय बैठक के लक्ष्य 2022 को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए देश और वैश्विक स्तर पर टीबी रोकथाम की रणनीतियों को तेज करने हेतु आवश्यक कार्रवाईयों पर चर्चा करना था।
टीबी (TB) क्या है?
- टीबी या तपेदिक / क्षय रोग, बेसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस (Bacillus Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है।
- यह आमतौर पर फेफड़ों (फुफ्फुसीय टीबी- pulmonary TB) को प्रभावित करता है, किंतु यह इसके अलावा मानव-शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभावित कर सकता है।
- यह बीमारी, फुफ्फुसीय टीबी से पीड़ित व्यक्ति की खांसी या किसी अन्य माध्यम से वायु में बैक्टीरिया पहुँचने से फैलती है।
इस संबंध में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयास:
- भारत, टीबी को समाप्त करने के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित राष्ट्रीय रणनीतिक योजना को आक्रामक ढंग से लागू कर रहा है।
- भारत में, पिछले कुछ वर्षों में पांच करोड़ लोगों का उपचार किया गया है।
- भारत, राष्ट्रीय स्तर पर टीबी निवारक उपचार (TB preventive treatment– TPT) और गतिविधियों में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- भारत का प्रयास, संयुक्त राष्ट्र उच्चस्तरीय बैठक (UN High-Level Meeting– UNHLM) के लक्ष्यों करना है, जिसके तहत शेष 18 महीनों में, वैश्विक स्तर पर 4 करोड़ व्यक्तियों का टीबी उपचार तथा 3 करोड़ व्यक्तियों को टीबी निवारक उपचार प्रदान किया जाना है।
- वर्ष 2020 में गठित राज्यों और जिलों का उप-राष्ट्रीय प्रमाणन कार्यक्रम: इस पहल में विभिन्न श्रेणियों के तहत ‘टीबी मुक्त दर्जे की दिशा में प्रगति’ पर जिलों/राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों को चिन्हित किया जाता है, जिसे टीबी की घटनाओं में गिरावट के हिसाब से मापा जाता है।
भारत की वार्षिक टीबी रिपोर्ट 2020:
- वर्ष 2019 में लगभग 04 लाख टीबी रोगियों को अधिसूचित किया गया है। वर्ष 2018 की तुलना में टीबी अधिसूचना में यह 14% की वृद्धि है।
- वर्ष 2017 में टीबी रोगियों के 10 लाख से अधिक गैर-अधिसूचित मामले थे, जो घटकर 9 लाख हो गए है।
- निजी क्षेत्र में 35% की वृद्धि के साथ 78 लाख टीबी रोगियों को अधिसूचित किया गया है।
- वर्ष 2018 में 6% की तुलना में 2019 में टीबी से ग्रसित बच्चों का अनुपात बढ़कर 8% हो गया है।
- सभी अधिसूचित टीबी रोगियों की एचआईवी जांच, वर्ष 2018 में 67% से बढ़कर 2019 में 81% हो गई है।
- उपचार सेवाओं के विस्तार से अधिसूचित रोगियों की उपचार सफलता दर में 12% सुधार हुआ है। 2018 में 69% की तुलना में 2019 के लिए यह दर 81% है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि निक्षय (NIKSHAY), राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत टीबी नियंत्रण हेतु एक वेब-आधारित सूचना प्रबंधन प्रणाली है?
क्या आप जानते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल फंड और ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप’ के साथ मिलकर, ‘फाइंड. ट्रीट. आल. #एंड टीबी’ (Find. Treat. All. #EndTB) नामक एक संयुक्त पहल का आरंभ किया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- क्षय रोग संबधी सतत् विकास लक्ष्य (SDG)
- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) तथा इसके लक्ष्य क्या है?
- केंद्रीय टीबी प्रभाग (CTD) के बारे में
- वार्षिक टीबी रिपोर्ट किसके द्वारा जारी की जाती है?
- क्षय रोग क्या है? यह किस प्रकार होता है?
मेंस लिंक:
“भारत की टीबी रिपोर्ट को देश की ‘हंगर इंडेक्स’ में निम्न स्थिति के आलोक में देखा जाना चाहिए”, हाल ही में जारी ‘वार्षिक क्षय रोग रिपोर्ट’ के प्रकाश में इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus)
(ASEAN Defence Ministers’ Meeting Plus)
संदर्भ:
हाल ही में, आठवीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई थी। इस वर्ष ADMM-Plus फोरम की अध्यक्षता ब्रुनेई कर रहा है। ब्रुनेई, इस वर्ष आसियान समूह का अध्यक्ष भी है।
‘ADMM-Plus’ के बारे में:
आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (ASEAN Defence Ministers’ Meeting- ADMM) के खुले और सार्वजनिक प्रकार के मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुरूप, वर्ष 2007 में सिंगापुर में सिंगापुर में आयोजित ADMM की दूसरी बैठक में ADMM Plus की स्थापना हेतु संकल्पना पत्र (Concept Paper) अपनाया गया था।
- ADMM-Plus, आसियान और इसके वार्ता साझेदार (Dialogue partners) देशों के लिए क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास हेतु सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान करने वाला एक मंच है।
- ADMM Plus के वार्ता साझेदारों में ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूज़ीलैंड, दक्षिणी कोरिया , रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इन्हें सामूहिक रूप से “प्लस देशों” के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य, अधिक संवाद और पारदर्शिता के माध्यम से सदस्य देशों की रक्षा संस्थाओं के बीच आपसी विश्वास को बढ़ावा देना है।
इस तंत्र के अंतर्गत सहयोग क्षेत्र:
- इस नए तंत्र के तहत रक्षा के क्षेत्र में सहयोग के निम्नलिखित पाँच क्षेत्रों पर सहमति व्यक्त की गई है: समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, मानवीय सहायता और आपदा राहत, शांति व्यवस्था और सैन्य चिकित्सा।
- वर्ष 2013 में, सहयोग के क्षेत्रों में एक नए प्राथमिकता क्षेत्र ‘बारूदी सुरंग पर मानवीय कार्रवाई (Humanitarian Mine Action)’ पर सहमति व्यक्त की गयी।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि भारत 1992 में आसियान का एक क्षेत्रीय वार्ता भागीदार का दर्जा प्रदान किया गया था? पढ़ें इसका क्या मतलब है, Click here
प्रीलिम्स लिंक:
- ADMM क्या है?
- ADMM plus क्या है?
- सदस्य
- उद्देश्य
- ADMM plus के अंतर्गत सहयोग क्षेत्र
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
चेन्नई-कन्याकुमारी औद्योगिक गलियारा (CKIC)
संदर्भ:
हाल ही में, एशियाई विकास बैंक (ADB) और भारत सरकार के मध्य तमिलनाडु के ‘चेन्नई-कन्याकुमारी औद्योगिक गलियारे’ (Chennai–Kanyakumari Industrial Corridor CKIC) में परिवहन कनेक्टिविटी सुधार और औद्योगिक विकास को सुगम बनाने हेतु लिए 484 मिलियन डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
CKIC, भारत के ‘पूर्वी तट आर्थिक गलियारे’ (East Coast Economic Corridor- ECEC) का हिस्सा है, जोकि पश्चिम बंगाल से लेकर तमिलनाडु तक विस्तारित है।
‘औद्योगिक गलियारा’ क्या होता है?
- औद्योगिक गलियारा (Industrial Corridor), मूल रूप से, मुख्य मार्ग के रूप में राज्यों से होकर गुजरने वाला मल्टी मॉडल परिवहन सेवाओं से युक्त गलियारा होता है।
- औद्योगिक गलियारे, उद्योग और अवसंरचनाओं के मध्य प्रभावी समेकन प्रदान कराते हैं, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास में समग्र वृद्धि होती है।
औद्योगिक गलियारों में विश्व स्तरीय अवसंरचनाओं का निर्माण किया जाता है, जैसे:
- द्रुतगति परिवहन नेटवर्क – रेल और सड़क।
- अत्याधुनिक कार्गो हैंडलिंग उपकरणों सहित बंदरगाह।
- आधुनिक हवाई अड्डे।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र / औद्योगिक क्षेत्र।
- लॉजिस्टिक पार्क / ट्रांसशिपमेंट हब।
- औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नॉलेज पार्क।
- टाउनशिप / रियल एस्टेट जैसी पूरक अवसंरचनाएं।
औद्योगिक गलियारों का महत्व:
दूरदराज के इलाकों और बंदरगाहों के साथ औद्योगिक केन्द्रों का उन्नत संपर्क (कनेक्टिविटी), विशेष रूप से वैश्विक उत्पादन नेटवर्क और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारतीय विनिर्माण की भागीदारी को बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे इस गलियारे के इर्दगिर्द रोजगार पैदा होगा।
भारत सरकार द्वारा परिवहन विकास हेतु निम्नलिखित ग्यारह औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं को चिह्नित कर उन्हें मंजूरी दी गई है:
- दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा (DMIC)
- चेन्नई बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (CBIC)
- कोयंबटूर से कोच्चि तक CBIC का विस्तार
- अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारा (AKIC)
- हैदराबाद नागपुर औद्योगिक गलियारा (HNIC)
- हैदराबाद वारंगल औद्योगिक गलियारा (HWIC)
- हैदराबाद बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (HBIC)
- बेंगलुरु मुंबई औद्योगिक गलियारा (BMIC)
- पूर्वी तट आर्थिक गलियारा (ECEC), चरण -1 में विजाग चेन्नई औद्योगिक गलियारा (VCIC)
- ओडिशा आर्थिक गलियारा (OEC)
- दिल्ली नागपुर औद्योगिक गलियारा (DNIC)
इन ग्यारह औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं को ‘राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट’ (NICDIT) के माध्यम से कार्यान्वयित किया जाएगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (NIMZ) के बारे में जानते हैं? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- ग्रीनफील्ड बनाम ब्राउनफील्ड परियोजनाएं।
- औद्योगिक गलियारे क्या होते हैं?
- प्रमुख विशेषताएं।
स्रोत: पीआईबी
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
अंतर्देशीय पोत विधेयक
(Inland Vessels Bill)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’, 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक ‘अंतर्देशीय पोत अधिनियम’, 1917 को प्रतिस्थापित करेगा।
इस विधेयक में अंतर्देशीय जहाजों की सुरक्षा और पंजीकरण को विनियमित करने संबंधी प्रावधान किये गए हैं।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- ‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’ में विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए अलग-अलग नियमों के बजाय पूरे देश के लिए एक संयुक्त कानून का प्रावधान किया गया है।
- प्रस्तावित कानून के तहत प्रदान किया गया पंजीकरण प्रमाण पत्र सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मान्य होगा, और इसके लिए राज्यों से अलग अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
- विधेयक में एक इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर, पोत, पोत पंजीकरण और चालक दल का विवरण दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय डेटा बेस बनाने का प्रावधान किया गया है।
- विधेयक के तहत, यांत्रिक रूप से चालित सभी जहाजों के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है। सभी गैर-यांत्रिक रूप से चालित जहाजों को भी जिला, तालुक या पंचायत या ग्राम स्तर पर पंजीकरण करना होगा।
भारत में ‘अंतर्देशीय जल परिवहन’:
(Inland Water Transport-IWT)
- भारत में नौगम्य जलमार्ग की लम्बाई लगभग 14,500 किलोमीटर हैं, और इसमें नदियाँ, नहरें, अप्रवाही जल या बैकवाटर (Backwaters), खाड़ियाँ आदि शामिल हैं।
- अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) एक ईंधन-किफायती और पर्यावरण अनुकूल परिवहन माध्यम है।
- राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के अनुसार, 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways- NW) घोषित किया गया है।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा, विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से, गंगा के हल्दिया-वाराणसी विस्तार (राष्ट्रीय जलमार्ग (NW)-1 का भाग) पर नौपरिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग ₹5369.18 करोड़ की लागत के साथ जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
इंस्टा जिज्ञासु:
भारत में सबसे लंबा अंतर्देशीय जलमार्ग कौन सा है? यहां पढ़ें;
प्रीलिम्स लिंक:
- महत्वपूर्ण जलमार्ग
- इनकी अवस्थिति
- JMVP के बारे में
- IWAI के बारे में
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय जलमार्गों के महत्व की विवेचना कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
भारत ‘डीप ओशन मिशन’ शुरू करने के लिए तैयार
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा काफी समय से लंबित ‘गहरे समुद्र अभियान’ (Deep Ocean Mission) के लिए मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
भारत का ‘डीप ओशन मिशन’
‘डीप ओशन मिशन’ (Deep Ocean Mission) के तहत, 35 साल पहले इसरो द्वारा शुरू किये गए अंतरिक्ष अन्वेषण की भांति, गहरे महासागर में अन्वेषण करने का प्रस्ताव किया गया है।
यह मिशन, गहरे समुद्र में खनन, समुद्री जलवायु परिवर्तन संबंधी सलाहकारी सेवाओं, अन्तर्जलीय वाहनों एवं अन्तर्जलीय रोबोटिक्स संबंधी प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित होगा।
- इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए 5 वर्ष की अवधि की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए होगी।
- इस बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी अभियान को लागू करने हेतु पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) नोडल मंत्रालय होगा।
मिशन के प्रमुख घटक:
इस गहरे समुद्र अभियान में निम्नलिखित छह प्रमुख घटक शामिल हैं:
- गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास: तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। मध्य हिंद महासागर में इस गहराई से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली भी विकसित की जाएगी।
- महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास।
- गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार: सूक्ष्म जीवों सहित गहरे समुद्र की वनस्पतियों और जीवों की जैव-पूर्वेक्षण और गहरे समुद्र में जैव-संसाधनों के सतत उपयोग पर अध्ययन करना।
- गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण: इस घटक का प्राथमिक उद्देश्य हिंद महासागर के मध्य-महासागरीय भागों के साथ बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिज के संभावित स्थलों का पता लगाना और उनकी पहचान करना है।
- महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी: अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (ओटीईसी) विलवणीकरण संयंत्र के लिए अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन तैयार करना।
- महासागर जीवविज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशनः इस घटक का उद्देश्य महासागरीय जीव विज्ञान और इंजीनियरिंग में मानव क्षमता और उद्यम का विकास करना है। यह घटक ऑन-साइट बिजनेस इन्क्यूबेटर सुविधाओं के माध्यम से अनुसंधान को औद्योगिक अनुप्रयोग और उत्पाद विकास में परिवर्तित करेगा।
महत्व:
- यह मिशन भारत के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ में अन्वेषण करने संबंधी प्रयासों को बढ़ावा देगा।
- यह योजना भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin- CIOB) में संसाधनों का दोहन करने की क्षमता विकसित करने में सक्षम बनाएगी।
संभावनाएं:
भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (Polymetallic nodules- PMN) अन्वेषण के लिये ‘संयुक्त राष्ट्र सागरीय नितल प्राधिकरण’ (UN International Sea Bed Authority for exploration) द्वारा 75,000 वर्ग किलोमीटर का आवंटन किया गया है।
- मध्य हिंद महासागर बेसिन क्षेत्र में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं के भण्डार हैं।
- अनुमानित है कि, इस विशाल भण्डार के मात्र 10% दोहन से भारत की अगले 100 वर्षों के लिए ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं।
पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (PMN)
- पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (जिन्हें मैंगनीज नॉड्यूल्स भी कहा जाता है) आलू के आकारनुमा तथा प्रायः छिद्रयुक्त होते हैं। ये विश्व महासागरों में गहरे समुद्र तलों पर प्रचुर मात्रा में बिछे हुए पाए जाते हैं।
- अवगठन: पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स में मैंगनीज और लोहे के अलावा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम पाए जाते है, जिनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबा आर्थिक और सामरिक महत्व के माने जाते हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
समुद्र तल के किस अनुपात में खनन किया जा सकता है? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘गहरे समुद्र में खनन’ क्या होता है?
- PMN क्या हैं?
- मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) की अवस्थिति
- संयुक्त राष्ट्र सागरीय नितल प्राधिकरण के कार्य
मेंस लिंक:
भारत द्वारा शुरू किए जाने वाले ‘डीप ओशन मिशन’ की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
जीआई प्रमाणित जलगांव केला
जलगांव केले को वर्ष 2016 में जीआई प्रमाणीकरण प्रदान किया गया था, और यह निसर्ग राजा कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) जलगांव, महाराष्ट्र के नाम से पंजीकृत है।
- भारत कुल उत्पादन में लगभग 25% की हिस्सेदारी के साथ दुनिया में केले का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश, देश के केले के कुल उत्पादन में 70% से अधिक का योगदान करते हैं।
ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालय
ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालय (BRICS Network University) ब्रिक्स के पांच सदस्य देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों का एक संघ है।
- इसकी स्थापना का उद्देश्य, सामान्य रूप से, विशेषकर अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में शैक्षिक सहयोग में वृद्धि करना है।
- आईआईटी बॉम्बे, ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालय हेतु भारत का प्रमुख संस्थान है।
सभी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं हेतु ड्रोन सर्वेक्षण अनिवार्य
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने विकास, निर्माण, संचालन और रखरखाव के सभी चरणों के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की मासिक वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए ड्रोन के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है।
- ठेकेदार और रियायत पाने वाले (Concessionaires), पर्यवेक्षण सलाहकार के टीम लीडर की मौजूदगी में ड्रोन वीडियो की रिकॉर्डिंग करेंगे व वर्तमान और पिछले महीने के तुलनात्मक प्रोजेक्ट वीडियो को NHAI के पोर्टल ‘डेटा लेक‘ (Data Lake) पर अपलोड करेंगे।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC)
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने आज गुजरात के लोथल में ‘राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex– NMHC) के विकास में सहयोग’ हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- NMHC को एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां प्राचीन से आधुनिक समय तक भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।
- NMHC की अनूठी विशेषता प्राचीन लोथल शहर को यहां दिखाना भी है। लोथल, 2400 ईसा पूर्व की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक है।
आदि प्रशिक्षण पोर्टल
आदि प्रशिक्षण पोर्टल (ADI PRASHIKSHAN portal), जनजातीय मामलों के मंत्रालय के विभिन्न प्रभागों, जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRIs), राष्ट्रीय जनजातीय छात्र शिक्षा सोसायटी (NESTS), और राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान द्वारा वित्त पोषित उत्कृष्टता केंद्रों द्वारा संचालित सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का एक केंद्रीय भंडार है।
विवा टेक
(VivaTech)
विवा टेक यूरोप में सबसे बड़ी डिजिटल और स्टार्टअप आयोजनों में एक है। वर्ष 2016 से इसका आयोजन प्रतिवर्ष पेरिस में किया जाता है।
- इसका आयोजन संयुक्त रूप एक प्रमुख विज्ञापन और विपणन समूह ‘पब्लिसिज ग्रुप’ और अग्रणी फ्रांसीसी मीडिया समूह ‘लेस इकोस’ द्वारा किया जाता है।
- यह प्रौद्योगिकी नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम के हितधारकों को एक साथ लाता है। इस आयोजन में प्रदर्शनियां, पुरस्कार, पैनल चर्चा और स्टार्टअप प्रतियोगिताएं शामिल की जाती हैं।
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